अभी तक आपने पढ़ा -नंदिनी अपना गर्भपात करवाने के लिए इंकार कर देती है ,मजबूरन उसके माता -पिता उसे उसकी नानी के घर भेज देते हैं और वहीं रहकर वो अपनी बाक़ी की शिक्षा भी ग्रहण करती है। उधर डॉक्टर दीक्षित नंदिनी की मम्मी से उसके स्वास्थ्य के विषय में जानकारी लेते हैं किन्तु उसकी मम्मी छुपा जाती है। अब आगे -
नंदिनी नानी के घर रहने आ जाती है ,किन्तु नानी को जब उसकी हालत के विषय में पता चलता है, तब परेशान हो उठती हैं । कहती हैं -बेटा ,नारी की इज्ज़त ,सफेद कपड़े के समान उज्ज्वल होती है । इसमें तनिक भी दाग़ लगा तो उम्रभर नहीं छुटता, कितना भी साफ करो निशान रह ही जाता है ,वो उस कपड़े के साथ ही जाता है। जहां कहीं भी जाओगी ,वहीं पर लोग चार सवाल पूछेंगे। इज्ज़त पर लगा दाग़ भी उम्रभर नहीं जाता। ये समाज है, जिसकी हम एक इकाई हैं ,इसके भी कुछ कायदे कानून होते हैं वरना हर कोई अपनी इच्छानुसार ज़िंदगी जीने लगे तो समाज में अराजकता फैल जाये। कोई भी अपनी जिंदगी में, किसी की भी दखलंदाजी पसंद नहीं करता। लेकिन समाज के डर से ही कुछ गलत करने या होने से पहले सम्भल जाता है।ये समाज का ही ड़र है जो घर -परिवार बने हुए हैं, जिनसे मिलकर समाज बनता है।
आजकल की पीढ़ी को लगता है ,कि बड़े लोग हमारी ज़िंदगी में क्यों दख़ल देते हैं ?इतना सब तो तब भी हो ही जाता है, उसकी तरफ देखते हुए बोलीं। ताउम्र किस -किससे ,क्या कहती फिरोगी ?ऐसी औलाद नाजायज़ कहलाती हैं। क्या, ये बच्चा तुम्हारी उस गलती का जीवन भर बोझ उठाता रहेगा ?जब इससे इसके बाप का नाम पूछा जायेगा ,तो क्या जबाब दोगी ?नानी अब ज़माना बदल रहा है ,लोगों की सोच भी बदल रही है नंदिनी बोली। माना कि, ज़माना बदल रहा है किन्तु इस गलती की कहीं भी माफी नहीं है ,फिर इसमें इस बच्चे का क्या दोष ?नानी हमारा प्रेम पवित्र था ,हम तो विवाह करने वाले थे। एकदम वो हादसा हो गया। जब प्रेम पवित्र था ,तो ये सब विवाह के पश्चात भी हो सकता था। ऐसी लालसा जागी ही क्यों ?कल को यदि वो बदल जाता या माता -पिता के दबाब के कारण कहीं और विवाह कर लेता ,तब तुम कहीं की नहीं रहती और अब भी क्या ?जवानी के जोश में तुम बच्चे, न ही माता -पिता के सम्मान की सोचते हो ,न ही अपने ज़िंदगी के विषय में। क्या हमने यौवनावस्था नहीं देखी ?