अभी तक आपने पढ़ा -अपने बेटे के नितिन को उसके चाचा द्वारा ले जाने पर नंदिनी दुःखी होती है और अपने घर आ जाती है वहां उसे पता चलता है कि रोहन के बच्चे ही नहीं हैं और उसने नितिन को गोद ले लिया है नंदिनी अपने बच्चे की देखभाल के लिए चम्पा को भेजती है जिस कारण वो अपने बच्चे से मिल भी लेती है। एक दिन उसके बच्चे को चोट लग जाती है। तब उसे वहम होता है कि कहीं प्रतीक को भी तो किसी ने मारने का प्रयत्न तो नहीं किया। अपनी शंका के समाधान के लिए वो ''डॉक्टर दीक्षित '' से सहायता मांगती है ,अब आगे -
डॉक्टर ''दीक्षित ''उसकी बातें सुनकर अचंभित हो जाते हैं और सोचते हैं -''कहीं न कहीं इसकी बातों में दम तो है। ''वो उसे आश्वासन देते हैं ,जहाँ तक हो सकेगा मैं तुम्हारी मदद करने का प्रयत्न करूंगा। नंदिनी से उस पुड़िया को मंगवाते हैं। वो नंदिनी की मदद करने का आश्वासन तो दे देते हैं किन्तु मन ही मन सोचते हैं
कि इस कहानी में किसी न किसी कड़ी से तो मुझे लाभ हो ही सकता है। दो दिन बाद नंदिनी उन्हें वो पुड़िया लाकर देती है। डॉक्टर अपने जानने वाले से उसकी पहचान कराने के लिए ,नंदिनी से समय मांगते हैं।नंदिनी प्रतिदिन की तरह उसी बगीचे में जाती है ,आज चम्पा नितिन को बाहर घुमाने के लिए आती है। उसे देखते ही नंदिनी , नितिन को गले लगा लेती है। उसका इस तरह किसी के बच्चे को प्रेम करना चम्पा को अज़ीब लगा, चम्पा बोली -दीदी ,आपका इस बच्चे से क्या संबंध है ?आप तो इसे ऐसे प्यार कर रही हैं जैसे -अपना ही बेटा हो। नंदिनी संभलकर बोली -अपने जैसा ही है ,ये मेरी सहेली का बेटा है, जिसे रोहन ने गोद लिया है। वो तो अब यहां नहीं रहती किन्तु इसकी ज़िम्मेदारी मुझे सौंपी है ,इसी कारण मैंने तुम्हें इसकी देखभाल के लिए भेजा। नंदिनी ने उसे थोड़ा और चढ़ा दिया ,बोली -बच्चों की देखभाल के लिए तो और भी थीं किन्तु जितना लग्न से और ईमानदारी से तुम काम करती हो ,उतना कोई नहीं करता इसीलिए मुझे भी इसकी देखभाल के लिए ,तुम ही ठीक लगीं और उनके घर काम के लिए भेजा। अच्छा एक बात बताओ !तुम्हें उस घर में कुछ अलग या अजीब सा लगा। कुछ भी, ध्यान से सोचो ,किसी की कोई हरकत या किसी का व्यवहार। चम्पा सोचने का उपक्रम करने लगी। उसे देखकर नंदिनी को मन ही मन हँसी आ गयी ,नंदिनी बोली -ज्यादा मत सोचो ,थक जाओगी। ये बताओ ,उस दिन तुम्हें कैसे लगा? कि नितिन को किसी ने धकेला है या अपने बचाव लिए ऐसे ही कह दिया। नहीं दीदी ,मैं झूठ नहीं बोल रही। नंदिनी बोली -अब कोई ऐसा दिखाई दे तो बताना। वो नितिन को लेकर चली गयी।
कि इस कहानी में किसी न किसी कड़ी से तो मुझे लाभ हो ही सकता है। दो दिन बाद नंदिनी उन्हें वो पुड़िया लाकर देती है। डॉक्टर अपने जानने वाले से उसकी पहचान कराने के लिए ,नंदिनी से समय मांगते हैं।नंदिनी प्रतिदिन की तरह उसी बगीचे में जाती है ,आज चम्पा नितिन को बाहर घुमाने के लिए आती है। उसे देखते ही नंदिनी , नितिन को गले लगा लेती है। उसका इस तरह किसी के बच्चे को प्रेम करना चम्पा को अज़ीब लगा, चम्पा बोली -दीदी ,आपका इस बच्चे से क्या संबंध है ?