Ghatiyon ke beech ek shahr [ part 3 ]

अभी तक आपने पढ़ा ,पाँचों दोस्त किसी पहाड़ी स्थल पर घूमने जाते हैं ,और वहां से घाटियों में उतरते हैं ,और  किसी अनजान और ''अजूबे ''गांव में पहुंच जाते हैं। वहां के लोग भी अजीब हैं ,वो किसी से भी कोई प्रश्न पूछते हैं, तो अनजान स्थान से आवाज आती है ,और वो आवाज भी उसे ही सुनाई पड़ती है जो प्रश्न करता है। उन्हें ,उस गांव में फोटो खींचते और घूमते अंधेरा हो जाता है। उनके दो दोस्त जाने का प्रयत्न भी करते हैं किन्तु वापस लोेट आते हैं। पांचों वहीं सोते हैं किन्तु मेहुल रात में एक अजीब स्थान पर पहुंच जाता है किन्तु उसे लगता है कि वो अवश्य ही किसी अन्य स्थान पर गया था या फिर उसका सपना। इसी दुविधा में उसे फिर से नींद आ जाती है। अब आगे -


मेहुल ,मेहुल....... अरे उठ जा !देख कितना दिन निकल आया ?दिव्या न जाने इतनी देर से उसे पुकार रही थी। मेहुल उठा -उसने देखा सभी दोस्त अपना सामान लिए खड़े हैं ,वो उठा और एकदम से बाहर की तरफ भागा ,उसने देखा -वो गांव, उनमें रहने वाले सभी व्यक्ति अपने  -अपने कार्य में व्यस्त थे , वो पुनः अंदर  आया।उसकी इन हरकतों को देखते हुए ,दिव्या  बोली -एक तो तू इतनी देर से उठा है और ऊपर से ये कैसी हरकतें कर रहा है ?क्या हो गया है ,तुझे ?तू तो सबसे पहले ही सो गया था। और ये जो कटोरे में शर्बत था तूने कब पीया ?मेहुल उठ तो गया था किन्तु अपने उसी रात वाले सपने में ही खोया था। वो अपने आप से ही जूझ रहा था। उसका दिल कह रहा था- कि वो एक सपना था, और मस्तिष्क ये मानने  के लिए तैयार नहीं था। उसे लग रहा था -वो अवश्य ही किसी दिव्य स्थान पर गया था। सोचा -अपने दोस्तों से बता दूँ किन्तु ये लोग विश्वास  नहीं करेंगे। मैं इनकी जगह होता, तो शायद मैं भी विश्वास  नहीं कर पाता। उसने कुछ निर्णय लिया और अपना सामान लेकर बोला -चलो ! ऋतू बोली -यार... तुम लोगों ने एक बात देखी या महसूस की ,ये पहाड़ी इलाका होने के बावजूद भी ,हमें रात में  यहां ठंड नहीं लगी। हाँ यार ,ये स्थान कुछ अलग है। तुम लोगों ने एक बात और नोट की ,इस स्थान के नाम  की  कोई तख़्ती  भी नहीं है। 
अभी वो लोग ऐसे ही आगे बढ़ रहे थे ,तभी एक बहुत ही मनोरम दृश्य देखकर ,रुक गए। राहुल बोला -कितना सुंदर दृश्य है और साथ में झरना भी ,कहकर वो वहां की तस्वीरें  लेने लगा। दिव्या बोली -आओ यहीं नहा भी लेते हैं और वो उसके समीप चली गयी। उसके पीछे वे चारों भी। राहुल ने तो अपने कपड़े उता रे और उस झरने के नीचे नहाने लगा। ऋतू और दिव्या बाहर ही बैठी रहीं ,बोलीं तुम तो अपने वस्त्र उतारकर नहा सकते हो। हम तो अपने और कपड़े लाये ही नहीं ,कहकर दिव्या वहां की तस्वीरें उतारने लगी। मेहुल