Suyn sayan mans ki si gandh

हैलो !दोस्तों  आज मैं फिर से एक नई कहानी ,आप लोगों के लिये लेकर उपस्थित हुई हूँ ,आज आप लोगों के लिए एक राजकुमारी और  राक्षस की कहानी लिखी है ,पढ़ियेगा ज़रूर -

 रायगढ़ राज्य में एक राजा था वो बहुत ही बहादुर ,नेकदिल ,गरीबों की मदद करने वाला था, उसके राज्य में उसकी सारी  प्रजा खुश और शांत रहती। इसी कारण राजा ''वीरेंद्र सिंह राठौर ''को प्रजा बहुत ही प्रेम करती और वो भी अपनी प्रजा पर जान छिड़कता था। किन्तु संसार में इंसान आये और उसे कोई परेशानी न हो ,ऐसा तो हो ही  नहीं सकता। राजा को भी एक दुःख था ,पता नहीं कहीं से भी ,कभी भी एक राक्षस आ जाता और किसी को भी उठाकर ले जाता। इस कारण राजा और प्रजा दोनों को ही डर रहता कि पता नहीं वो राक्षस कब आ जाये ,और न जाने किसको उठाकर ले जाये ? ऐसा नहीं कि राजा डर के कारण अपने महल में छिपा बैठा रहा बल्कि उसके सैनिकों ने राक्षस को पकड़ने के अनेक यत्न किये। राजा  ने उसके सैनिकों ने उस राक्षस का पीछा करने का भी प्रयत्न किया किन्तु कोई भी न ही राक्षस को पकड़ पाया ,न ही उसे देख पाया क्योंकि जब भी वो राक्षस आता तो  धूल भरी आंधी चलती जिस कारण सबकी आँखें बंद हो जातीं , इस  बीच वो किसी न किसी को उठाकर ले जाता और कोई कुछ नहीं कर पाता। कहाँ से आता कहाँ को चला जाता ? किसी को कुछ नहीं मालूम। राजा के एक बेटी थी ,वो भी बहुत ही सुंदर, बहादुर और होशियार लड़की थी ,उसका मन करता था कि किसी तरह इस' आँधी राक्षस 'को पकड़े। ये 'आँधी राक्षस ''नाम राजकुमारी भानूमति ने ही रखा था। ये भी पता नहीं था कि वो राक्षस उन लोगों को पकड़कर कहाँ ले जाता है ?मार देता है या खा जाता है किसी को कुछ भी नहीं मालूम। 
               एक दिन राजकुमारी अपनी सखियों के संग अपने बग़ीचे में खेल रही थी ,एक पड़ोसी देश का राजकुमार 'रुद्रकाल '' उनके  राज्य में घूमने के लिए आया था उसकी नज़र अपनी सहेलियों के संग खेलती राजकुमारी 'भानुमति 'पर पड़ी ,राजकुमार तो राजकुमारी के साथ विवाह के सपने देखने लगा। राजकुमारी ने भी राजकुमार 'रुद्रकाल 'को देख लिया और मन ही मन उसे पसंद भी करने  लगी। अब तो देर- सवेर राजकुमार -राजकुमारी के महल के आस -पास मंडराने लगा।राजकुमार ने एक दिन राजकुमारी से कहा -मैं एक दिन तुम्हारा हाथ माँगने राजा के पास आऊँगा। इससे पहले की राजकुमार, राजकुमारी का हाथ माँगने उसके महल में आता ,उससे पहले ही ''आँधी राक्षस ''उनके महल की तरफ गया और राजकुमारी को उठाकर ले गया। राजा और उसके सैनिकों ने राजकुमारी को बचाने के लिए बहुत प्रयास किये किन्तु वो राजकुमारी को उठाकर ले जाने में सफ़ल हुआ। अब तो सारे महल में सन्नाटा छ गया ,सब जगह उदासी और डर था जिस राक्षस ने राजकुमारी को भी नहीं छोड़ा वो आम जनता को कैसे छोड़ेगा ?

