कामिनी का पति निहाल अभी तक उसके पास नहीं आया ,इतनी बड़ी हवेली ,जिसमें कामिनी अपने विवाह के बाद की रस्म ,निभाने अपने पति निहाल के गांव आती है, किन्तु इतनी बड़ी हवेली में सब अपने -अपने कार्यों में व्यस्त हैं। एक रात ही उसे उस हवेली में रहना है ,उसके साथ चम्पा की बेटी दीपा रहती है किन्तु रात में उसे भी अपनी माँ की याद आती है और चम्पा उसे लेने आती है। बातों ही बातों में ,चम्पा अपनी बहन की बेटी सोनी का क़िस्सा उसे सुनाती है ,इस कारण कामिनी का समय भी कट जाता है। सोनी को पढ़ाने के बहाने एक ''समाज -सेविका ''उसे अपने साथ ले आती है ,वो सोनी से घर के सभी कार्य करवाती है, कुछ दिन रहने के पश्चात उसका पति ''सोनी ''के साथ ज़बरदस्ती करता है। योजना के तहत ''समाज -सेविका ''सोनी का अपहरण करवाती है, किन्तु उसे पता चलता है -कि अपहरण सोनी का नहीं ,उसकी अपनी बेटी ''दीपशिखा ''का हुआ है। इस सदमे में वो पागल सी हो जाती है और सोनी को ढूँढ़ने के लिए पुलिस और बदमाशों का सहारा लेती है किन्तु सोनी तो उसके अपने घर में ही होती है। अब आगे -
उसे देखकर वो चिल्लाती है ,-तुमने मेरी बेटी के साथ ऐसा क्यों किया ?सोनी बोली -जब तुम मुझे मेरे माता- पिता के पास से, झूठ बोलकर लाई ,तब नहीं सोचा -मैंने और मेरे माता -पिता ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था ?आज तो सोनी उसके हर सवाल का जबाब दे रही थी। आज जैसे उसे किसी का भी भय नहीं था। बोली -तुम्हारा पति ही काफी नहीं था ,जो मुझे बेचने चली थी। मैंने भी तो तुम्हें एहसास कराया ,कि जो दर्द तुम मुझे दे रही हो, जब तुम्हारे किसी अपने को मिलेगा ,तब क्या होगा ?हँसकर बोली -पैसे तो पूरे दिए न उन लोगों ने ,तुम्हारी बेटी तो मुझसे भी छोटी और नाजुक़ थी , उन लोगों को तो उसने खुश कर दिया होगा। उसकी बात सुनकर वो तेजी से दहाड़ी और उसे मारने के लिए ,उस पर झपटी।
तभी एक सिपाही वहां आया और बोला - तुम्हारी बेटी की हालत नाजुक़ है और जो दूसरी लड़की सोनी ,वो हमें नहीं मिली। उसका मन किया ,कि वो कहे ,कि लड़की मेरे ही घर में थी किन्तु न जाने क्या सोचकर वो हस्पताल की ओर दौड़ी। वहाँ उसकी बेटी ,अपने दर्द को झेलते हुए उस ज़िंदगी से जूझ रही थी। अपनी माँ को देखकर बोली -आपने अच्छा नही किया ,मैं जीना.... चाहती थी...... कहकर वो अपनी माँ के हाथों में झूल गयी।
उसने अपनी बेटी का दाह संस्कार किया और एक फैसला भी। जिसके लिए इतना सब कर रही थी ,अब वो ही उसकी इकलौती बेटी ही न रही ,तो वो ही जीकर क्या करेगी ?अब तक तो समाचार -पत्रों में भी ये बात छप चुकी थी ,अभी तक सभी को ये पता था -कि'' समाज -सेविका'' की बेटी का अपहरण हुआ और बलात्कार भी ,जिस कारण मौत उसे लील गयी।असल सच्चाई तो कोई नहीं जानता था।''दीपशिखा ''को उसके अपने माता -पिता के बुरे कार्यों का दंड़ मिला था।
चाहती तो ,सोनी वहां से भाग सकती थी किन्तु वो जानती थी कि अपना बदला लेने के लिए ,उसने भी ठीक नहीं किया। वो उन्हें एह्सास दिलाना चाहती थी कि दूसरे का दुःख -दर्द कहने से ही ,नहीं समझ आता।वो महिला हमारी बेटी की ही नहीं न जाने कितनी बच्चियों के जीवन से खेली होगी ?और सभी की हिम्मत नहीं होती ,इस तरह बदला लेने की। सोनी चाहती थी ,कि वो पुलिस को सब बता देगी और अपने किये का पश्चाताप करेगी।
अपनी बेटी का दाह -संस्कार करके ,जब वो अपने घर लौटी तो सीधे अपने कमरे में गई और सीधे गोली हमारी बच्ची के सीने में दाग दी।
कामिनी बोली -उसका क्रोधित होना ,स्वाभाविक था ,आखिर उसकी बेटी मर गयी किन्तु उसे सोनी को नहीं मारना चाहिए था। फिर तो वो जेल गयी होगी ?