किन्तु हमने अपने माता -पिता का सम्मान और समाज के रीति -रिवाजों को समझा ,उनकी अवहेलना नहीं की। नानी अब जो हो गया ,उसे तो लौटाया नहीं जा सकता ,किन्तु संभाला अवश्य जा सकता है नंदिनी ने नानी को आश्वस्त किया ,और वो नानी के साथ रहने लगती है और उसी शहर में अपना दाख़िला भी करवा लेती है। जब तक उसका पेट नहीं दिख रहा था तो नानी को कोई परेशानी नहीं थी किन्तु जब उसका पेट बढ़ने लगा तो उनके कामवाली ने अड़ोस -पड़ोस में इसकी चर्चा भी की ,किन्तु नानी ने ,उसको कम उम्र में विधवा बताया और कहा कि इसके ससुराल वाले इसे तंग कर रहे थे इसीलिए ये यहां रहकर अपनी शिक्षा पूर्ण कर रही है। इस बात से उन लोगों में उसके प्रति सहानुभूति जगी और वो लोग भी उसकी सहायता के लिए तैयार हो गए।
आजकल की पीढ़ी को लगता है ,कि बड़े लोग हमारी ज़िंदगी में क्यों दख़ल देते हैं ?इतना सब तो तब भी हो ही जाता है, उसकी तरफ देखते हुए बोलीं। ताउम्र किस -किससे ,क्या कहती फिरोगी ?ऐसी औलाद नाजायज़ कहलाती हैं। क्या, ये बच्चा तुम्हारी उस गलती का जीवन भर बोझ उठाता रहेगा ?जब इससे इसके बाप का नाम पूछा जायेगा ,तो क्या जबाब दोगी ?नानी अब ज़माना बदल रहा है ,लोगों की सोच भी बदल रही है नंदिनी बोली। माना कि, ज़माना बदल रहा है किन्तु इस गलती की कहीं भी माफी नहीं है ,फिर इसमें इस बच्चे का क्या दोष ?नानी हमारा प्रेम पवित्र था ,हम तो विवाह करने वाले थे। एकदम वो हादसा हो गया। जब प्रेम पवित्र था ,तो ये सब विवाह के पश्चात भी हो सकता था। ऐसी लालसा जागी ही क्यों ?कल को यदि वो बदल जाता या माता -पिता के दबाब के कारण कहीं और विवाह कर लेता ,तब तुम कहीं की नहीं रहती और अब भी क्या ?जवानी के जोश में तुम बच्चे, न ही माता -पिता के सम्मान की सोचते हो ,न ही अपने ज़िंदगी के विषय में। क्या हमने यौवनावस्था नहीं देखी ?किन्तु हमने अपने माता -पिता का सम्मान और समाज के रीति -रिवाजों को समझा ,उनकी अवहेलना नहीं की। नानी अब जो हो गया ,उसे तो लौटाया नहीं जा सकता ,किन्तु संभाला अवश्य जा सकता है नंदिनी ने नानी को आश्वस्त किया ,और वो नानी के साथ रहने लगती है और उसी शहर में अपना दाख़िला भी करवा लेती है। जब तक उसका पेट नहीं दिख रहा था तो नानी को कोई परेशानी नहीं थी किन्तु जब उसका पेट बढ़ने लगा तो उनके कामवाली ने अड़ोस -पड़ोस में इसकी चर्चा भी की ,किन्तु नानी ने ,उसको कम उम्र में विधवा बताया और कहा कि इसके ससुराल वाले इसे तंग कर रहे थे इसीलिए ये यहां रहकर अपनी शिक्षा पूर्ण कर रही है। इस बात से उन लोगों में उसके प्रति सहानुभूति जगी और वो लोग भी उसकी सहायता के लिए तैयार हो गए।
एक दिन वो पैदल ही टहल रही थी तभी एक गाड़ी तेज़ी से उसकी ओर आती दिखी ,इससे पहले कि वो सम्भल पाती ,एक लड़के ने तेज़ी से अपनी ओर खींच लिया। नंदिनी बुरी तरह घबरा गयी थी ,उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। उस लड़के ने उसे बेंच पर बिठाया और पानी भी पिलाया।