Alsai subh

अलसाई सुबह ,कौन  इसका लाभ उठा पाता है ?मन तो करता रहता है ,सुबह की अलसाई नींद का आनंद लें ,क्या ये सम्भव हो पाता है ?इसका आनंद तो कोई आलसी व्यक्ति ही ले सकता है या फिर जिसे  कोई कार्य न हो। सुबह की नींद का मज़ा सभी लेना चाहते हैं किन्तु जिसके सिर पर जिम्मेदारियों का बोझ हो तो फिर वो कहाँ , ऐसी नींद का लाभ उठा पायेगा ?वो तो बस यही पूछेगा -''सुबह की नींद ''वो किस चिड़िया का नाम है ?


जिन्हें अपने जीवन से ,अपनी सेहत से प्यार होता है ,वे भी सुबह की नींद का आनंद नहीं ले पाते वरन सुबह की ताज़ी हवा का आनंद लेते हैं। बचपन में हम सोते भी थे तो हमारे बड़े ये दोहा सुनाकर ,हमें उठाते -
                              ''  उठ जाग मुसाफ़िर भई ,अब रैन कहाँ जो सोवत है ,
                                जो सोवत है ,सो खोवत है। जो जागत है ,सो पावत है। ''
की तर्ज़ पर प्रातःकाल ही उठा देते और पढ़ने के लिए बिठा देते ,प्रातःकाल में ही प्रकृति कितनी सुंदर दिखती है ? ये तो उस सुबह की अलसाई नींद को त्यागकर ही पता चलेगा। भक्त भक्ति करेगा ,योगी योग करता है ,उन्हें कहाँ सुबह की अलसाई नींद का पता होता है ?जिन्हें मंजिलों तक पहुंचना होता है ,वे कब कहाँ सो पाते हैं ?
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post