Haveli ka rahsy [part 15 ]

''हवेली का रहस्य ''में अभी तक आपने पढ़ा -कामिनी ''अंगूरी देवी ''के बेटे निहाल सिंह से प्रेम करती है और उसका विवाह भी उसके संग हो जाता है।'' निहाल सिंह ''अपनी  मम्मी  का आदर - सम्मान करता है और कभी भी उनके विरुद्ध नहीं जाता। कई बार ऐसी परिस्थिति हो जाती हैं, कि कामिनी को भी अपना अपमान महसूस होता है।  निहाल सिंह अपनी  मम्मी का आदर  तो करता है किन्तु  कामिनी से प्रेम  भी करता है। कामिनी को निहाल की  कई बातें अज़ीब लगती हैं किन्तु वो उन पर ध्यान नहीं देती। एक बार तो वो  सपने में ड़र भी जाती है। उसके विवाह को तीन से चार बरस होने को थे कि उसकी  सास ' अंगूरी देवी 'उससे वारिस की मांग करती है किन्तु कामिनी अपने को  असमर्थ पाती  है। ख़ोजबीन के पश्चात उसे पता चलता है , किसी की कुदृष्टि उस पर पड़ी है।' पंडितजी' उसके हाथ में  एक ताबीज़ बांधते हैं और कहते हैं -ये जहाँ भी गिरा ,समझ लेना ,उसी जगह का कोई संबंध है। कामिनी 'अमावस्या 'पर अपनी हवेली आती है और वहाँ के बग़ीचे में उसका ताबीज़ गिर जाता है। यह देखकर वो परेशान होती है और अपनी मम्मी को फोन करती है। अब आगे -

अगले दिन कामिनी की मम्मी ,अपने उन पंडितजी को लेकर उसके गाँव की  हवेली पर आती है। उन्हें इस तरह देखकर ,अंगूरी देवी 'उनके आने का कारण पूछती है। वे उन्हें बताती हैं-'' कि पंडितजी यहाँ रहकर ,  पूजा -पाठ करना चाहते हैं।'' अंगूरी देवी  बोलीं -हमें इसकी कोई आवश्यकता नहीं। तब वो कहती हैं -मेरी बेटी के जीवन का प्रश्न है ,और तुम्हारे  घर के वारिस के लिए ,ये पूजा आवश्यक  है। उनकी बातें सुनकर न चाहते हुए भी ,वो वहां पूजा करने की इजाज़त दे देती हैं और स्वयं बाहर चली जाती हैं । अब तो उन्हें और आसानी हो गयी, पहले तो पंड़ितजी ने हवेली के'' मध्य स्थान '' में हवन किया ,ततपश्चात हवन की भभूति और कुछ सामान लेकर ,हवेली के पीछे वाले बगीचे में गए ,उनके जाते ही ,तेजी से पेड़ों के पत्ते  हिलने लगे। पंडितजी, उस भभूत की एक रेखा सी बनाते चले गये और उस कोठरी के दरवाज़े के तक  लेकर गए। उसके दरवाज़े पर ताला लगा था। कामिनी बोली -पंडित जी, क्या ये दरवाज़ा खुलवाना होगा ?पंडितजी बोले -अभी नहीं ,पता नहीं उसके अंदर कैसी आत्मा है, और कितनी शक्तिशाली ?उन्होंने उस स्थान पर नारियल फोड़ा तो वो अंदर से काला निकला। तब उन्होंने ,एक नींबू काटकर उस भभूत पर निचोड़ा ,उस  भभूत पर नीबू का रस पड़ते ही ,उसका रंग बदलने लगा और कुछ देर पश्चात वो स्थान खून की तरह लाल हो गया ,उसमें बुलबुले उठने लगे। 
पंडितजी बोले -सभी यहाँ से हट जाओ और स्वयं पंडितजी भी उस स्थान से दूर हो गए। कुछ देर बुलबुले उठते रहे फिर वहां काला धुंआ फैल गया। सभी पंडितजी का मुँह देख रहे थे ,पंडितजी बोले -यहां कोई बहुत ही शक्तिशाली आत्मा है और इतना ही नहीं ,उसकी शक्ति बढ़ाने के लिए कोई मदद भी कर रहा है। सब वापस हवेली में आ गए ,अब क्या करना है ?यही सोच रहे थे। पंडितजी बोले -वो आत्मा ,वहीं पर कैद है,उसका हवेली के अंदर कोई असर नहीं है।वो  किसी से बदला चाहती है , उसे कैद किया गया है वो उस जगह से बाहर नहीं आ सकती। किन्तु बाहर से भी कोई उसकी सहायता कर रहा है। 
मेरे जितना बस में था ,उतना मैंने किया, इससे आगे तो मेरे गुरूजी ही बता सकते हैं। वो बहुत ही पहुंचे हुए हैं ,कई तरह की सिद्धियां भी जानते हैं। वो वहीं बैठे -बैठे आधा कार्य कर सकते हैं ,अपने अंतर्ज्ञान से जान लेंगे -कि ये आत्मा कौन है ,और क्या चाहती है ?
तब कामिनी बोली -तब आप उन्हें बुला लीजिये ,वो कहाँ मिलेंगे ?

