Mayajaal

   शब्दों को सोचती हूँ ,
   शब्दों से खेलती हूँ। 
   शब्दों का ताना -बाना है ,
   भावनाओं से बुनती हूँ। 
    क्रोध में निकले ,तो तीर ,
   प्यार में रसभरी फुहार हैं। 
   म्यान से निकली  तलवार हैं। 
   इनमें उलझकर रह जाये ,

   शब्दों का मायाजाल है। 
   प्रेम भरी पुकार हैं ,
   अपनों का प्यार -दुलार हैं। 
   हार की जीत हैं ,
   तपती रेगिस्तान में ठंडी फुहार हैं। 
   मधुर  मुस्कान हैं, 
   टूटे दिल का उपचार हैं। 
   नाव की पतवार हैं ,
   डूबते का किनारा हैं ,
   दिल तक पहुंचने का सहारा हैं। 
   तलवार ही नहीं ,ढ़ाल भी हैं शब्द। 
   माखन की चिकनाई ही नहीं ,
   मीठी चाशनी भी हैं ,शब्द। 
   अपने -पराये ,पराये अपने बना दे ,
   कैसा 'मायाजाल 'हैं ये शब्द। 
   यारों के यार हैं ,
   बूझो तो दुधारी तलवार हैं। 
   सपनों से रंगीन हैं ,
   अंधकार से काले भी ,
   शब्दों का' मायाजाल 'है। 
 
 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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