कुछ जवान लड़कों में उस राक्षस के प्रति ग़ुस्सा और घृणा भी था । किया भी क्या जा सकता था ?उसका किसी को कोई अता -पता भी नहीं था। तब राजा ने  विवश होकर घोषणा कराई कि- राज्य में अथवा राज्य से बाहर कोई भी बहादुर इंसान ,गरीब हो या अमीर ,राजकुमार हो या साधारण व्यक्ति जो कोई भी राजकुमारी का पता लगाएगा और उस राक्षस से छुड़ाकर लायेगा , उसे पुरुस्कार के  रूप में उसे आधा राज्य और उसका  राजकुमारी से विवाह करा दिया जायेगा। अब तो यह चर्चा चारों तरफ़ फैल गयी ,हर कोई अपने तरीक़े से छानबीन कर रहा था।  कोई थक -हारकर वापस आ गया ,कोई ख़ोजबीन में लगा रहा ,पड़ोसी देश के राजकुमार को भी पता चला तो उसे राजकुमारी का हाथ माँगने का यही उपयुक्त मौका हाथ  लगा। वो राजा के पास गया और उसने सारी बात बताई -कि कैसे राजकुमारी और वो दोनों प्यार करते हैं और मैं अपनी राजकुमारी को ढूँढ़ने जा रहा हूँ। राजा ने उसकी सच्चाई की सराहना की और उसे आशीर्वाद भी दिया। राजकुमार ने छानबीन उस महल से ही शुरू की जहाँ से राजकुमारी ग़ायब हुई थी। उस जगह उसे राजकुमारी की अँगूठी मिली और वो उसी दिशा में आगे बढ़ता चला गया। 
                   कुछ आगे जाने पर उसे एक पायल भी मिली और वो उसी दिशा में  बढ़ता चला गया। राजा ने उसके साथ कुछ सैनिक भी भेजने चाहे किन्तु ''रुद्रकाल 'ने मना कर दिया कि मैं किसी और की जान ख़तरे में नहीं डाल सकता। और वो अकेला ही आगे बढ़ता रहा। उसे चलते -चलते दोपहर हो गयी अब वो किसी पेड़ की छाया में बैठकर भोजन करने लगा जो अपने  साथ लाया था। तभी उसकी नजर पेड़ के पास ही पड़े मोती पर गयी ,उसने उसे उठाकर देखा वो राजकुमारी का ही था ,अब तो उसे पूरा विश्वास हो गया कि वो सही राह पर चल रहा है। उसे थोड़ा आगे चलकर और भी मोती मिले अब वो समझ गया कि इस तरह से लगातार मोती इसीलिए गिराए गये हैं कि जो भी राजकुमारी को ढूँढ़ने  आयेगा उसे सही राह मिल जायेगी उन मोतियों का पीछा करते -करते  एक गुफ़ा के अंदर जा पहुंचा। गुफ़ा में बहुत अँधेरा था कुछ दूरी पर एक रौशनी दिखाई दे रही थी वो उस ओर  बढ़ता रहा वो रौशनी एक मशाल की थी ,उसने वहां के वातावरण को देखा और समझने का प्रयत्न  भी किया ,तभी उसकी दृष्टि एक बड़े से बंद दरवाजे की तरफ गयी। दरवाज़ा बहुत ही बड़ा था उसका हाथ भी नहीं पहुँच पा  रहा था।रुद्रकाल ने सोचा- कि कैसे उस दरवाज़े की कुण्डी तक पहुंचा जाये ताकि उसे खोलकर आगे बढ़ सके ,उसने आस -पास देखा न ही कोई रस्सी या कोई जंजीर थी वो सोचता रहा कि किस तरह उस पर चढ़ा जाये तभी उसने देखा उस दरवाज़े पर जो कारीगरी हो रही थी वो इस तरह से बनी हुई थी उस पर चढ़कर कुण्डी तक पहुंचा जा सकता था। उसने वैसा ही किया और वो दरवाजा खुल गया। रुद्रकाल उस दरवाज़े के अंदर गया  तो क्या  देखता  है ?राजकुमारी एक' सोने के पिंजरे' में कैद थी। राजकुमार उसके नजदीक गया ,राजकुमारी को पुकारा -भानुमति ,भानुमति। राजकुमारी ने आँखें खोलीं और डरकर कहा -राजकुमार तुम यहाँ कैसे आये ?वो 'आंधी राक्षस ' तुम्हें भी मार डालेगा। 

