kyu hai ?

हम -तुम हैं ,पास -पास ,
फिर भी तन्हा -तन्हा' क्यूँ हैं '?
तुमसे मिलने की ,बंधी है आस ,
फिर भी दिल बेक़रार' क्यूँ है '?

तय करना है ,सफ़र साथ -साथ ,
फिर भी हम -तुम दूर' क्यूँ हैं '?
चार कदम भी ,अभी हम साथ न चले हैं। 
दो गज़ दूरी पार भी न की है। 
अभी हमने आपको ठीक से जाना भी नहीं ,
इन आँखों में छिन्न -भिन्न से सपने' क्यूँ हैं '?
हम -तुम हैं ,पास -पास ,
फिर भी तन्हा -तन्हा' क्यूँ हैं '?
 मिलते हैं ,हम रोज़ ख़्वाबों में ,
समा जाते हो ,न जाने कैसे हमारी स्वांसों में। 
दिखा जाते हो सपने अनेक ,
फिर भी हम तुमसे यूँ हैराँ -परेशां' क्यूँ हैं '?
हम- तुम हैं ,पास -पास ,
फिर भी तन्हा -तन्हा' क्यूँ हैं '?
ये बावरे नैन ,ढूँढ़ते हैं तुमको आस -पास। 
ये व्याकुल ,बेचैन मन ,पल -पल होता उदास।
ये बावरा  पंछी, उड़ना चाहे ,उड़ न पाए , 
ये पागल पंछी [आत्मा ]पंख लगाता' क्यूँ है'?
हम -तुम हैं ,पास -पास ,
फिर भी तन्हा -तन्हा' क्यूँ हैं '?
मन में लग्न लागी तेरी ,इसमें तुम समाये हो। 
प्रतिक्षण ,प्रतिपल देखूँ तुझे झाँककर ,इस दिल में। 
बातें होती हैं ,तेरी -मेरी आठों पहर ,
फिर मेरे घर की दीवार पर तेरी तस्वीर 'क्यूँ है' ?

 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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