वो तो जब भी जेल जाती किन्तु असलियत भी तो सबको पता चल जाती कि असल में बात क्या थी ?अपने उसी सम्मान को बनाये रखने के लिए ,उसने सोनी को मार दिया और उसके ऊपर ही इल्ज़ाम लगाया कि ये लड़की बदमाशों से मिली हुई थी और उसने ही मेरी बेटी को उठवाया था। अब कामिनी को भी नींद आने लगी थी और जम्हाई लेते हुए बोली -ये सभी बातें तुम्हें कैसे पता चलीं ?
चम्पा बोली -मेरी बहन और जीजा ,उससे मिलने हस्पताल गए थे ,गोली लगने के बाद वो मरी नहीं थी ,गोली की आवाज़ सुनकर बाहर के कुछ लोग आ गए और उन्होंने उसे हस्पताल भिजवाया किन्तु वो बची नहीं।
कामिनी बोली -तुमने अपनी बेटी को ये ही सब क्यों बताया ?कि शहर में ही शैतान रहते हैं ,ऐसे व्यक्ति तो कहीं भी मिल जायेंगे ?गांव में भी। चम्पा बोली -दीदी जी , मैं आपकी बात मानती हूँ किन्तु गांव में ,यदि कोई ऐसा व्यक्ति होगा ,तो सबको पता रहता है। और ऐसे ही किसी की बहु -बेटी को छेड़ने की हिमाक़त नहीं करेगा क्योंकि ऐसे मामलों में ,सभी गांववाले एक हो जाते हैं। शहरों में ,कौन ,केेसा व्यक्ति रह रहा है,किस नियत का है ? किसी को पता नहीं होता। किसी की भी ,बहु -बेटी के साथ कुछ भी हो रहा हो ,कोई बीच में हस्तक्षेप नहीं करता। पता नही कौन सही ,कौन ग़लत है ?किसी का कुछ नहीं पता और यहाँ सभी एक -दूसरे को जानते हैं ,वैसे तो अब गाँव भी बदल रहे हैं फिर भी अभी शहरों से अच्छे हैं। क्यों, मैंने सही कहा ना ?चम्पा ने कामिनी की तरफ देखा जो बैठे -बैठे सो चुकी थी।
चम्पा ने उसे चादर उढ़ाई और स्वयं अपनी बेटी को कंधे से लगाकर ,दबे पांव बाहर आ गयी।
कामिनी उठती है ,और दबे पॉँव उसी बगीचे में चली जाती है। बहुत देर तक वो टहलती रहती है ,उस चांदनी रात में ,उसे घूमना अच्छा लग रहा है। तभी उसे एक अखाड़ा दीखता है ,वो उसके चारों और घूमती है। तभी वहां अचानक एक काला व्यक्ति , उसकी तरफ बढ़ता है।उसने उसे ध्यान से देखा ,शरीर से काफी ह्रष्ट -पुष्ट था ,कामिनी ने अंदाजा लगाया कि शायद ये इसी अखाड़े में आता हो। किन्तु वो कामिनी की तरफ बढ़ता जा रहा था ,अब तो उसे ,उससे डर लगने लगा। धीरे -धीरे उसका चेहरा भी भयानक लगने लगा। कामिनी को लगा ,शायद ये कोई शैतान है। अचानक उसने पीछे पलटकर देखा तो उसके पीछे कितने ही लोग उस काले व्यक्ति से डरे खड़े थे ?