दोस्तों !दादी माँ की कहानियों में से एक कहानी और इससे पहले आपने ''लाल लड़ी ''की कहानी पढ़ी। अब'' बजरंगी चला ससुराल '' तो पढ़िए --
बजरंगी अपनी माँ का लाडला और इकलौता बेटा था ,सारा दिन इधर -उधर घूम -घूमकर मस्ती किया करता था। उसकी माँ उसे डाँटती थी -बजरंगी !अब तो तेरा ब्याह भी हो गया ,कुछ काम -धाम कर लिया कर ,इधर -उधर मटरगस्ती करता रहता है,जब कुछ काम करेगा तभी तेरी बहु को उसके मायके से बुलाऊंगी। माँ की बात का बजरंगी पर असर हुआ और वो कुछ दिनों से काम करने लगा। माँ उसे काम करते देख, एक दिन बोली -जा बजरंगी !अपनी पत्नी को घर ले आ। माँ की बात मान वो अपनी पत्नी को लेने अपनी ससुराल चल दिया। माँ ने उसे रास्ते में खाने के लिए कुछ रोटियां और गुड़ियानी [ये आटे और गुड़ से बनाई जाती है ] दे दीं।बजरंगी मस्ती में चला जा रहा था ,रास्ते में भूख लगी तो रोटी खा लीं ,गुड़ियानी अभी बची हुयी थी। तभी उसने एक ख़जूर का पेड़ देखा। उसके मन में आया- कि थोड़े से ख़जूर तोड़ लेता हूँ ,ससुराल में ले जाऊंगा ,खाली हाथ ससुराल जाना ठीक नहीं। यही सोचकर वो पेड़ पर चढ़ गया और कुछ खजूर उसने खाये और थोड़े से ख़जूर अपने पास रख लिए किन्तु ये क्या ?वो पेड़ पर चढ़ तो गया लेकिन उससे उतरा नहीं जा रहा था। अब उसने पेड़ से नीचे देखा तो डर के कारण उसकी घिघि बंध गयी ,उसे स्वयं पर यकीन नहीं आया कि वो इतनी ऊंचाई पर कैसे चढ़ गया ?
उसने बहुत आवाज़ लगाई कि कोई आये और उसकी पेड़ से उतरने में मदद करे किन्तु किसी ने भी उसकी आवाज नहीं सुनी ,बहुत देर तक वो पेड़ पर बैठा रहा। कुछ समय पश्चात उसे हाथी पर बैठकर जाता एक आदमी दिखाई दिया। बजरंगी ने उससे मदद मांगी। वो बोला -तुम इतनी ऊंचाई पर हो मैं किस तरह तुम्हारी मदद कर सकता हूँ ?तब बजरंगी ने सुझाव दिया -तुम अपने हाथी को पेड़ के नीचे ले आओ और उस पर खड़े होकर मेरा हाथ पकड़ लेना ,मैं उतर जाऊंगा। हाथीवाले को उसका सुझाव पसंद आया और उसने ऐसा ही किया किन्तु हाथीवाले ने जैसे ही बजरंगी का हाथ पकड़ा ,हाथी आगे बढ़ गया। अब दोनों ही पेड़ पर लटके रह गए। अब दोनों ही किसी को मदद के लिए पुकारने लगे। कुछ देर बाद वहां से ऊँट पर सवार एक व्यक्ति गुजरा। उन दोनों ने ऊँटवाले से उतरने में मदद माँगी। उसने भी वही प्रश्न किया कि मैं किस तरह तुम्हारी मदद कर सकता हूँ ?उन्होंने उसे भी वही सुझाव दिया -अपने ऊँट पर चढ़कर हमारी मदद कर सकते हो। ऊँटवाले ने भी ऐसा ही किया किन्तु जैसे ही वो ऊंट के कूबड़ पर चढ़ा ऊँट आगे निकल गया। अब उस पेड़ पर तीन लोग लटक गए। दोनों बजरंगी को कोसने लगे कि तुम्हारे कारण हम भी यहां लटक गए। कुछ देर इसी तरह लटके रहने के बाद उन्हें घोड़े की टाप सुनाई दी तीनों ख़ुश होकर उसका इंतजार करने लगे। उन्होंने घोड़ेवाले से भी पेड़ से उतरने में मदद मांगी और उसे भी वही सुझाव दिया। उसने भी मदद की और उसका घोडा आगे निकल गया ,वो भी लटका रह गया। अब सारे डरे हुए थे कि किसी का भी हाथ छूटा तो धड़ाम नीचे गिरेंगे और चोट भी लगेगी।
