अनजाने से मित्र ,जाने -पहचाने से लगने लगे हैं।
कोई ज्ञान देता है ,कोई हँसा देता है।
कोई जिंदगी का सबक़ सिखा जाता है। तो
कोई चुटीली हरकतों से गुदगुदा जाता है।
अनजाने से मित्र ,जाने पहचाने से लगने लगते हैं।
दूर बैठे ,एक -दूजे का ग़म बाँट लेते हैं।
न ही कोई लालच ,स्वार्थ , रिश्ते अनोखे बन जाते हैं।
शायरी -कविता द्वारा एक -दूजे के ख्यालों में घुस जाते हैं।
वो अनजाने मित्र ,अपने से लगने लगते हैं।
दिन की शुरुआत''राम -राम '' से लेकर,
''शुभरात्रि '' तक फ़र्ज निभाते है।
''जन्मदिन ''हो या शादी की सालगिरह ,
सुख हो या दुःख सब मिल बांटते हैं।
वो अनजान मित्र ,जाने -पहचाने से लगते हैं।
कुछ नहीं तो एक ''लाइक ''मिले ,
उसके लिए बार -बार नजर दौड़ते हैं।
बस एक ''लाइक '' से खुश हो जाते हैं।
जीवन के हर पहलू को बाँट खुश रहते हैं।
और हम'' ठेंगा ''दिखा मुस्कुराते हैं।
इनकी हिम्मत तो देखो ,पत्नी के सामने ही
अपनी बात कहने से बाज नहीं आते हैं।
क्या ?खूब खाना बनाते हैं ,उसका स्वाद हमें भी चख़ा जाते हैं।
अपनी तस्वीरों से ,अपने अन्दाज़े बयां करते हैं।
वो अनजाने मित्र ,जाने -पहचाने नज़र आते हैं।