Ghatiyon ke beech ek shahr [ part 8 ]

तांत्रिक ,मेहुल और राहुल को ''अश्व मानव ''बना देता है ,उन्हें ढूंढने के लिए ,ऋतू और दिव्या कार्तिक को छुड़ाने के लिए उस शैतानी जंगल में जाती हैं ,उस जंगल को जलाकर और  कार्तिक को छुड़ाकर , वो ''पाताल नगरी ''आती हैं और राहुल ,मेहुल को ढूंढने लग जाती हैं वे लोग तो उन्हें नहीं मिलते किन्तु दिव्या तांत्रिक के हत्थे चढ़ जाती है वो उसे ''तंत्र पाश ''में बांध देता है। ऋतू सतर्क हो जाती है ,कार्तिक को समझाकर और उसकी सुरक्षा  करके ,वो दिव्या को छुड़ाने के लिए आती है ,अब आगे -

ऋतू कार्तिक से संभलकर रहने के लिए कहती है ,और उसी और बढ़ जाती है ,जिधर वो लोग पहले गयीं थीं ऋतू को वो स्थान नहीं दिख रहा था क्योंकि तांत्रिक ने वो स्थान छुपाकर रखा हुआ था ,या यूँ कहें -वो स्थान गुप्त था। चारों तरफ चट्टान -पत्थर और उसके बनाये ,राक्षस घूम रहे थे और उस नगरी की सुरक्षा करती वो अग्नि। तभी उसने देखा ,-एक ऊँची सी चट्टान के पीछे कुछ फूल खिले हैं और वहां का दृश्य कुछ अलग ही था। ऋतू उधर गयी ,उसने देखा और आश्चर्य हुआ  -यहां'' पाताल नगरी ''में ऐसा स्थान कैसे  ?जहाँ चारों तरफ राक्षस और अग्नि ही है। वहां जाकर ऋतू ने अपना वो वस्त्र उतार दिया ,जिसके कारण वो अदृश्य थी। तभी वहाँ फूलों पर बैठी नन्हीं -नन्हीं परियां डर के कारण ,उड़कर भागने लगीं। ऋतू ने उन्हें इशारे से समझाया- कि उन्हें डरने और भागने की आवश्यकता नहीं है ,मैं तो स्वयं ही ,यहाँ फंस गयी हूँ उसकी इस तरह से अनुनय करने पर, वे उड़ी नहीं वरन उनमें से एक परी इंसानी आवाज में  बोली -हम तो यहां फंसी हुई  हैं क्योंकि हमारी रानी परी को उस'' ज्ञानयोगी ''ने कैद कर लिया है। हम उन्हें  इस तरह छोड़कर नहीं जा सकती इसीलिए हम भी ,आजाद होने पर भी आजाद नहीं हैं। उसी ने हमारे लिए यहां ये बगीचा बनाकर ,हमें यहां रहने पर विवश कर दिया है। 


ऋतू बोली -आप लोग परेशान न हों ,मेरी दोस्त को भी उसने बंदी बना लिया है मुझे उसे भी छुड़ाना है ,तुम्हारी परी  रानी को भी हम मिलकर छुड़ा लेंगे ,वैसे उसने उन्हें कैद क्यों किया हुआ है ?वो तितली जैसी नन्हीं परी  बोली -हम जैसे रूप में तुम्हें दिख रही हैं ,हम वैसी नहीं हैं। हम लोग अपने परी लोक में घूम रहीं थीं। वहां का दृश्य बेहद मोहक था ,बगीचे में हमारी परी झूला झूल रही थीं ,तभी ये 'ज्ञानयोगी 'पता नहीं कहाँ से आ टपका ?और उसने हमारी परी से विवाह का प्रस्ताव रखा ,हमारी परी तो इसे देखते ही ड़र गयी और छिप गयी। विवाह से भी इंकार कर दिया ,तब इस राक्षस ने क्रोध में आकर उस सम्पूर्ण बगीचे को जला दिया ,जिस कारण हमारी परी रानी के पंख भी जल गए और ये उन्हें उसी अस्वस्थ अवस्था में उठा लाया। हमने तुरंत ही उनके पिता महाराज को सूचना दी, किन्तु तब तक देर हो चुकी थी।  पिता महाराज ने देखा- कि उसने हमारी रानी को अपने'' तांत्रिक जाल'' में कैद किया हुआ है ,जिस कारण उनकी दृष्टि वहां तक नहीं पहुंच सकी ,हमने परी रानी को बहुत ढूंढा किन्तु उनका कुछ पता न चल सका। तबसे  हम लोग भी अपनी रानी के लिए ,अपने शरीर को सूक्ष्म करके यहीं निवास करती हैं ताकि किसी भी तरह हमारी रानी का हमें पता चल सके और हम उन्हें लेकर 'परीलोक ' जा सकें। 