कुछ समय बाद एक साईकिल सवार उधर से गुजरा उसने ख़जूर के पेड़ पर लटके उन लोगों को देखा। उन लोगों ने उस साइकिल वाले से भी मदद मांगी। साइकिल वाला होशियार था ,उसने कहा -मैं तुम्हारी तभी मदद कर सकता हूँ जब तुम मेरे कुछ प्रश्नों का जबाब दोगे ,उसकी बात सुनकर उन्हें गुस्सा तो बहुत आया किन्तु अब कर भी कुछ नहीं सकते थे ,उन्होंने जल्दी से कहा -पूछो क्या पूछना है ?उस व्यक्ति ने पूछना प्रारम्भ किया -पहले सब अपने -अपने गांव का नाम बताओ। सबने जल्दी -जल्दी अपने गांव का नाम बता दिया। उसके बाद उसने पूछा कि तुम्हारे गांव में सबसे सस्ती चीज क्या मिलती है ?सबने अपने गांव की प्रशंसा करते हुए बताया कि मेरे गांव में चना सस्ता मिलता है ,दूसरे ने कुछ और बताया इसी तरह तीसरे ने भी ,इस तरह उनमें होड़ लग गयी अपने गांव की प्रशंसा करते हुए तभी बजरंगी बोला -मेरे गांव में तो गुड़ सबसे सस्ता मिलता है और उसके साथ ही इतनी सारी रुई भी। बजरंगी के इतना कहने की देर थी कि उसके हाथ से पेड़ छूट गया। उसने हाथ फैलाकर बताने से कि इतनी सारी रुई भी मिलती है। सारे धड़ाम से नीचे आ गिरे। साइकिल वाला हँसता हुआ अपनी साइकिल लेकर चलता बना। सब अपने -अपने रास्ते चल दिए। अब तो दिन भी ढलने वाला था ,उसे भूख भी लगी थी। बजरंगी ने अपनी माँ की दी हुई गुड़ियानी खानी शुरू की ,जल्दी -जल्दी में उसने उस मिटटी के बर्तन में दोनों हाथ डाल दिए कि जल्दी -जल्दी इसे ख़त्म करके अपनी ससुराल समय से ही पहुंच जाऊंगा। जल्दबाज़ी में उसके दोनों हाथ उस बर्तन में फंस गए। अब दोनों हाथ कैसे बाहर निकाले ?कुछ सूझ नहीं रहा था ,उसने अपने पास से एक कपड़े में उस बर्तन सहित दोनों हाथ ढक लिए और अपनी ससुराल पहुंच गया।
उसे अपनी ससुराल पहुंचते -पहुंचते अँधेरा हो गया वो उसके लिए अच्छा ही हुआ उसने सोचा इस अँधेरे में मेरे हाथ कोई नहीं देख पायेगा। वो घर पहुंचा तो उस समय खाना बन रहा था। दामाद को देखकर उसकी सास ने कहा -पाहुने जी !खाना खा लीजिये किन्तु बजरंगी ने मना कर दिया। कुछ देर बाद उसके ससुर आये दामादजी भोजन कर लें लेकिन उसने उनसे भी मना कर दिया। अब तो घर में बात फैल गयी कि दामाद जी नाराज हैं ,भोजन नहीं कर रहे। कुछ देर बाद उन्होंने अपनी बेटी को दामाद को मनाने लिए भेजा। बजरंगी की पत्नी आई और बोली -आप खाना क्यों नहीं खा रहे हैं ?घर में सब परेशान हैं। तब बजरंगी ने अपने दोनों हाथ फंसे हुए दिखाए,और पूछा -कैसे खाना खाऊं ?हाथ तो इस बर्तन में फंसे हुए हैं। तब बजरंगी की पत्नी ने सुझाया -रात को जब सब सो जाएँ ,तब बाहर जाकर एक सफेद पत्थर पर इस बर्तन को फोड़ देना और मैं यहाँ छीके पर एक बर्तन में शहद रख दूंगी ,भूख लगे तो शहद पी लेना। रात को जब सब सो गए तो बजरंगी धीरे से उठा और बाहर आया उसने देखा कि चंदा की चांदनी में वो पत्थर काफी चमक रहा है। बजरंगी ने अपने दोनों हाथ उठाये और उस पत्थर पर दे मारे। वो बर्तन तो टूट गया किन्तु तभी शोर मच गया -अरे !