Sapne

सपने सभी देखते हैं ,
मैंने भी कुछ सपने देखे ,
कुछ छोटे से ,कुछ रंगीन। 
कुछ प्यारे से ,कुछ हसीन।
 
उन सपनों संग जीती रही ,
समय के संग ,बढ़ती रही।
उनको पलकों में लिए ,
पालती -पोषती रही। 

मैं भी ,कलाकार बन जाऊँ ,
लोगों के ,दिलों तक पहुंच जाऊँ। 
सपने बनते ही नहीं ,बिगड़ते भी हैं। 
उम्र के साथ बढ़ते ,पनपते भी हैं।

  बचपन के सपने ,भोले -भाले से ,
कुछ बड़े हुए ,सपने भी बढ़ने लगे। 
युवावस्था में ,गंभीर हो गए ,
वृद्धावस्था में ,उम्र के साथ ठहर गए। 


सपनों की कोई ,उम्र नहीं होती ,
ये तो ,बच्चों के सपनों संग जुड़ जाते हैं। 
उनके देखे सपने भी ,अपने बन जाते हैं। 
सपने टूटते हैं ,फिर बुने जाते हैं। 

भावों से निकलकर ,भावनाओं से जुड़ जाते हैं। 
किसी की उम्मीदों से अठखेलियाँ कर जाते हैं। 
कभी टूटकर बिखर जाते हैं।
 कभी अपने ,कभी पराये नजर आते हैं। 
सपने तो  सपने हैं ,
कुछ'' छोटे -मोटे ''से मेरे भी सपने हैं।  
 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post