Ghatiyon ke beech ek shahr [part 4 ]

अभी तक आपने पढ़ा ,राहुल झरने में नहा रहा था और तभी उसे एक रास्ता दिखता है और वो उसके अंदर चला जाता है। वहां एक अलौकिक दृश्य दिखता है और वो उसकी भूल -भुलैया में फंस जाता है ,इससे पहले कि कुछ समझ पाता ,उससे पहले ही उसे कैद कर लिया गया। राहुल को  ढूँढ़ते हुए ,चारों वापस उसी गांव में आते हैं ,तभी उन्हें पास के जंगल से , राहुल के चिल्लाने की आवाज़ आती है ,वे उसे छुड़ाने के लिए ,जंगल की ओर जाते हैं और बिना सोचे -समझे ही ,कार्तिक उस जंगल में घुस जाता है। जैसे ही ,वो उस जंगल में क़दम रखता है वो वहां की भूमि में समा  जाता है। मेहुल ,ऋतू  और दिव्या उन्हें खोजते हैं ,तब वो गांव की उस आवाज़ से सहायता लेते हैं। और वो उनकी सहायता तो नहीं कर पाती  है किंतु उन्हें सुझाव अवश्य  दे देती है।अब आगे - 
ऋतू मेहुल को सुझाव देती है -जब राहुल गायब हुआ ,तब वो नहा रहा था ,तुम भी नहाकर देख लो ,शायद कोई समाधान मिल जाये, किन्तु मेहुल को लगा -कि ऋतू हँसी कर रही है, बोला -ऋतू इस तरह हंसी करना ठीक नहीं ,हमारे दो दोस्त ग़ायब हैं। ऋतू बोली -मैं कोई हँसी नहीं कर रही ,मैंने तो तुम्हें ,सच में ही  एक सुझाव दिया था।मेहुल को लगा -कह तो ये सही रही है ,सोचकर वो उस झरने के पास जाता है और उसी स्थान पर खड़ा हो जाता है। कुछ देर ऐसे ही इधर -उधर देखता है ,और उसे वो सुरंग दिख जाती है।

पहले तो वो उसमें अंदर प्रवेश करता है किन्तु बाहर आकर उन दोनों को भी बुला लेता है। ऋतू ,दिव्या यहां आओ !देखो यहां कोई सुरंग है। दोनों उधर ही जाती है और झरने के पानी में प्रवेश कर जाती हैं। तीनों उस सुरंग में चलते -चलते उसी स्थान पर पहुंच जाते हैं ,जहाँ राहुल को वो सीढियाँ दिखीं थीं। इतना भव्य शहर ,देखकर उनकी आँखें फटी की फटी रह जाती हैं। अब क्या किया जाये ?तीनो ने ही मिलकर निर्णय लिया -हम नीचे जायेंगे। अभी वो आधी  सीढ़ी  ही उतरे थे। तभी ऋतू और दिव्या को उन्हीं 'मानव पक्षी' ने पकड़ लिया और उन्हें लेकर उड़ गए। वे चीखती -चिल्लाती रहीं ,मेहुल उन्हें छुड़ाने के लिए जैसे ही नीचे की सीढ़ी  तक पहुँचा ,वैसे ही किसी ने उसे पकड़कर खींच लिया। 
मेहुल भी अब उसी कोठरी में बंद था जिसमें पहले से ही राहुल था। मेहुल को देखते ही राहुल उससे लिपट  गया और बोला -ये शहर सुंदर और अद्भुत होने के साथ -साथ रहस्यों से भरा है। तब मेहुल ने उसे बताया -दिव्या और ऋतू को वो' मानव  पक्षी 'उठाकर ले गया। तब राहुल बोला -वो मुझे भी तो उठाने आया था ,किन्तु मुझे उससे पहले ही किसी डरावने से दिखने वाले व्यक्ति ने ,अपने पास खेंचकर मुझे बचा लिया। किन्तु मैं अभी तक समझ नहीं पाया हूँ, कि मैं बच गया हूँ या फिर एक जाल से निकलकर दूसरे जाल में फंस गया हूँ। क्या  मतलब ?मेहुल ने पूछा। राहुल बोला -मुझे लगता है ,वो पंछी हमें बचा रहे थे ,क्योंकि वो व्यक्ति तो बहुत ही डरावना और शायद कोई कापालिक या तांत्रिक है। तूने सोचा नहीं ,यदि वो हमें बचाता तो इस तरह कैद नहीं करता और किसी सुरक्षित स्थान पर छोड़ता। 
            उधर दिव्या और ऋतू को एक सुंदर महलनुमा स्थान में, ले जाकर छोड़ दिया जाता है। वे चीख़ती हैं -तुम लोग कौन हो ?हमें यहां किसलिए लाया गया है ?हमें जाना है, तभी उनके लिए वो ही, शर्बत प्रस्तुत किया जाता है।दिव्या उस द्रव्य को देखकर ,पूछती है -ये क्या है ?ये तो हमें उस गांव में भी दिया गया था । अवश्य ही इस स्थान का उस गांव से कोई संबंध है। उन्होंने  उस द्रव्य को पीकर समाप्त किया ही था कि एक लम्बे कानों वाला व्यक्ति ,उनके समीप आता है और कहता है -ये द्रव्य तुम्हारी सुरक्षा करेगा और तुम्हें सकारात्मक ऊर्जा  से भर देगा। ऋतू बोली -किससे सुरक्षा करेगा ? ये द्रव्य कैसे सुरक्षा कर सकता है ?लंबकर्ण बोला -आपके सभी सवालों के जबाब मिल जायेंगे ,अभी आप आराम करिये और ये समझिये -जब तक यहां हैं ,आप दोनों सुरक्षित हैं। कहकर वो जाने ही वाला था तभी दिव्या बोली -हमें अपने दोस्तों को ढूँढ़ने जाना है और फिर अपने घर ,हमें नहीं चाहिए -आप लोगों की सुरक्षा। लंबकर्ण बोला -उन्हें ही हमारे सिपाही ख़ोज रहे हैं ,यदि शीघ्र ही नहीं मिले तो उनके प्राण संकट में हो सकते हैं कहकर वो बाहर चला आ या। दोनों सहेलियां एक -दूसरे का मुख देख रही थीं और उनके मन में एक ही प्रश्न घूम रहा था कि यहां हमें किससे हानि हो सकती है ?यहां हमारा  शत्रु कौन  है ?हम तो किसी को जानते भी नहीं।