नंदिनी ने देखा -एक ह्रष्ट -पुष्ट नौजवान उसे अपनी बाँहों में थामे है ,नंदिनी ने अपने को उससे मुक्त किया और बोली -आप नहीं बचाते तो ये गाड़ी मुझे कुचल ही जाती और साथ ही ,उसने अपने पेट की तरफ देखा और सिहर गयी। वो बोला -मुझे लगता है ,वो गाड़ी वाला जानबूझकर इस ओर आया। नंदिनी को विश्वास नहीं हुआ ,बोली -कोई पीकर गाड़ी चला रहा होगा ,आप ? उसने बताया- कि मैं पास के मकान में ही किराये पर अकेला रहता हूँ । नंदिनी ने उसका धन्यवाद किया और घर जाने लगी ,तब वो बोला -अब आप अकेली मत जाइये ,मैं आपके साथ चलता हूँ। नंदिनी ने मना किया किन्तु वो नहीं माना और उसके साथ ,उसे छोडने के लिए आया। नंदिनी ने उसे चाय के लिए निमंत्रण दिया किन्तु उसने इंकार कर दिया। नंदिनी ने सारी बात नानी को बताई। नानी गहन सोच में पड़ गयी और उन्होंने उसे अब ,अकेले बाहर जाने के लिए मना कर दिया। वो सारा दिन प्रतीक की स्मृतियों में खोई रहती या अपनी पढ़ाई करती। अब वो अपने घर की छत पर ही टहलती ,एक दिन बड़ा सा पत्थर उसके पास आकर गिरा। उसने आस -पास देखा किन्तु कोई नहीं दिखा क्योंकि शाम का धुंधला सा हो गया था। , उस पर एक पर्ची थी जिस पर लिखा था ,इसे गिरा दो। और आराम से रहो। वो पर्ची उसने दादी को भी दिखाई ,कुछ समझ नहीं आ रहा कि किसने वो पत्थर फेंका ?अब तो नंदिनी को लगने लगा ,शायद वो गाड़ी भी जानबूझकर ,मुझे टक्कर मारने आई हो ताकि एक दुर्घटना लगे।
अब तो नंदिनी घबरा गयी ,कौन हो सकता है ?जो मेरे या इस बच्चे के पीछे पड़ा है। कौन है वो दुश्मन ?जो नहीं चाहता कि मैं इस बच्चे को जन्म दूँ। बच्चे के जन्म का समय नजदीक ही आ रहा है ,किससे सहायता ले। उसने दीपक से ही सहायता माँगी ,वो देर -सवेर उसकी दवाइयाँ ला देता ,उसे डॉक्टर के पास भी ले जाता।नंदिनी ने अपने घर मम्मी -पापा को कुछ नहीं बताया ,व्यर्थ में ही परेशान होंगे। उधर वो डॉक्टर उनके घर ही पहुंच गया ,सीधे -सीधे बोला -बिटिया को डिलीवरी के लिए कहाँ भेज दिया ?अस्थाना जी वैसे ही परेशान थे, बोले -आपको कुछ गलतफ़हमी हो गयी है ,ऐसा कुछ भी नहीं है।डॉक्टर खीसें निपोरता हुआ बोला -माता -पिता करें भी क्या ?जब कुँवारी लड़की माँ बन जाये ,वो भी उस लड़के की जो इस दुनिया में रहा ही नहीं। अस्थाना जी बुरी तरह चौंक गए ,बोले -ये तुम क्या कह रहे हो ?ऐसा कुछ भी नहीं है। अस्थाना जी !जब प्रतीक ने जहर खाया था और आपकी बेटी की हालत नाजुक थी ऊपर से गर्भवती ,उस लड़के ने किसी लड़की के कारण ही तो ज़हर खाया था , तभी मैं सारा केस समझ गया था। तो अब तुम क्या चाहते हो ? नंदिनी की मम्मी ने पूछा। बस थोड़ा चाय -पानी पीने आ जाया करूंगा कहकर हंसने लगा। तुम ''डॉक्टर'' हो या ''ब्लैकमेलर '',काम धंधा नहीं चल रहा क्या ?