apno ke liye

अपने अधिकारों के लिए ,
अपनों में रहकर ,अपनों से ही ,
 लड़ना पड़ा ,तो क्या किया ?


 जो अपने ,अपनों का दर्द ,
 न समझ सके,तोड़ सके न ,
 अपनों के बंधन ,तो क्या किया ?

 न जाने कितने ?अपने अधिकारों ,
 की ख़ातिर ,जान गंवा बैठे ,
 जो घर की इज्ज़त थीं ,बैठी रहीं सड़कों पर 
 उन्हें इंसाफ़ न दिला सके ,तो क्या किया ?

 सियासत के फेर में ,अपने ही अपने न  रहे ,
 वो क्या ग़ैर थे ? जो सबकी शान थे ,
 अपनों का ही मान न रख सके ,तो क्या किया ?

 क्या ? अपनों से प्यारे' उसूल' थे ,
 अपनों के जख्मों पर मरहम न रख सके ,
 उनके दिल की राहत न बन सके ,तो क्या किया ?

 क्या अपनों का ?अपनों पर अधिकार नहीं ,
 पूरी उम्र गुजार दी ,इस अपनेपन के लिए ,
 उसका मान न रख सके ,तो क्या किया ?
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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