 
उधर मेहुल और राहुल ,योजना बनाते हैं ,अबकि बार यदि कोई आया ,तो हम उससे लड़ेंगे और यहां से भाग जायेंगे। पता नहीं, कितनी देर या कितने दिनों तक वो उस अँधेरी कोठरी  में बंद रहे ?तब एक व्यक्ति ने दरवाजा खोला ,उसका शरीर देखकर, दोनों ने ही उससे लड़ने का विचार त्याग दिया और अभी कार्तिक को भी ढूँढना है और पता नहीं वो'' मानव पंछी''उन दोनों लड़कियों को कहाँ ले गए होंगे ? सोचकर चुपचाप उसके संग चल दिए। वो उन्हें अँधेरे कमरे से निकालकर ,अँधेरे रास्ते में से  ही लेकर जा  रहा था। उन्हें तो कुछ सूझ ही नहीं रहा था ,कि हम कहाँ हैं ,और कहाँ जा रहे हैं ?उन्होंने तो सोचा था -बाहर निकलते ही इसे चकमा देकर भाग जायेंगे ,किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वो सीधे चले जा रहे थे ,कुछ देर इसी तरह चलते रहने पर ,वे एक खुले मैदान में थे ,किन्तु वो भी ऊंचाई लिए था ,उसके चारों ओर अग्नि प्रजव्वलित हो रही थी। मेहुल और राहुल ने देखा -वहां उपस्थित सभी व्यक्ति एक ही वेशभूषा में थे। सभी बलिष्ठ लग रहे थे, सभी खूंखार  थे और राक्षसों की तरह हँस रहे थे। मेहुल बोला -आप लोग हमें यहां क्यों लाये हो ?हमने आप लोगों का क्या बिगाड़ा है ?इतनी सुंदर नगरी ,अंदर से  इतनी  कुरूप। तभी एक लाल और बड़ी आँखों वाला व्यक्ति वहां उपस्थित हुआ और बोला -ये सभी मेरे इशारों पर चलते हैं ,ये मेरी ''पाताल  नगरी'' है ,इस पर मेरा राज्य है। हम तुम लोगों  को भी अपने वश में करके ,अपने सिपाहियों में शामिल कर लेंगे। और यदि हम न माने तो राहुल बोला। उत्तर में ''रक्ताक्षी ''पहले तो हंँसा फिर बोला -इन लोगों में भी कइयों ने ऐसा ही कहा और आज तुम देख ही रहे हो। इन सबसे तुम्हें क्या मिलेगा ,तुम ऐसा क्यों कर रहे हो ?मैं अपनी शक्तियां बढ़ाना चाहता हूँ और उस ''स्वर्ण नगरी ''पर अपना  आधिपत्य स्थापित  करना चाहता हूँ। इस बीच वहाँ खड़े और सिपाहियों ने एक हवन कुंड सा बनाकर, अग्नि प्रज्वलित कर दी।  
                उनके क्रियाकलाप देखकर ,राहुल थोड़ा हिल गया, वो समझ नहीं पा  रहा था -कि ये लोग क्या करने वाले हैं ?क्या हमारी बलि देंगे या फिर कोई जादू -टोना। मेहुल बोला -ये सब आप क्यों कर रहे हैं ?आप लोग क्या चाहते हैं ?वो हँसा और कुछ मंत्र पढ़ने लगा -जिस कारण दोनों के मष्तिष्क में भयंकर  पीड़ा होने लगी। राहुल और मेहुल ने एक दूसरे को देखा -राहुल धीरे से बोला -ये राक्षस या तो हमारे मानस पटल से हमारी स्मृतियाँ मिटा देना चाहता है या फिर हमें सम्मोहित कर अपने वश में करना चाहता है। इससे पहले कि  ये सफल हो ,कुछ करो ! तभी मेहुल जोर -जोर से चीखने लगा वो व्यक्ति मंत्र पढ़ते हुए रुक गया और उसकी तरफ देखने लगा- कि ये क्या कर रहा है ?मेहुल बोला -जो भी करना है ,करो !किन्तु हमारा एक दोस्त और भी है ,उसे भी बुलवा लीजिये। ''रक्ताक्षी ''जोर से हँसा और उसने एक मंत्र पढ़ा ,तभी उन्हें उसी जंगल का दृश्य दिखा किन्तु नीचे का हिस्सा यानि की जड़ें। कार्तिक वहां फंसा हुआ था और वो बाहर आने के लिए छटपटा रहा था। उसे देखकर वहां उपस्थित सभी डरावने राक्षस हँसे। 