काम तो आप जैसे लोगों के कारण चल ही रहा है किन्तु अपनी सोचिये ,जब सबको पता चलेगा कि आपकी बेटी नानी के घर पढ़ने नहीं ,अपना पाप छुपाने गयी है ,उस बेइज्जती से ,ये चाय कीमती नहीं। उनका मन किया कि डॉक्टर का मुँह नोंच लें। तभी अस्थाना जी ने हाथ के इशारे से उन्हें बाहर जाने का इशारा किया ,जब वो बाहर आ गयीं। तब दोनों में पता नहीं क्या बातें हुईं ?किन्तु इतना अवश्य समझ गयीं थीं कि ये डॉक्टर कभी भी अपना मुँह खोल सकता है।
डॉक्टर ने जो समय दिया ,उसके अनुसार दोनों पति -पत्नी नंदिनी के पास पहुंच गए ,नियत समय पर नंदिनी ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया किन्तु वो लोग उसे अपने साथ नहीं लाये क्योंकि किसी को क्या जबाब देंगे ?यही सोचकर उसे वहीं रहने दिया। नंदिनी की नानी ने उसके माता -पिता से कहा -इसका क्या ओर तरीक़ा नही ,ये इस तरह कब तक मेरे संग रहेगी ?मैं भी जब तक जिन्दा हूँ ,उसके बाद इसका क्या होगा ?कभी सोचा है। नंदिनी ये सब बातें सुन रही थी ,नानी से बोली -मैं ज्यादा समय आपको परेशान नहीं करूंगी ,मेरी पढ़ाई पूरी होते ही ,कहीं नौकरी कर लूँगी। उसके माता -पिता को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें ?दिन ऐसे ही कटने लगे ,नंदिनी का उद्देश्य ,नितिन को बड़ा करना और अपनी पढ़ाई पूरी कर कोई नौकरी करना था इसी उद्देश्य के तहत ,उसका बेटा एक वर्ष का हो गया। एक दिन उसे प्रतीक का भाई रोहन दिखा ,उसने छुपने का प्रयत्न किया किन्तु वो बोला -नंदिनी !मैं तुमसे ही मिलने आया हूँ ,तुम्हारे पास हमारे घर की धरोहर है ,वो तुम हमें लौटा दो। नंदिनी कुछ समझी नहीं ,बोली -कौन सी धरोहर ?प्रतीक का बेटा ...... ,उसकी ये बात सुनकर नंदिनी खड़ी -खड़ी काँप गयी। बोली -भइया आपको किसने बताया ,और कब ?तब रोहन बोला-तुम्हें इससे क्या ?जिसने भी बताया हो। नंदिनी ज़िद पर अड़ गयी ,आपको बताना होगा। तब रोहन ने बताया - एक दिन हमारे यहां ,मम्मी की जाँच के लिए डॉक्टर दीक्षित आये थे और उन्होंने तुम्हारे और तुम्हारे बेटे के विषय में बताया। नंदिनी को डॉक्टर पर बहुत क्रोध आया और बोली -उसने आपको कोई गलत सूचना दी है।तभी उसे ध्यान आया ,मुझ पर जो हमले हुए ,शायद इन्होंने ही तो नहीं करवाये ,बस नहीं चला तो लेने आ गए। रोहन बोला -अब छुपाने से कोई लाभ नहीं ,मैं अपने भतीजे से मिलना चाहता हूँ।
