hum honge !

 कभी हम न होंगे ,
न दिखेंगे , अपनों में। 
पर,' हम होंगे'। 
इन कविता ,इन कहानियों में ,
ये कविता ,ये कहानियाँ ,
याद दिलाती रहेंगी। 
कभी हम भी बसते थे ,
अपनों के दिलों में ,
उनकी चाहतों में। 
हमारी साँसें भी घुलती थी ,
इन बहारों में ,फिज़ाओं में। 
रौब -रुतबा तो नहीं ,

हमारे होने का एहसास था ,
हमारे अपनों में। 
हम भी हैं ,उनके ख्यालों में ,
हमारा इक इतिहास होगा। 
हमारा भी ज़िक्र होगा। 
प्यार के अफ़सानों में। 
हमारी धड़कनें गूंजेंगी ,
 शब्दों की लड़ियों में ,
अपनों की यादों में 
ग़ैरों की उलझनों में ,
पर' हम होंगे'। 
स्वरों में ,स्वरलहरियों में ,
गीतों की लय में ,
मुस्काती तस्वीरों में ,
इन हसीन वादियों में ,
'हम होंगे'।  
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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