आप तो इसे ऐसे प्यार कर रही हैं जैसे -अपना ही बेटा हो। नंदिनी संभलकर बोली -अपने जैसा ही है ,ये मेरी सहेली का बेटा है, जिसे रोहन ने गोद लिया है। वो तो अब यहां नहीं रहती किन्तु इसकी ज़िम्मेदारी मुझे सौंपी है ,इसी कारण मैंने तुम्हें इसकी देखभाल के लिए भेजा। नंदिनी ने उसे थोड़ा और चढ़ा दिया ,बोली -बच्चों की देखभाल के लिए तो और भी थीं किन्तु जितना लग्न से और ईमानदारी से तुम काम करती हो ,उतना कोई नहीं करता इसीलिए मुझे भी इसकी देखभाल के लिए ,तुम ही ठीक लगीं और उनके घर काम के लिए भेजा। अच्छा एक बात बताओ !तुम्हें उस घर में कुछ अलग या अजीब सा लगा। कुछ भी, ध्यान से सोचो ,किसी की कोई हरकत या किसी का व्यवहार। चम्पा सोचने का उपक्रम करने लगी। उसे देखकर नंदिनी को मन ही मन हँसी आ गयी ,नंदिनी बोली -ज्यादा मत सोचो ,थक जाओगी। ये बताओ ,उस दिन तुम्हें कैसे लगा? कि नितिन को किसी ने धकेला है या अपने बचाव लिए ऐसे ही कह दिया। नहीं दीदी ,मैं झूठ नहीं बोल रही। नंदिनी बोली -अब कोई ऐसा दिखाई दे तो बताना। वो नितिन को लेकर चली गयी।
नंदिनी भी चलने के लिए तैयार ही थी तभी चम्पा दुबारा आती दिखी ,उसे देखकर नंदिनी ने पूछा -क्यों ,क्या बात है ?कुछ कहना चाहती हो। चम्पा बोली -दीदी !रोहन साहब के बड़े भाई ,जो हैं ,हमेशा परेशान से रहते हैं ,कई बार मैंने उन्हें प्रतीक भाई के कमरे में चक्कर लगाते देखा। पता नहीं, चुपचाप क्या करते रहते हैं ?मैंने कभी उन्हें खुश नहीं देखा। परिवार के लोगों से भी इतने मिलजुलकर नहीं रहते। नंदिनी बोली -उनकी अपनी परेशानियाँ होंगी ,हर इंसान एक जैसा नहीं होता। चम्पा बोली -ये बात भी सही है ,किन्तु आपने कहा था न ,कुछ विचित्र सा देखो तो मुझे बताना ,इसीलिए बताया। ठीक है ,अब तुम जाओ और नितिन का ख़्याल रखना, नंदिनी ने उसे भेज दिया। नंदिनी के मन में अनेकों प्रश्न उठने लगे -प्रतीक ने भी कभी अपने बड़े भाई के विषय में कुछ नहीं कहा और रोहन से भी कभी उनके विषय में नहीं सुना। ये बड़ा भाई क्या बला है ?पता तो लगाना पड़ेगा। दो -तीन दिनों पश्चात नंदिनी डॉक्टर के पास गई ,बोली -डॉक्टर साहब ,मेरी समस्या का कुछ समाधान मिला। डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा -नंदिनी तुम सही थीं ,ये जो ज़हर है , इसे खाकर चक्कर ,बेहोशी आती है ,ज्यादा तेज़ ज़हर नहीं है। अब तो नंदिनी को पूर्ण विश्वास हो गया कि प्रतीक अपने खाये ज़हर से नहीं मरा वरन उसे मारने की साज़िश की गयी है। उसने आत्महत्या नहीं की वरन उसकी हत्या हुई है। उसने डॉक्टर से उस जाँच की'' रिपोर्ट'' ली और अपने घर आ गयी। उसे कुछ सुझाई नहीं दे रहा था ,क्या करे ,किससे पूछे ?शाम को वो चम्पा और अपने बेटे से मिली। उसने चम्पा से चलते समय ,रोहन को बुलाने के लिए कहा।
