kisne roka hei ?

जियो तुम ,अपने सपने किसने रोका है ?
जी लो !जीभर ज़िंदगी किसने टोका है ?

उड़ान भरो !
 जीवनभर अपने अरमानों की ,हर पंछी को,
 क़ुदरत ने इसीलिए भेजा है। 
 अपने जीवन पर अधिकार तुम्हारा  है। 
 क्या ?अपने लिए ही जीना कर्त्तव्य तुम्हारा है। 
 लोग जीते हैं ,गैरों के लिए भी ,
 अपनों के लिए  भी कुछ हक़ तुम्हारा है। 
 माँ तुम्हारी ,पिता तुम्हारे ,मेरा तो सारा घर -बार तुम्हारा है। 
 उड़ान भरो जीवन की ,तुम्हें किसने रोका है ?
 जी लो !जीभर ज़िंदगी तुम्हें किसने टोका है ?
 इस घर की तुम लक्ष्मी ,अन्नपूर्णा ,सरस्वती ,
 कौन पकाता है रसोई ?मेरी माँ का अँगना सूना है।
 मेरी माँ ने भी तो सपना देखा है ,
 बसता मेरा घर संसार ,खिलता अपना अंगना देखा है। 
 जियो तुम ,अपने सपने तुम्हें किसने रोका है ?
  मैं अपनों को ही ,अपना न सका ,संग तुम्हारे रहा उम्रभर ,
 निभा सका न अपना फ़र्ज ,तुमने हर बार ही टोका है। 
 जी लो !जीभर ज़िंदगी तुम्हें किसने रोका है ?
 संग तुम्हारे रहूं'' मैं ''और परिवार एक धोखा है। 
 इस चक्की में पिसता '' मैं ''जीवन ही धोखा है। 

 
 

  
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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