Adhuri diary

ऐ मेरी डायरी ,

तुझसे मैं ,अपने सभी ,दुःख -दर्द  बांटती आई हूँ ,तुझे मेरे जीवन के हर लम्हें की जानकारी  है। मेरे बचपन से लेकर बड़े होने तक ,तू ही मेरे साथ रही ,किन्तु तू तो जानती है -आज फिर मेरे अंदर दुःख की बदली छाई  है। मेरे माता -पिता ,भाई और अन्य रिश्ते भी हैं ,किन्तु मैं फिर भी ,अपने ग़म तुझसे साझा कर रही हूँ। इस ज़िंदगी ने मुझे ग़म के सिवा दिया ही क्या है ?कारण मेरे माता -पिता ही हैं। अब तू कहेगी -कि माता -पिता !वो कैसे ?क्या वे तुझे प्यार नहीं करते ?क्या तुम लड़की हो या फिर भाई से प्रेम करते हैं? तुम भी न कितना सोचती हो ?हर जगह समस्या ये ही नहीं होती ,समस्या तो मेरे माता -पिता की आपसी समझदारी की है, जो एक -दूसरे को ठीक से समझ नहीं पा  रहे। दोनों रात -दिन मेहनत करते हैं ,कमाते हैं किसके लिए ?अपने परिवार और बच्चों के लिए ,किन्तु न ही हमें समय दे पाते हैं ,न ही अपने आपको। और जब स्वयं ही प्रसन्न नहीं रहेंगे तब बच्चों से कैसे अच्छा व्यवहार कर सकते हैं ?


आज फिर दोनों में झगड़ा हुआ ,आज तो कोई' किरण 'आंटी उनके रिश्ते के बीच में आ गयी। भगवान ऐसी आंटियाँ बनाता ही क्यों है ?जो किसी का घर तोड़े। जो घर टूट गया तो भइया और मैं कहाँ जायेंगे ?और तुम भी क्या ?मेरे जीवन की तरह अधूरी रह जाओगी। सभी का जीवन अधूरा हो जायेगा। एक ख़ुशहाल परिवार ही न रहेगा तो डायरी कैसे पूरी हो सकती है ?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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