Uske liye

जिसके लिए जीवन जिया ,सपने संजोये अँखियन में। 
' ' उसके लिए'' सपने संजोती ,ये अँखियाँ। 
मन ही मन मुस्कुराती ,सोचती न जाने कितनी बतियाँ ?

जो सपनों सी ,रूह में बसी ,
वो 'नाजुक' सी मेरी परछाईं। 
 दिखती है अलग ,मेरा ही रूप है।
 आज भी न जाने ,बनाती है कितनी बतियाँ ? 
  उसके दूर जाने से ,सोच भर आती अँखियाँ। 
हिलौरे लेतीं मन ही मन ,दिल में घुमड़ती बदलियाँ।
'उसके लिए 'खुली आँखों ,सपने देखती अँखियाँ  
उसके जीवन की मधुरता में डूबी ,
खुली अँखियों से सजाती उसकी गलियाँ। 
अपना ग़म भूल ,मन ही मन ,
 ख़ुशी से भर आती अखियां। 
 मुँदीं पलकों में ,सपने संजोये बैठी' मैं '
 फिर भी न जाने ,कोरों से एक बूँद झिलमिलाती सी ,
 ढुलककर कपोलों पर ,स्वतंत्र बह निकली। 
 सपनों की ख़ुशी में ,उससे बिछुड़ने का ग़म भी था। 
 जो धुआं -धुआं होते हृदय से उभर आया है ,
 वो दर्द ,अपने ज़िगर के टुकड़े के दूर होने का ग़म ,
 कुछ भी न लगा ,उसके स्वर्णिम जीवन के लिए ,
 भुला दिया ,सब कुछ'' उसके लिए '' 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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