घर -घर में राम है ,कृष्णा है।
आज भी जीता राम है ,
रसिया कृष्णा और श्याम है।
राजा राम,' दशरथ 'का बेटा ,
वो कृष्णा, गोकुल धाम में बैठा ,
रहता था ,दुश्मन से ऐंठा।
इस युग में भी राम है ,कृष्णा है।
इनको किसने पहचाना है ?
आज भी हर घर में राम है ,
ग़रीबी ,मंहगाई से उसकी अपनी लड़ाई है।
राम -कृष्णा ने जिसे मारा ,वो गया।
पुनः लौट न पाया।
आज भी' सुरसा'[ महंगाई] मुँह फैलाये है।
जीवनभर इससे कोई उबर न पाए है।
रसिया ने मामा को सबक सिखा डाला ,
अब रसिया ने अपने को मजबूरी में डाला।
राम तो सबका प्यारा है ,
मोहक और दुलारा है।
तनिक अपने अंदर झांको तो ,
आज भी वो राम दुलारा है।
कृष्णा कितना मोहक , प्यारा है ?
राम की नीति काम न आयी।
आज भाई को, न पहचाने भाई।
जीवन में होती, आई लड़ाई है ,
तक़दीर समझ न आई है।
दर्द में भी मुस्कान चेहरे पर आई है।