और कार्तिक भी नहाने के लिए तैयार थे ,तभी राहुल झरने के थोड़ा अंदर चला गया और उसने देखा -वहां तो एक बड़ी सुरंग जैसा स्थान है ,वो और आगे गया। अब तो वहाँ  पानी भी नहीं था ,वो थोड़ा -थोड़ा करके आगे बढ़ता रहा और वो सुरंग के दूसरे छोर पर जा पहुँचा। उसने देखा -वहां तो एक बहुत सुंदर नगर बसा है ,इतना अद्भुत ,अद्वितीय। उसकी आँखें आश्चर्य से फैल गयीं। वो भूल गया ,उसके दोस्त भी उसके संग हैं। कुछ देर यूँ ही खड़े देखता रहा ,उस स्थान से उतरने के लिए सीढियाँ भी थीं। वो उतरना चाहता था ,तभी उसे अपने दोस्तों का स्मरण हो आया और वो उन्हें बुलाने के लिए वापस जाने के लिए मुडा  किन्तु वो किस रास्ते से जाये  ?समझ नहीं आया। स भी एक जैसे लग रहे थे।वो उस शहर की दिव्यता में इतना खोया कि उसे स्मरण ही नहीं रहा कि वो किस रास्ते से आया था ?या फिर उस समय एक ही सुरंग का रास्ता था या फिर अनेक। एक -दो के अंदर भी गया तो उनमें भी अनेक रास्ते बने हुए थे। जिस रास्ते से वो आया था वो तो सीधा था। अब तो उसे वापस जाने की इच्छा हुई किन्तु किस रास्ते जाये ?यही सोचकर उसकी रुलाई फूट पड़ी। 

उधर राहुल अचानक न जाने कहाँ  चला गया ?सोचकर उसके दोस्त परेशान हो रहे थे। वो एकाएक उनकी नजरों के आगे से गायब हो गया था। उधर राहुल ने सोचा -थोड़ा इंतजार कर लेता हूँ ,क्या मालूम ,मुझे ढूँढ़ते हुए मेरे दोस्त इधर आ जाएँ ?बहुत समय हो जाने के पश्चात भी जब कोई नहीं आया तो वो आगे बढ़ा -और उन सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा। जब वो नीचे पहुंचने वाला ही था तभी एक आया वो उसे '' पक्षी मानव ''उसे पकड़ना चाहता था। राहुल उसे देख डर गया ,इससे पहले कि वो कुछ समझ पाता ,किसी ने उसे पकड़कर खींच लिया और एक अँधेरे कमरे में ले लिया। उस अँधेरे कमरे में एक दिया टिमटिमा रहा था। बाहर के प्रकाश से वो इस अँधेरे कमरे में धीरे -धीरे देखने का अभ्यस्त हुआ। उसने उस प्रकाश में देखा -एक व्यक्ति उससे पीठ किये खड़ा था। राहुल बोला -धन्यवाद !जो आपने मुझे उस पक्षी से बचाया। आप कौन हैं ?और ये क्या स्थान है ?वो व्यक्ति पीठ किये ही बोला -तुम घबराओ  नहीं ,तुम यहां सुरक्षित हो ,कहकर जैसे ही वो पलटा ,राहुल की चीख़ निकल गयी। वो एक डरावना भद्दा व्यक्ति था। उसने राहुल को उसी हालत में छोड़ा और बाहर निकल गया। राहुल बाहर निकलने के लिए ,उसके पीछे दौड़ा किन्तु उसके वो बड़े -बड़े दरवाजे अब बंद हो चुके थे। राहुल अपनी हालत देखकर रोने लगा और सोच रहा था -इस डरावने व्यक्ति ने मुझे बचाया या फिर फंसा दिया। 