उनको डरते हुए देखकर ,कामिनी ने साहस से काम लिया और बोली -डरने की कोई बात नहीं है ,सभी एक साथ ''ॐ '' का जाप करो और वो स्वयं भी तेजी से जप करने लगी ,जैसे ही उसने ॐ......... स्वर खींचा ,तभी वो ऊपर उड़ने लगी और उसका सिर तेजी से छत पर जाकर लगा और उसका ॐ का जाप छूट गया और वो बड़ी तेजी से नीचे गिरी। नीचे गिरते ही उसकी आँखें खुल गयीं और उसने अपने को पलंग से नीचे पाया। उसका सारा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। वो अभी ये विश्वास ही नहीं कर पा रही थी कि ये सपना था या सच।
वो उठी ,वापस पलंग पर लेट गयी ,कमरे में ,लाल रंग का एक छोटा बल्ब जल रहा था। तभी उसे स्मरण हो आया कि चम्पा उसे अपनी भांजी सोनी का किस्सा सुना रही थी ,पता नहीं ,कब उसकी आँख लग गयी ?पहले तो वो करवट बदलते हुए ही डर रही थी ,उसे लग रहा था -जैसे वो काला पहलवान जैसा दिखने वाला व्यक्ति वहीं है ,फिर भी साहस करके पलटकर पलंग के दूसरी ओर देखा तो पलंग खाली था। इसका मतलब निहाल नहीं आया। उसे नींद नहीं आ रही थी , उसने डर के कारण ,चादर सिर से लेकर पैर तक तान ली। वो उस सपने को याद कर ,मन ही मन डर रही थी।
सुबह चम्पा की आवाज़ से उसकी आँखें खुली ,दीदी जी ,आप अभी तक तैयार नहीं हुईं ,नीचे मालकिन नाराज़ हो रही हैं। कामिनी उठी और तैयारी करने लगी। उसका चेहरा देखकर चम्पा बोली -दीदी जी ,क्या रात में नींद नहीं आयी या कोई डरावना सपना देख लिया ?
तुम्हें कैसे मालूम ?कामिनी ने पूछा। ये भी कोई कहने की बात है, आपका तो चेहरा ही बता रहा है ,चम्पा ने पूरे विश्वास के साथ कहा।
जब वो तैयार होकर बाहर आयी ,चम्पा वहीं बैठी थी ,बोली -क्या देखा ?कामिनी बोली -बड़ा ही अज़ीब और डरावना था।
मैं तो पहले ही कहती थी- कि नई बहु को ऐसे अकेला नहीं छोड़ते ,अभी तो हाथों से मेहँदी भी नहीं छूटी चम्पा ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।
नीचे आकर बोली -रात को बहुरिया ,डर गयी।देखा नहीं, कैसे चेहरा उतर गया है ? सास ने कामिनी की तरफ घूरकर देखा ,बोली -ज्यादा ही बगीचे में घूमने का शौक़ चढ़ा है ,अब चलो जल्दी !देर हो रही है और फिर उन्होंने आवाज़ लगाई , निहाल...... तैयार हो गया। निहाल बाहर आकर बोला -जी !
उस देखकर कामिनी को बहुत क्रोध आया और उसे देखकर मुँह फेर लिया।