पंडितजी बोले -उनका कोई एक स्थान नहीं है ,वो तो ज्ञान की ख़ोज में जगह -जगह भटकते रहते हैं । 
उनकी बातें सुनकर कामिनी परेशान हो उठी ,बोली -फिर उनसे किस तरह सम्पर्क होगा ?उनसे कैसे मिलेंगे ? पंडित जी बोले -गुरूजी ने ,अपने सम्पर्क के लिए साधन तो बताया है किन्तु ,किन्तु क्या ?आप उस कार्य को करके शीघ्र ही उनसे सम्पर्क बनाइये या फिर हमें उनके  मिलने का स्थान बता दीजिये ,हम उनसे मिलने चले जायेंगे कामिनी बोली।
 पंडितजी उसकी बातें सुनकर मुस्कुराये और बोले -अबकि जो पूर्णिमा आयेगी ,वो कार्य मैं तभी कर सकता हूँ ,एक विशेष पूजा और साधना होगी ,तब उनका पता चल सकेगा कि वो कहाँ हैं ?हमारी समस्या के समाधान के लिए ,हमसे मिलना भी चाहते हैं या नहीं।
उनकी बात सुनकर कामिनी नाउम्मीदी से भर गयी ,बोली -अभी तो पूर्णिमा के भी पंद्रह दिन हैं ,उसके पश्चात ,आप पूजा करके पता लगाएंगे ,तब भी पता नहीं ,वो हमारी सहायता करना भी चाहेंगे या नहीं। तभी उसकी सास ने प्रवेश किया और बोलीं -हो गयी ,पूजा ?पंडित जी की तरफ देखकर बोलीं -आपने जो पूजा की है उसका परिणाम कब मिलेगा ?
पंडित जी बोले -अभी तो कई विघ्न हैं ,थोड़ा समय लगेगा।
कितना ?बस हमें तो इस घर का वारिस चाहिए। वैसे मैं इन सब चीजों को नहीं मानती किन्तु कामिनी की ज़िद पर मैंने पूजा की इजाजत दी। इसका भी दिल रह जायेगा किन्तु इन सबसे कुछ नहीं होने वाला उन्होंने अविश्वास से कहा। 
पंडितजी को इसमें अपना अपमान लगा -बोले -बच्ची बता रही है कि इसने सभी जाँच करा ली है किन्तु तब भी परेशानी है तो इसका मतलब ,ऊपर वाले का ही काम रह गया है। एक अदृश्य शक्ति है जिसे हम भगवान कहते हैं -पता नहीं ,उसने इस बच्ची के लिए क्या सोचा है ?या फिर वो इसके माध्यम से कुछ अच्छा कार्य करवाना चाहता है ,कहकर पंडितजी उठ खड़े हुए ,अच्छा ,अब चलता हूँ , इजाज़त दीजिये।
कामिनी की मम्मी भी उठीं और कामिनी के साथ अंदर गयीं। बोलीं -तू परेशान न हो ,जब परेशानी का कारण मिला है तो हल भी मिलेगा। मैं पंडितजी से बात करूंगी कि इस समस्या का कोई हल शीघ्र अति शीघ्र निकालें। कहकर वो भी पंडित जी के साथ ही वापस लोेट गयीं। 
कामिनी भी अपने पति के साथ वापस आ गयी ,उसके ससुर और उसकी सास वहीं हवेली में रह गए। एक दिन  कामिनी अपनी पड़ोसन से बातें कर रही थी तभी उसकी पड़ोसन ने उसे बताया कि शहर से दूर एक जंगल है उसमें एक तांत्रिक रहता है जो सभी समस्याओं का निदान कर देता है। बच्चे न होने पर भी अपनी तांत्रिक क्रिया द्वारा ,उसका भी समाधान करता है। 
एक दिन कामिनी अपनी पड़ोसन को साथ लेकर उसी तांत्रिक से मिलने चल दी। घने जंगल में होती हुई वे लोग आगे बढ़ रही थीं ,इतने घने जंगल में, वो पहली बार आई थी ,कामिनी को थोड़ी घबराहट होने लगी ,सभी रास्ते  भी एक जैसे ,लग रहे थे। वो अपनी पड़ोसन से  बोली -क्या तुम पहले भी कभी इधर आई हो ?वो बोली -नहीं ,मुझे तो जैसे -जैसे कमलेश ने बताया ,उसी के कहने पर आ गयी। तभी एक टीले के पीछे से धुँआ उठता उन्हें दिखा ,वो बोली -शायद ये ही वो जगह है। उन्होंने पहले उस स्थान को छिपकर देखने का प्रयत्न  किया कि कहीं वो फँस न जाएँ। वहां एक बुजुर्ग बैठा हुआ था। हवन कुंड की अग्नि प्रज्वलित हो रही थी ,उस तांत्रिक के पास ,एक खोपड़ी और कुछ सामान रखा था। वो कोई क्रिया कर रहा था। वे वहीं से उसे क्रिया करते हुए देखती रहीं ,उन्होंने उस क्रिया के बीच में जाना उचित नहीं समझा। 
उस तांत्रिक ने कुछ मंत्र से पढ़े ,और उस बुजुर्ग की अंगुली का खून उस खोपड़ी पर चढ़ाया और बोला -जा तेरा बेटा जहाँ भी है ,''उसकी शक्ति बढ़ेगी और तेरा संकल्प पूर्ण होगा।'' और कुछ क्रियाएं करके जब वो बूढ़ा जाने लगा तब कामिनी ने उसका चेहरा देखा तो दंग रह गयी। ये तो वो ही मम्मी जी के गांव वाला बूढ़ा है जिसका बेटा कई वर्षों से लापता है। वो उस बूढ़े के जाने तक, टीले के पीछे छिपी रहीं। अभी वापस जाने का सोच ही रहीं थी कि तांत्रिक की आवाज गूँजी -टीले से बाहर आ जाइये। ये आवाज़ सुनकर दोनों हैरान रह गयीं कि इसे कैसे पता चला ?कि हम लोग यहाँ छिपे हैं। अब छिपने का कोई लाभ भी नहीं था ,दोनों उस टीले से बाहर आ गयीं।उस तंत्रिक के इस तरह बुलाने से पड़ोसन बेहद प्रभावित हुई और  बोली - बाबा ,आपको कैसे पता चला ? कि हम यहाँ छिपे हैं। 

