maa ki tadep

उस माँ की छाती में , 
      कितनी हिलोेर उठी होंगी? 
जिसने अपना दूध पिला ,

            उसे बड़ा किया होगा। 
आज वो  अर्ध नग्न,
           जली  लाश दिखती है।
पाले  थे ,न जाने कितने स्वप्न ?
      आज सब वो ,अंधकारमय  है।
क्या ---
      उस माँ का दिल नहीं दहला होगा। 
जिसकी बाँहों में ,अपना लाल झूला होगा। 
आज वो अपने कर्मों की ख़ातिर, 
                         राह भटका भूला होगा। 
उसके अपने साथ कोई नहीं ,
                     अपमानों का तूफ़ा होगा। 
अपने ही आँसू पीती होगी ,
रोती -पीटती ,अपना लाल कैसे भूला होगा ?
अपमान भरे शब्दों को ,अपने सीने पर झेला होगा। 
दिखा न पाई ,वो मुँह अपने ही आप को ,
जब उसका ही दूध ज़हरीला हुआ होगा। 
जीते जी अपने सीने  पर रखा  पत्थर ,
अपना दिल छलनी जाना होगा। 
 शुष्क नयन ,वो तकती राहें ,क्या बीतेगी?
 उस माँ पर ,अब  उसका  न आना होगा।  
 उस लाल !का अब न वापस आना होगा। 

 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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