Vazud

 जीवनभर कटिबद्ध रहे ,
 जूझते रहे ,अपनी ज़िंदगी से ,
 लड़ते रहे ,अपने अरमानों ,ख़्वाबों से। 
 अपनों के लिए और अपने लिए ,
 बना डाला, ख़्वाबों का घरौंदा। 
 आज उन ईंटों की इमारत में ,
 इस  घर में ,हम अपने -आप को ढूंढते हैं। 

 इस घर में , हम अपना ''वज़ूद ''ढूंढते हैं।  
 लिख डाली ,अपने ख़्वाबों की इबारत ,
बड़ा साधकर ,उसे सहेजा। 
न जाने कहाँ  गए ?वो सपने ,
वो लिखी इबारतें ,पैदल चले ,
उन पगडंडियों में अपनी छाप ढूंढते हैं।
 इस घर में ,हम अपना ''वज़ूद ''ढूंढते हैं।  
कचरे के ढेर से ,हम रद्दी हो गए ,
कहाँ है ?वो सुख ,ख़ुशी ,
अपने अरमानों की लाश लिए ,
उस मकाँ में हम अपने -आप को ढूंढते हैं। 
 इस घर में , हम अपना ''वज़ूद ''ढूंढते हैं। 
आज भी टुकड़ों में बँटे हैं ,
कल भी  हिस्सों में बँट जायेंगे। 
आज दिलो में बँटे  हैं ,
कल काग़जों में बंट जायेंगे। 
इस दौलत में अपने अरमानों की लाश ढूंढते हैं।
इस घर में ,हम अपना ''वज़ूद ''ढूंढते हैं।  
पिता के दुखते दिल को न जाना ,
माँ के अश्रुओं को न पहचाना। 
अपने अरमानों की खातिर 
सपनों के पीछे ,दौड़े हम ,
इन महँगे कालीनों में ,अपने -आपको ढूंढते हैं।
 इस घर में , हम अपना ''वज़ूद ''ढूंढते हैं।  
समय चक्र 'घूमता रहा 
दोहराता रहा ,हर जीवन चक्र को ,
जो समय बिन मोल  गया। 
बीत  गया ,ले गया मेरे अनमोल पल ,
आज हम अपने उन पलों को ढूंढते हैं 
हम अपनों में , अपनापन , ढूंढते हैं। 
इस घर में ,हम अपना' वज़ूद ''ढूंढते हैं। 
बेटा है ,बेटी हैं ,पोता -पोती भी हैं ,
पर घर खामोश है ,
इन ख़ामोशियों में ,इन तन्हाइयों में ,
हम अपने -आप को ढूंढते हैं। 
इस घर में ,हम अपना वज़ूद ढूंढते हैं। 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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