अगले दिन रोहन उससे मिला ,उसने रोहन से कहा -मुझे ग़लत मत समझना ,किन्तु मैं एक बात बताना चाहती हूँ -प्रतीक ने आत्महत्या नहीं की। [रोहन उसका मुँह देख रहा था] वरन उसकी हत्या हुई है ,नंदिनी ने अपनी बात पूर्ण की। ये तुम क्या कह रही हो ? ये कैसे हो सकता है ?रोहन अविश्वास से बोला। हाँ ,ये सही है ,नंदिनी ने अपनी बात पूर्ण विश्वास के साथ रोहन को बताई क्योंकि प्रतीक ने जो ज़हर खाया था वो इतना तेज़ ज़हर नहीं था कि उसे खाते ही आदमी का दम घुटने लगे और मौत जाये। रोहन को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था ,ऐसा कौन दुश्मन हो सकता है ?उसने तो घर में ही ज़हर खाया था और वो भी अपने आप लाया था । घर में तो किसी को पता भी नहीं कि उसकी योजना कैसी और क्या थी ?कौन उस पुड़िया को बदल सकता है ?नंदिनी बोली -एक बात पूछूं ,रोहन ने हाँ में गर्दन हिलाई , नंदिनी बोली -घर में आपके मम्मी -पापा के अलावा आपके भाई भी हैं। उसकी बात पूर्ण होने से पहले ही रोहन बोला -क्या तुम मोहित भाई की बात कर रही हो ?वो थोड़े चुप और शांत से रहते हैं ,इतनी शीघ्रता से किसी से घुल -मिल नहीं पाते। वो ऐसा क्यों करेंगे ?प्रतीक उनका अपना भाई था ,तुम भी न जाने क्या -क्या ''बेसिर -पैर की बातें '' सोचने लगती हो। नंदिनी बोली -मैं कोई इल्ज़ाम नहीं लगा रही ,मैं तो बस उनके विषय में जानना चाहती थी ,कभी आपने और प्रतीक ने उनके विषय में कुछ नहीं बताया। रोहन बोला -क्या तुम्हारे पास कोई सबूत है जो ये साबित कर सके कि प्रतीक को किसी ने ज़हर दिया है वरन मैंने स्वयं ही पढ़ा था -उसकी डायरी में ,कि घर वालों से अपनी बातें मनवाने के लिए ,उसकी ये योजना है।
नंदिनी सोचते हुए बोली -ये ही बात तो समझ नहीं आ रही कि उसका दुश्मन कौन हो सकता है ?नंदिनी रोहन से विदा लेती है और घर चली जाती है। किन्तु उसके मानस पटल से ये बातें नहीं निकल रहीं कि उसका कौन अहित चाहेगा ?वो खाना खा रही थी तभी उसका ध्यान दूरदर्शन पर आ रहे कार्यक्रम की ओर गया ,उसमें भी यही आ रहा था कि खून होने के पश्चात पुलिस वाले आपस में बातचीत कर रहे थे कि इस व्यक्ति के मरने का लाभ ,किसको मिलता ? नंदिनी भी यही सोचने लगी ,यदि प्रतीक को किसी ने मारा है तो उसका लाभ किसे होता ?मम्मी -पापा का लाडला बेटा ,वो तो कर नहीं सकते। रोहन खुले दिल -दिमाग़ वाला व्यक्ति ,उसने तो उसके बेटे को ही अपना नाम दिया ,वो भी किसके लिए करेगा ?अपनी तो कोई औलाद भी नहीं है। रहा बड़ा भाई ,उसके विषय में किसी को कोई जानकारी नहीं ,बस शांत अथवा परेशान रहता है इससे किसी की सोच उसके व्यक्तित्व के विषय में कैसे जानकारी मिल सकती है? अगले दिन वो डॉक्टर दीक्षित के पास गयी ,बोली -डॉक्टर साहब !ये तो तय है कि किसी ने उसका ज़हर बदला है किन्तु वो कौन हो सकता है ?किसको प्रतीक के न रहने से लाभ हो सकता है ?दीक्षित बोला -ये मैं कैसे बता सकता हूँ ?मैं डॉक्टर हूँ ,कोई जासूस नहीं। नहीं डॉक्टर ,मैं तो ये जानना चाहती हूँ कि आप कई बार उनके घर जा चुके हैं ,वहां के लोगों से भी मिले होंगे। वहां के लोगों का व्यवहार या बातचीत में कैसे थे ,वो लोग? विशेषकर उनके बड़े भाई मोहित। डॉक्टर उसे घूरते हुए बोला -मैं तो कुछ समय के लिए ,वहां जाता ,इतने समय में, मैं कैसे, किसी के परिवार की जानकारी ले सकता हूँ ?