राहुल के  दोस्त उसे ढूंढते हुए ,पुनः उसी गांव की ओर  प्रस्थान करते हैं। तभी उन्हें राहुल की आवाज़ सुनाई दी -दिव्या मुझे बचाओ !कार्तिक मुझे बचाओ !वे चारों उस आवाज़ पर अपना ध्यान केंद्रित करने लगे। उन्होंने महसूस किया -वो आवाज़ उस जंगल से आ रही थी। वो उधर की तरफ दौड़े और जैसे ही कार्तिक ने उस जंगल में कदम रखा ,वो सीधे नीचे धंसता चला गया। इससे पहले कि मेहुल ,दिव्या और ऋतू उस तक पहुंच पाते वो ,उस स्थान में समा चुका था और वहां का स्थान समतल हो चुका था। वे तीनों ठगे से खड़े रह गए। समझ नहीं आया, कि क्या करें ?उन्हें उस जंगल से अभी भी कार्तिक और राहुल की आवाजें आ रही थीं। यह देख ,वे दोनों लड़कियां तो रोने लगीं और मेहुल को कोसने लगीं -तेरे ही कारण ,ये सब हुआ ,तू ही जानना  चाहता था कि इस अजूबे गांव में क्या ''अजूबा ''है ?अब कर ले, इन रहस्यमयी चीजों का अध्ययन। हम उन्हें छोड़कर कैसे जा सकते हैं ?गए भी तो ,उनके मम्मी -पापा को क्या जबाब देंगे ?तुझे पता है ,-जब कल मैं और  राहुल वापस जा रहे थे ,तब हमें वो रास्ता ही नज़र नहीं आया और एक रास्ते पर जब हम जाने  भी लगे तो न जाने, कितनी काली परछाइयों ने हमें घेर लिया ?इसीलिए हम लोग वापस आ गए। अब हम इस गांव में इन गूंगे लोगों के बीच फँस चुके हैं। 

           मेहुल को भी अपना वो सपना स्मरण हुआ ,अब तो उसे लग रहा था -वो सपना नहीं अवश्य ही कोई सच्चाई है। मैं उस व्यक्ति को देखकर भागता नहीं तो ,मैं भी फँस जाता और उसने अपने साथ जो रात में घटना घटी, उन लोगों को भी बता दी।वो एक दूसरे का मुँह देख रही थीं और सोच रही थीं -क्या ऐसा कुछ हो सकता है ?उनके दो दोस्त ग़ायब थे। वो गांव के नजदीक आकर बोले -कोई तो बता दो ,हमारे दोस्त कहाँ हैं ?तभी वो आवाज़ गूंजी -वो जिस रास्ते गए हैं ,उसी रास्ते ढूंढों ,इससे पहले वो शर्बत पी  लेना और सतर्क रहना। बस इतनी ही सहायता कर सकते हैं और हां ,एक बात और ये जो तुम्हारे दोस्त सहायता के लिए पुकार रहे हैं ,ये सब भृम है।  उनके कुछ कहने से पहले ही वो शर्बत उनके लिए आ गया। दिव्या बोली -क्या है ,इस शर्बत में ?मेहुल बोला -चुपचाप पी लो ,भूख भी तो लगी है, कहकर तीनों ने वो शर्बत पीया। अब वो लोग सोचने लगे -कैसे उन तक पहुंचा जाये ?कुछ समझ नहीं आ रहा। यदि जंगल के रास्ते गए ,तो पता नहीं कहाँ पहुंचेंगे ? यदि जल के रास्ते गए तो भीगेंगे ही किन्तु ये ज्ञात तो रहेगा,कि हम कहाँ जा रहे हैं ? दिव्या ने झरने के आस -पास से कुछ छोटे -छोटे  पत्थर  उठा लिए। मेहुल उस मार्ग को ढूँढ रहा था जिस मार्ग से वो अचानक गायब हुआ। ऋतू बोली -जब वो गायब हुआ तो नहा रहा था ,तुम भी नहाकर देख लो। मेहुल बोला -ये हंसी -ठिठौली का समय नहीं है। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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