                मेहुल बोला -ये इस जंगल से क्यों नहीं निकल पा रहा है ?वो राक्षस हँसा और बोला -ये दिखने में जंगल है, किन्तु ये हमारा क़ैदख़ाना है। इन पेड़ों की जड़ें विशिष्ट हैं ,व्यक्ति इनसे निकलकर जैसे भी  बाहर आने का प्रयत्न करेगा ,उतना ही पीछे चला जायेगा। अपनी पीड़ा और परेशानी भूल राहुल बोला -ऐसा क्या है ,इनमें ?ये घना जंगल है ,और इसमें सूरज का प्रकाश भी इतना नहीं आ पाता और इन पेड़ों की जड़ें उस प्रकाश को पाने के लिए आगे बढ़ती हैं ,और इसमें कैद व्यक्ति जहां से चलता है ,वहीं पहुंच जाता है। हमें हमारे दोस्त से मिला दो ,फिर चाहे कुछ भी कर लेना मेहुल बोला। अभी वो वहां सुरक्षित है, कहकर वो फिर से मंत्र पढ़ने लगा। दोनों को फिर से अपने मष्तिष्क में पीड़ा होने लगी। दोनों ने एक -दूसरे की तरफ देखा जैसे अंतिम बार देख रहे हों और दोनों मूर्छित हो गए। ''रक्ताक्षी ''बोला -ये मानव तो बहुत कमजोर हैं शीघ्र ही मूर्छित हो गए ,अत्यधिक  वाचाल और चतुर भी हैं, इन पर विशिष्ट दृष्टि रखना।
        उधर दिव्या और ऋतू उस कमरे में बंद तो थीं, किन्तु अभी भी किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाई थीं कि ये लोग सही हैं या ग़लत। यदि अच्छे लोग हैं ,तो हमें यहां क्यों  कैद किया हुआ है ?या फिर हमारी सुरक्षा कर रहे हैं, तो किन लोगों से ?हमारे दोस्त भी पता नहीं, कहाँ और किन हालातों में होंगे ? क्या हम यहीं बैठे रहेंगे ?अपने दोस्तों को नहीं छुडवायेंगे। हमें अपने घर भी जाना है ,अभी वो दोनों ये ही बातें कर ही रहीं थीं -तभी एक'' दिव्य व्यक्ति ''  वहां  प्रवेश करते हैं और उनसे पूछते हैं -क्या तुम्हें अपने दोस्तों को नहीं छुड़ाना ?उनकी बात सुनकर वे दोनों एक -दूसरे की तरफ देखने लगती हैं। 





















laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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