ऋतू बोली -मेरे पास एक जादुई आइना है ,हम उससे परी रानी का पता लगा सकते हैं, कि वो कहाँ हैं ?सारी  परियाँ  उसे घेरकर खड़ी हो गयीं और वे सभी उत्सुकता पूर्वक उस आईने को देखने लगीं ,बहुत खोजने के पश्चात भी वो कहीं नहीं दिखीं। न ही उसे दिव्या कहीं दिख रही थी। पता नहीं ,उसने इन दोनों को कहाँ छिपा दिया ?ऋतू ने तो सोचा था ,-शायद यहीं से उसे कोई सहायता मिले किन्तु ये लोग तो उससे पहले ही परेशान हैं। निराश होकर ऋतू वहीं बैठ गई ,सोचा -शायद इस आईने ने अपना काम करना बंद कर दिया है और अपना वो आईना भी ,पास में ही रख दिया, और उन परियों से बातें करने लगी- कि ऐसी जगह में तुम्हारी परी कैसे जीवित होगी ?यहाँ तो इस स्थान के अलावा कोई अन्य स्थान नहीं दिख रहा ,जहाँ परी रह सकती हो। तभी एक परी  की दृष्टि ,उस आईने पर गयी ,जहां कुछ नजर आ रहा  था ,तभी वो चीख़ी -मिल गया स्थान.... मिल  गया स्थान !सभी उसकी तरफ देखने लगे ,उसने आईने की तरफ इशारा किया। सबने उधर देखा, तो दंग रह गए -वो स्थान और कहीं नहीं था ठीक उनके ऊपर लटक रहा था। यानि उसने परी रानी को ,उसी की सखियों के संग ,अदृश्य करके लटका रखा था। वो उन्हें देख सकती थी किन्तु उनसे बात नहीं कर सकती थी ,न ही मिल सकती थी। ऊपर भी बहुत सुंदर बगीचा था ,उसमें सभी सुख -सुविधाएं थीं किन्तु 'रानी परी ,किसी कैदी की तरह रह रही थी। उसने अपना माया -जाल ऐसा बिछाया था कि वो उस बगीचे से बाहर नहीं आ सकती थी। 


अब परी  रानी तो मिल गयी ,किन्तु उन्हें इस कैद से छुटकारा कैसे दिलायें ?कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी उस बोलने वाली परी ने ध्यान लगाया और कुछ पल इसी तरह रही ,तभी एक बग्गी उड़ती हुई ,उस नगरी आ पहुँची, जिसे देखकर ऋतू हंसने लगी और बोली -इस बग्गी से क्या होगा ?इसमें न ही तुम लोग ,न ही मैं आ सकते हैं ,इसमें तो मेरी अंगुली भी न आये। अभी वो ये बात कह ही रही थी कि वो बग्गी बड़ी हो गयी। ऋतू की आँखें आश्चर्य से फैल गयीं  ,तभी वो परी बोली -हम परिस्थिति के अनुरूप अपना आकार छोटा -बड़ा कर सकते हैं। ये'' ज्ञानयोगी ''का माया जाल है ,उसे तुरंत ही आभास हो जायेगा। इसीलिए जो भी करना है ,शीघ्र ही करिये। ऋतू उस बग्गी पर ,शीघ्रता से चढ़ी और ऊपर पहुंच गयी। किन्तु वो बाहर ही रह गयी ,तांत्रिक के जादू के कारण अंदर नहीं जा पा रही थी। तभी उसने वो जल निकाला और उसकी कुछ बूंदें ,उस मायाजाल के ऊपर डाली ,एक काले  धुएँ के साथ उसका तंत्र टूटने लगा।


 

तंत्र के टूटते ही ,परी  को ऋतू दिखी और उसे देखकर ड़र गयी। तब ऋतू बोली -मैं आपको छुड़ाने आई हूँ ,''परी रानी 'आइये !इस बग्गी पर बैठ जाइये। परी तुरंत ही ,कूदकर उस बग्गी में बैठ गयी। परी के कूदते ही वो स्थान भी ग़ायब हो गया। जब वो लोग नीचे आये ,तब सभी परियां उस बग्गी में चढ़ गयीं। तब परी ने एक छड़ी ऋतू को दी और बोली -ये छड़ी ,दूर से ही मार करेगी ,बस तुम इसे आज्ञा देना और अपना कार्य करके लुप्त हो जाएगी ,उसके कहते ही ,वो बग्गी एक माचिस की डिब्बी जैसी छोटी हो गयी और उसकी आँखों के सामने ही गायब भी हो गयी। उन सबके जाते ही ऋतू अकेली रह गयी तब उसे  फिर  से ध्यान आया -दिव्या कहाँ है ?पहले तो वो उस स्थान से आगे बढ़ गयी ताकि उस तांत्रिक को पता चले, कि परी रानी स्वतंत्र होकर जा चुकी हैं तो अवश्य ही क्रोधित होगा ,शायद कोई तबाही ही मचा दे। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post