नंदिनी कुछ देर इसी तरह शांत बैठी रही ,उसे देखकर डॉक्टर बोला -तुम चाहो ,तो पुलिस की मदद ले सकती हो ,यदि वो लोग तुम्हारी मदद के लिए तैयार हो जायें तो ,वैसे मुझे तो नहीं लगता कि कुछ फ़ायदा होगा क्योंकि ये सब सिद्ध हो चुका है कि उसने किसी लड़की के चक्कर में ज़हर खाकर आत्महत्या की है। वो ही तो समझ नहीं आ रहा कि मैं ये कैसे साबित करूं? कि प्रतीक की हत्या हुई है ,उसकी योजना का किसी ने अपने लिए लाभ उठाया है।
डॉक्टर उसे इस तरह परेशान देखकर कहता है ,मेरे जानने वाली एक महिला पुलिस में है ,मैं उनसे बात कर लूंगा और जहां तक संभव हो सकता है ,वो तुम्हारी सहायता के लिए तैयार हो जाएँ। डॉक्टर की बात सुनकर नंदिनी को एक उम्मीद जगी और वो अपने घर आ गयी। अगले दिन वो उनसे मिली ,नंदिनी की बात सुनकर वो बोली -ये कोई सबूत नहीं है ,क्या पता ,उस लड़के से ही गलती हो गयी हो। किन्तु मैडम ,उसने मुझे भी तो वो ही पुड़िया दी। पुलिस मैडम बोली -तूने तो नहीं खाई ,कहीं तूने ही तो उसकी पुड़िया बदल दी हो। नंदिनी एकदम परेशान हो गयी ,उसकी दुविधा उसकी उलझनें सुलझने की बजाय और उलझ रही हैं ,मन ही मन सोचने लगी, ये मेरी क्या मदद करेंगी ?ये तो मुझ पर ही शक कर रही हैं। नंदिनी बोली -मैडम ! मुझे तो पता भी नहीं, वो कहाँ से और कैसे वो पुड़िया लाया ?बस इतना मालूम है कि वो चाहता था कि किसी भी तरह से हमारा विवाह दोनों परिवारों की सहमति से जाये। वो क्यों ,इस तरह ज़हर खायेगा? नंदिनी ने पूछा।फिर तुम क्या उसे प्यार नहीं करती थीं ?उसने तुम्हारे लिए जान की परवाह भी नहीं की और तुम तो ठीक -ठाक हो। नंदिनी को आज ये बात बुरी लगी ,उसने उन मैडम को अपनी सारी कहानी विस्तार से बताई। उसकी बात सुनकर वो मैडम बोली -कहीं न कहीं कुछ तो झोल है.बोली - कहीं वो हत्यारा छिपा बैठा है और वो नहीं चाहता था कि तुम्हारा बेटा यानि प्रतीक का बेटा भी हो। कुछ सोचते हुए ,ऐसा कौन हो सकता है ?जिसे उसकी मौत से लाभ हो किन्तु कोई सबूत नहीं है ,उसके बिना हम कैसे? किसी पर भी अपने शक़ की सुईं घुमा सकते हैं। इस तरह तो मैं तुम्हारी सहायता भी नहीं कर पाऊँगी ,मुझे अपने सीनियर से बात करनी होगी। कानून के भी अपने क़ायदे ,नियम हैं। तब नंदिनी ने बताया -मुझे लगता है ,उनका बड़ा भाई मोहित हो सकता है। वो बोलीं -तुम ये कितने यकीन से कह सकती हो ?क्या उसकी कोई ऐसी बात जो तुमने देखी हो। नंदिनी बोली- मैंने तो नहीं देखी किन्तु उनके यहां जो कामवाली है ,उसने बताया। क्या बताया ?वो बीच में ही बोलीं। यही कि ,वो परेशान से रहते हैं ,किसी से मिलते -जुलते नहीं ,न ही किसी से ठीक से बातें करते हैं ,उनका व्यवहार अजीब तरह का बता रही थी। वो मैडम बोली -ये क्या बात हुई ?किसी के भी अज़ीब व्यवहार के लिए उसे हत्यारा साबित कर दो।
क्या नंदिनी की उन पुलिस मैडम ने सहायता की ?उन्होंने अपने सीनियर से बात की ,क्या उन्होंने इजाज़त दी ?कौन था ?प्रतीक का हत्यारा। क्या उसके बच्चे पर पुनः हमला हुआ ?जानने के लिए पढ़िए ''धोखा ''-भाग १२।