बिजली गिर गयी ,बर्तन में से गुड़ियानी भी गिरी तो आवाज आयी -मीठी -मीठी बिजली गिर गयी। तब बजरंगी को अपनी गलती का एहसास हुआ कि जिसे उसने पत्थर समझा था वो तो उसके ससुर का'' गंजा सिर ''था जो चंदा की चांदनी में पत्थर लग रहा था।
बजरंगी तो शोर सुनकर अपने कमरे की तरफ दौड़ा ,बाहर घर के ओर सदस्य भी आ गए ,ये देखने लिए कि क्या हुआ ?उधर बजरंगी अपने कमरे में चारपाई पर लेट गया ,उसे भूख भी लगी थी। तभी उसे अपनी पत्नी की बात ध्यान आई कि छीके पर शहद रखा है। उसने देखा, कि छीका थोड़ी ऊंचाई पर है ,उसने एक नुकीली वस्तु लेकर उसमें छेद कर दिया ,कुछ देर तक तो वो उसके नीचे खड़ा होकर शहद को पीता रहा उसे नींद भी आ रही थी। अब उसने अपनी चारपाई को उसी छीके के नीचे डाल लिया और लेटकर शहद पीने का मजा लेने लगा और पता नहीं कब उसे नींद आ गयी ?जब वो उठा तो सारा शहद उसकी चारपाई पर और उसके कपड़ों पर था। उसके सारे शरीर में चिपचिपाहट हो रही थी ,अब वो क्या करे ?अभी सोच ही रहा था ,उसे बाहर से किसी के अंदर आने की आवाज़ सुनाई दी। उसने इधर -उधर देखा और उसी कमरे में एक दरवाजा था वो उसके अंदर घुस गया। बजरंगी को मालूम ही नहीं था कि वो कमरा रूई से भरा था। जिस कमरे में वो पहले था उसमें दामाद को न पाकर उसकी सास ने शोर मचाया कि न जाने दामादजी कहाँ गए ?बजरंगी की पत्नी भी उसे देखने आयी। अब बजरंगी कमरे से बाहर निकला जिसे देखते ही उसकी पत्नी ''भूत ''कहकर बेहोश हो गयी। अब बजरंगी ने अपने आप को देखा जिस कमरे में वो छिपा था उसकी रुई शहद के कारण उसके शरीर से लिपट गयी है। तभी एक बच्चा वहां आया और वो भी बजरंगी को देखकर ''भूत -भूत ''चिल्लाने लगा। अब तो लोग इकट्ठे हो गए ,अब बजरंगी घबरा गया और पीछे की खिड़की खोलकर जान बचाकर भागा।
बजरंगी दौड़ता हुआ सबसे छिपते हुए नदी पर पहुंच गया और वहाँ स्नान किया ,वहाँ किसी महिला के वस्त्र सूख रहे थे उसने उन्हें ही पहन लिया उस महिला ने उसे देख लिया उसने भी शोर मचा दिया। इधर से भी लोग उसके पीछे भागे वो जान बचाता हुआ अपने घर की तरफ भागा जहाँ पहले से ही भीड़ इकट्ठा थी जो'' भूत ''को भगाने का उपाय सोच रहे थे। महिला के कपड़े होने के कारण किसी ने भी बजरंगी को नहीं पहचाना ,तब बजरंगी ने अपनी पत्नी को एक कोने में ले जाकर सारी बात बताई और अपने कपड़े बदले। और भीड़ के पास आकर बोला -मैं'' भूत ''भगाने की विद्या जानता हूँ और उसने मन ही मन कुछ मंत्र सा पढ़ा और गंगाजल छिड़का और बोला -''भूत ''भाग गया। सबने बारी-बारी से कमरे में झांककर देखा ,कोई नहीं दिखा। सबने बजरंगी की प्रशंसा की और उसको उसकी पत्नी साथ ख़ुशी -ख़ुशी उसे विदा किया।