जब भाई ही नहीं है तो भतीजे से क्या मतलब ?ऐसा मत कहो नंदिनी !वो मेरे भाई का अंश है ,हमारा ख़ून। नंदिनी सतर्क होते हुए बोली -आपको कब और कैसे पता चला ?वो बोला- जब तुम्हारे माता -पिता तुमसे मिलकर गए , तभी उस डॉक्टर ने बताया।कि नंदिनी ने एक बेटे को जन्म दिया है और वो इस घर के बेटे प्रतीक का अंश है। नंदिनी अंदाजा लगा रही थी कि नितिन तो तब पैदा नहीं हुआ था। ये काम शायद इन्होंने नहीं किया ,फिर भी बोली -मैं आपको उसे ले जाने नहीं दे सकती ,वो मेरे प्रतीक की निशानी है। नंदिनी जब से मम्मी ने ये बात सुनी है ,तब से उससे मिलने के लिए तड़प रही हैं ,उन्हें लगता है ,शायद प्रतीक ने ही पुनर्जन्म लिया हो। नंदिनी थोड़ा कठोर हो गयी ,बोली -इतना ही प्रेम था तो हमारा विवाह क्यों नहीं करा दिया ?उसे ज़हर खाने के लिए विवश होना पड़ा। आज ये बच्चा उसी घर में होता और मेरा प्रतीक भी जिन्दा होता मुझे इस तरह इधर -उधर ,न रहना पड़ता ,कहकर वो रोने लगी। तुम लोगों के झूठे मान -सम्मान के कारण ,वो संसार से गया और मैं अपने घर से दूर।लोगों से , अब क्या कहेंगे ?अब लोग नहीं पूछेंगे कि प्रतीक को मरे तो एक बरस हो गया उसका ये बच्चा ,किधर से आया ?उसका तो विवाह भी नहीं हुआ और इसकी माँ कौन है ?कितने सवाल खड़े हो जायेंगे ?रोहन सुनकर चुप हो गया ,ये सब तो उसने सोचा ही नहीं था। रोहन बोला -जो भी होगा ,देखा जायेगा किन्तु अब मैं इसे लेकर जाऊँगा। माँ की बहुत इच्छा है ,इसे देखने की। नंदिनी तड़पकर बोली -मैं कहाँ जाऊँगी ?मैं तो इसी के सहारे जी रही हूँ ,और इसी के कारण जिन्दा हूँ ,आप पूछ रहे थे कि ''प्रतीक गया तो मैं ,क्यों जिन्दा हूँ ?''इसी के कारण ,उस दिन मैं भी ज़हर खाना चाहती थी किन्तु कई दिनों से मुझे अज़ीब लग रहा था और उस दिन मुझे उल्टी भी आई ,मुझे लगा ,शायद ये वाली बात हो सकती है ,तब तो बच्चे को हानि होगी ,यही सोचकर, मैंने वो ज़हर नहीं खाया। प्रतीक का ध्यान आया तो उसने मुझे आश्वस्त किया था कि ज्यादा तेज़ नहीं होगा और कम मात्रा में ही लूँगा। तब तक घरवालों को पता चल जायेगा और मैं बच जाऊँगा किन्तु वो नहीं बचा ,आप लोगों ने देर कर दी।
रोहन बोला -नहीं ,जब उसकी भाभी दूध देने गयी तभी उसकी बुरी हालत थी। डॉक्टर ने भी बताया कि उसने बहुत तेज़ ज़हर खाया है जिससे उसकी आंतें कट गयीं। तभी एक कुर्सी के पीछे से ,एक सिर झांकता नज़र आया। रोहन की नजरें उधर गयीं तो खिल उठा और उठकर वहीं पहुंच गया और बोला -यहॉँ छिपा है ,मेरे शेर, कहकर उसे बाँहों में उठा लाया।वो बच्चा क्या ?वो तो जैसे सफेद रुई का मुलायम जीता -जागता खिलौना हो उसे देख ,रोहन की आँखें भर आयीं ,मेरे प्रतीक की निशानी कहकर गले से लगा लिया।
क्या नंदिनी ने नितिन को रोहन को सौंप दिया या नहीं ,अपने साथ हुए हादसों के कारण उसने कौन सा कदम उठाया ?क्या नितिन को उस परिवार ने अपना लिया ?डॉक्टर दीक्षित ने रोहन के परिवार को क्यों बताया ,?इसमें उसका क्या लाभ था ?पढ़िये -'' धोखा ''भाग १०