दोस्तों !आज फिर से एक नई कहानी आप लोगों के लिए -एक बंदर था ,जिसे संस्कृत में वानर भी कहते हैं और हमारे हनुमान जी का भी यही रूप है और उनकी शरारतों से तो सभी परिचित हैं ,ऐसे ही एक'' चिलबिल ''नाम का बंदर था , वो भगवान 'श्री राम ''की भक्ति करता था ,भगवान ने उसकी भक्ति से ख़ुश होकर उसे आशीर्वाद दिया-' हमेशा दूसरों की मदद करो 'और उसके सर पर हाथ रखा और अंतर्ध्यान हो गए। चिलबिल को पता भी नहीं चला कि भगवान के उसके सिर पर हाथ फेरने के कारण वो विशिष्ट बन गया क्योंकि उसके सिर पर एक' सोने का बाल' उग आया था ,जब उसे पता चला तो वो अपने बाल का विशेष ध्यान रखने लगा। एक दिन 'चिलबिल 'नाई के यहां अपने बाल कटवाने गया उसने नाई से विशेष रूप से' सोने 'के बाल को न काटने की हिदायत दी किन्तु ध्यान रखने पर भी गलती से, उससे वो 'सोने का बाल ' कट ही गया। अब तो चिलबिल को बहुत गुस्सा आया और वो उसका उस्तरा उठाकर चल दिया। नाई ने उससे इसका कारण पूछा तब वो बोला -'-मेरे सिर पर सोने का बाल था ,बाल काटा नाई ने ,नाई का उस्तरा मेरे पास ''कहकर चल दिया।
अभी वो कुछ दूरी पर ही गया था कि उसे कुछ घसियारिन दिखाई दीं उनमें से एक बैठी थी जो उदास थी ,चिलबिल ने उसकी उदासी का कारण जानना चाहा ,उसने बताया कि मेरे पास घास खोदने के लिए खुरपी नहीं ,तब चिलबिल को भगवान का आशीर्वाद याद आया कि' हमेशा दूसरों की मदद करें 'तब चिलबिल ने उसे घास काटने के लिए अपना उस्तरा दे दिया। जब वो घास काट चुकी तो वो उसकी घास की गठरी लेकर चल दिया। उस लड़की ने पूछा -तुम मेरी घास क्यों लेकर जा रहे हो ?तब चिलबिल बोला -''मेरे सिर पर सोने का बाल था वो काटा नाई ने ,नाई का उस्तरा मेरे पास ,मेरा उस्तरा तुम्हारे पास ,तुम्हारी घास मेरे पास। ''कहकर वो आगे चल दिया। आगे जाकर उसे एक गइया खड़ी दिखी जो भूखी थी ,चिलबिल ने उसकी मालकिन से पूछा कि ये भूखी क्यों है ?वो बोली -मेरे पास इसको ख़िलाने के लिए घास नहीं है ,चिलबिल ने उसे अपनी घास दे दी। गाय हरी -हरी घास खाकर बहुत प्रसन्न हुई और उसने बाल्टी भरकर दूध दिया। चिलबिल दूध की बाल्टी लेकर चल दिया। गाय की मालकिन बोली -तुमने हमारी गाय का दूध क्यों लिया ? तब चिलबिल बोला -मेरे सिर पर सोने का बाल था ,बाल काटा नाई ने ,नाई का उस्तरा मेरे पास ,उस्तरा लिया घसियारिन ने, उसकी घास मेरे पास ,घास खाई गाय ने ,गाय का दूध मेरे पास। ''कहकर वो आगे चल दिया।
कुछ आगे जाने पर उसे एक वृद्धा दिखाई दी जो अपने बेटे के लिए खीर बनाना चाहती थी किन्तु उसके पास दूध नहीं था इसलिए वो दुःखी थी ,तब चिलबिल ने पास जाकर पूछा -अम्मा क्यों परेशान हो ?उसने अपनी परेशानी बताई तो चिलबिल ने उसे अपना बाल्टी भरा दूध दे दिया। अम्मा ने ख़ुशी -ख़ुशी खीर बनाई और अपने बेटे को भी खिलाई। जो खीर बची थी उसे चिलबिल उठाकर चल दिया ,वृद्धा ने पूछा -तुम मेरी खीर कहाँ लिए जा रहे हो ?तब चिलबिल बोला -मेरे सिर पर सोने का बाल था ,बाल काटा नाई ने ,नाई का उस्तरा मेरे पास ,मेरा उस्तरा लिया घसियारिन ने उसकी घास मेरे पास ,घास खाई गइया ने गाय का दूध