                 रुद्रकाल ने बताया -मैं तुम्हें ही बचाने के लिए आया हूँ। भानुमति बोली -जो भी मुझे यहाँ बचाने आता है उसी को मारकर खा जाता है ,अभी वो बाहर गया है तुम यहां से भाग जाओ वरना वो तुम्हें भी मारकर खा जायेगा। वो बहुत ही डरी हुई थी। रुद्रकाल ने उसे हिम्मत बँधाई और बोला -एक बात बताओ ,जब वो' नरभक्षी राक्षस ''है तो उसने तुम्हें कैसे छोड़ दिया ?राजकुमारी ने बताया -वो मुझसे विवाह करना चाहता है और मेरे इंकार करने पर उसने मुझे इस पिंजरे में कैद कर दिया। तुम  जल्दी से भाग जाओ वो आता ही होगा। तब राजकुमार ने  राजकुमारी से कहा -अपना कान इधर लाओ और उसके कान  में कुछ कहकर तेज़ी से उस गुफ़ा से बाहर आ गया। थोड़ी देर बाद वो 'आँधी राक्षस 'आ गया और वहाँ  वातावरण में कुछ महसूस करने लगा ,फिर बोला ''-सूयं सायं मानस की सी गंध ''[यानि मुझे किसी इंसान के यहाँ आने की गंध आ रही है ] राजकुमारी बोली -यहां तो कोई नहीं आया ,यहां तो मैं ही एक इंसान हूँ ,तुम मुझे ही खा लो। राजकुमारी की बात सुनकर वो दूसरी तरफ बैठ गया और बोला -भानुमति ज़िद न करो तुम मुझसे विवाह कर लो ,उसकी बात सुनकर राजकुमारी रोने लगी ,रोते -रोते फिर बड़ी ज़ोर -जोर से हंसने लगी। उसके इस अज़ीब बर्ताव के लिए  राक्षस बोला -राजकुमारी पहले तुम रोई  क्यों ,फिर हंसी क्यों ?राजकुमारी बोली -रोई तो मैं इसीलिए थी कि तुम लोगों को मारते हो खा जाते हो तो तुम्हारे कितने दुश्मन होंगे ?यदि मैंने तुमसे विवाह कर लिया किसी ने तुम्हें मार दिया तो मेरा क्या होगा ?और हँसी इसीलिए थी कि तुम इतने ताकतवर हो तुम्हें कौन मार सकता है ?तुम्हारी तो कोई कमज़ोरी है ही नहीं। राक्षस उसकी बातें सुनकर हँसा और बोला -तुमने ठीक ही कहा कि मुझे कोई नहीं मार सकता क्योंकि मेरी जान  तो  पूरब दिशा के घने जंगलों में एक तोते के अंदर है।
              अगले दिन जब राक्षस बाहर चला गया तब राजकुमार उसी दरवाजे से अंदर  आ गया उसने राजकुमारी से पूछा -क्या राक्षस ने अपनी मौत का राज तुम्हें बताया ?हाँ उसकी मौत पूरब दिशा के   घने जंगलों में एक तोते के अंदर है। राजकुमार फिर से उस गुफा से निकलकर पूरब दिशा की ओर चल दिया रास्ते में जो भी मिलता उसी से रास्ता पूछता और जब  भी वो घने जंगलों की बात करता ,आदमी डर जाते और कहते वहाँ आज तक कोई नहीं गया जो भी गया वापस नहीं आया तुम भी मत जाओ किन्तु ''रुद्रकाल ''तो बहादुर था ,उसे अपनी बहादुरी और चतुराई पर पूरा भरोसा था वो अपनी बहादुरी से आगे बढ़ता रहा। जब वो उन जंगलों के नज़दीक पहुंचा तो वहां तो अंदर घुसने का रास्ता ही नजर नहीं आया थोड़ा आगे बढ़ा ही था कि एक पेड़  लताओं ने उसे अपने चंगुल में ले  लिया उसने बड़ी ही बहादुरी से अपनी तलवार से उस पेड़ को जड़ से ही काट डाला  रास्ते में बड़े -बड़े अज़गर और जानवर मिले वो उनसे लड़ता -मारता हुआ आगे बढ़ता रहा जब वो घने जंगल के बीच पहुंचा तब एकदम अँधेरा सा छा  गया उसने देखा एक बड़ा सा बाज़ एक चट्टान  आकर बैठा ,वहाँ एक घोंसला भी था अब वो समझ गया कि इसी घोंसले में वो तोता है

जिसकी रक्षा ये बाज़ कर रहा है ,घोसला भी इतनी अधिक ऊंचाई पर  था ,वहां पहुंचना उसे नामुमकिन लग रहा था तभी उसे एक तरक़ीब सूझी वो एक ऊँचे से पेड़ पर चढ़ गया ,जब वहां से वो बाज़ उड़कर जा रहा था ''रुद्रकाल 'ने बड़ी तेजी से उछलकर उस बाज़ के पंजे पकड़ लिए। बाज इतना बड़ा था कि उसे कुछ भी पता नहीं चला जब वो उस चट्टान पर उतरा तो धीरे से  वो भी कूद गया और छिपकर बाज़ के जाने का इंतजार करने लगा। उस तोते को अपनी मौत की गंध आने लगी  और वो चिल्लाने लगा -वो आ गया ,वो आ गया। उधर राक्षस को भी लगा कि कोई उसकी जान के पास पहुंच गया। वो आँधी उडाता सा दौड़ा ,इससे पहले वो वहां पहुंच पाता राजकुमार ने तोते की गर्दन मरोड़ दी और वो वहीं मर गया उसके मरते ही राक्षस भी मर गया। राक्षस को मार कर  उसने राजकुमारी को छुड़ाया और उसके पिता के पास ले गया जहां राजा ने दोनों का विवाह करा दिया और अपना राज-पाठ भी उन्हें सौंपकर चला गया।  


















  
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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