ज़िंदगी के सफ़र में ,जो
लोग मेरे संग थे ,आज भी याद हैं।
आज भी याद आते हैं ,वो
जो अपने न होकर भी ,अपने रहे।
वो लोग भी याद हैं ,
मैं भूली नहीं ,उन ज़ज्बातों को ,
जिनका साया मेरे साथ था।
हमेशा सर पर उनका हाथ था।
उन हाथों की तपिश , आज भी याद है।
भूली नहीं उन राहों को ,
जो मुझे ले आगे बढ़ चलीं ,
मेहरबानी ,उन धूल भरी राहों ने
रूबरू कराया ,असल ज़िंदगी से।
उन पथरीले रस्तों की चुभन ,आज भी याद हैं।
आज भी ऊंचाइयों की आदत नहीं ,
मैं ,अपनी जमीं जो जुडी हूँ।
मेरे इस सफ़र में साथ न होकर भी ,
साथ थे ,कुछ अनजाने ,जाने -पहचाने से चेहरे ,
कुछ अपनों के ,कुछ बेगाने से चेहरे ,
कुछ सिखलाते सबक़ ज़िंदगी के ,
कुछ निभा जाते ,आज भी याद दिला जाते है।
गाहे -बगाहें आज भी याद आ जाते हैं।