बाबा -बच्ची ,हम तंत्र विद्या जानते हैं ,हमसे मिलने के लिए या कोई भी गलत इरादे से इधर आ जाता है तो हमारी तंत्र विद्या हमें तुरंत ही सचेत कर देती है। अब बताओ ,इधर कैसे आना हुआ ?
वो कुछ कहना ही चाहती थी कि तभी कामिनी बोली -बाबा  ! ये जो बुजुर्ग़ यहां से गए हैं ,उन्हें क्या परेशानी थी ?तांत्रिक ने उसकी तरफ देखा ,बोला -कुछ नहीं ,इनका पुत्र गायब है ,वो जानना चाहते थे कि अब वो कहाँ है ?कामिनी बोली -कुछ पता चला ,अब वो कहाँ है ? 
जहां तक मेरी विद्या बताती है ,कि वो कहीं कैद है उस तक पहुँचने के लिए , मुझे अभी और साधना करनी होगी, किन्तु तुम क्यों जानना चाहती हो ?तांत्रिक ने पूछा। कामिनी संभलते हुए बोली -कुछ नहीं ,वो ज्यादा ही परेशान दिखाई पड़ रहे थे ,इसीलिए पूछा। तुम अपनी समस्या बताओ तांत्रिक ने कहा। 
कामिनी उसके क्रिया -कलाप देखकर ,उससे कुछ बताना नहीं चाहती थी किन्तु उसकी पड़ोसन बोली -इसके बच्चे नहीं हो रहे ,विवाह को कई बरस बीत गए। 
तांत्रिक ने ध्यान लगाया और मुस्कुराने लगा और बोला -कुछ विधियां होंगी ,और साधना करनी होगी। तुम रात में  पूर्णिमा पर आ जाना। रात का नाम सुनते ही कामिनी सिहर उठी और बोली -ठीक है ,मैं आ जाउंगी और प्रयत्न करने लगी , कि शीघ्र अति शीघ्र इस जंगल से बाहर निकल जाऊँ। बाहर आते ही उसने चैन की साँस ली। 
















 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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