मेरे पास ,दूध लिया तुमने, तुम्हारी खीर मेरे पास ''कहकर वो आगे चल दिया। आगे जाकर उसे एक सुंदर राजकुमारी मिली जो उदास थी। चिलबिल ने उससे भी पूछा -तुम क्यों उदास हो ?उसने कहा -मेरी खीर खाने की इच्छा है ,बहुत दिनों से मैंने खीर नहीं खाई। चिलबिल ने उसे वो खीर दे दी। राजकुमारी ने वो खीर बड़े ही चाव से खाई तब तक राजकुमारी के माता -पिता भी आ गए किन्तु चिलबिल तो राजकुमारी का हाथ पकड़कर चलता बना। राजा -रानी ने उससे पूछा -तुम हमारी राजकुमारी को कहाँ लिए जा रहे हो ?तब चिलबिल बोला -''मेरे सिर पर सोने का बाल था ,बाल काटा नाई ने ,नाई का उस्तरा मेरे पास ,उस्तरा लिया घसियारिन ने उसकी घास मेरे पास ,घास खाई गाय ने ,गाय का दूध मेरे पास ,दूध लिया अम्मा ने ,अम्मा की खीर मेरे पास ,खीर खाई राजकुमारी ने, अब राजकुमारी मेरे पास ,कहकर वो राजकुमारी का हाथ पकड़कर चल दिया।
मेरे पास ,दूध लिया तुमने, तुम्हारी खीर मेरे पास ''कहकर वो आगे चल दिया। आगे जाकर उसे एक सुंदर राजकुमारी मिली जो उदास थी। चिलबिल ने उससे भी पूछा -तुम क्यों उदास हो ?उसने कहा -मेरी खीर खाने की इच्छा है ,बहुत दिनों से मैंने खीर नहीं खाई। चिलबिल ने उसे वो खीर दे दी। राजकुमारी ने वो खीर बड़े ही चाव से खाई तब तक राजकुमारी के माता -पिता भी आ गए किन्तु चिलबिल तो राजकुमारी का हाथ पकड़कर चलता बना। राजा -रानी ने उससे पूछा -तुम हमारी राजकुमारी को कहाँ लिए जा रहे हो ?तब चिलबिल बोला -''मेरे सिर पर सोने का बाल था ,बाल काटा नाई ने ,नाई का उस्तरा मेरे पास ,उस्तरा लिया घसियारिन ने उसकी घास मेरे पास ,घास खाई गाय ने ,गाय का दूध मेरे पास ,दूध लिया अम्मा ने ,अम्मा की खीर मेरे पास ,खीर खाई राजकुमारी ने, अब राजकुमारी मेरे पास ,कहकर वो राजकुमारी का हाथ पकड़कर चल दिया।
कुछ आगे जाकर देखा एक बूढी महिला रो रही थी और चरखा कात रही थी ,चिलबिल ने उससे पूछा - बूढी अम्मा क्यों रो रही हो ?वो बोली -मेरा बेटा ,इतनी उम्र का हो गया अभी तक उसे कोई लड़की नहीं मिली जो मिली थी वो भाग गयी। तब चिलबिल ने राजकुमारी का हाथ उसके बेटे के हाथ में दे दिया और उन दोनों का विवाह भी करवा दिया। जब सब आराम से सम्पन्न हो गया तो चिलबिल उस बूढी अम्मा का चरखा लेकर चलने लगा। तब अम्मा ने पूछा -तुम मेरा चरखा किधर लेकर चल दिए ?तब चिलबिल बोला -मेरे सिर पर सोने का बाल था वो काटा नाई ने ,नाई का उस्तरा मेरे पास ,मेरा उस्तरा घसियारिन पर ,उसकी घास मेरे पास ,घास खाई गइया ने ,गइया का दूध मेरे पास। दूध लिया अम्मा ने ,अम्मा की खीर मेरे पास ,खीर खाई ,राजकुमारी ने ,राजकुमारी मेरे साथ। राजकुमारी का विवाह तुम्हारे बेटे के साथ तुम्हारा चरखा मेरे पास कहकर वो चलने ही वाला था लेकिन वो चरखा इतना भारी था कि उससे उठा ही नहीं। तभी चिलबिल वहीं बैठकर चरखे को चलाने लगा और गाने लगा -''चल मेरे चरखे ,चरक चूँ ,बहु के बदले तू आया क्यूँ '' ?