kahan hein?rajkumar

पुराने समय में हम अपनी दादी या नानी से कहानियाँ सुनते थे -परियों की ,राजा -रानी की उनकी राजकुमारी की ,जो बहुत ही सुंदर होती थी। कुछ कहानियां गरीब लड़कियों की भी होती थीं  ,जो बेहद खूबसूरत होती थीं  ,सीधी -साधी ,भोली ,लेकिन गरीबी के कारण परेशानियों में फंस जाती थीं । जब  कोई उसे तंग करता था,अचानक उसकी किस्मत चमक उठती थी। भगवान का कोई बंदा आकर मदद करता है ,उसे परेशानियों से बचाता है ,बाद में पता चलता था  कि  वो तो किसी देश का राजकुमार था।  वो सुंदर लड़की उसको भा जाती है और उससे विवाह करके राजकुमार अपने देश या महल ले जाता था । इस तरह से कहानी का सुखांत होता है। कुछ कहानियों में राजकुमारी को दानव उठाकर ले जाता था ,कोई गरीब लेकिन बहादुर और बुद्धिमान नौजवान आता था  ,राजकुमारी को बचाता था। बदले में राजा उसको इनाम में अपना आधा राज्य और राजकुमारी से विवाह करवा  देता था।  अथवा कोई दानव भी किसी राजकुमारी को ले जाता था  तो उस राजकुमारी के प्यार से ,मधुर व्यवहार से उसका स्वभाव ही बदल जाता था  ,जब 

राजकुमारी उसे प्यार करने लगती है तो वो दानव अथवा मेंढक बना राजकुमार अपने असली रूप में आ जाता है। इन कहानियों के द्वारा पता   चलता है कि  अपने अच्छे व्यवहार द्वारा दानव को भी मानव बनाया जा सकता था । इन कहानियों के माध्यम से पता चलता है कि  मधुर व्यवहार ,और सुंदरता ही नारी के दो हथियार रहे हैं जो किसी का भी ह्रदय परिवर्तन करने में सहायक होते थे। 
                      कुछ कहानियों में परिवर्तन भी आये ,समय के साथ राजकुमारियों ने अपनी कोमलता को त्याग  शस्त्र भी उठाये ,उन राजकुमारियों ने अपनी  छाप छोड़ी।' अबला' राजकुमारी ही नहीं रहीं, बहादुर ,वीरांगना भी कहलायीं ,वे अपनी रक्षा के  साथ -साथ अपने देश पर भी मर मिटने को तैयार रहतीं उनके राजकुमार भी उन्हीं की तरह बहादुर और स्वाभिमानी होते।वे घोड़े पर सवार होकर आते और अपनी राजकुमारी को ससम्मान ब्याहकर लेकर जाते।  आज के समय में न ही राज्य रहे ,न ही राजकुमार लेकिन हर लड़की के दिल का कोई न कोई  राजकुमार होता ही है, जो उसके ह्रदय पर राज्य करे। किन्तु समय के साथ बहुत ही परिवर्तन आये। आज के समय में अपने घर की बेटी या राजकुमारी पर किसी राजकुमार की नजर पड़ती है तो प्यार की नहीं। यदि वो लड़की सुंदर होने के साथ -साथ गरीब भी हो ,तो ''सोने पर सुहागा ''उस पर चार लड़कों की नजर पड़ेगी। गाहे -बगाहे उस लड़की ने किसी से दोस्ती कर  भी ली  तो किसी में ही ,इतनी हिम्मत होगी कि  बात विवाह तक जाये ,गयी भी, तो माता -पिता या जाति  -बिरादरी तक पहुंचकर, वो रिश्ते दम तोड़ देते हैं। दूसरी तरह के राजकुमार सिर्फ अपने दोस्तों को दिखाने के लिए ही दोस्ती का ढोंग करते हैं। उस लड़की के भोलेपन का फायदा उठाएगा। प्यार करना तो दूर ,आज के समय में तो इंसानियत ही नहीं बची ,वो तो किसी भोज्य पदार्थ की तरह उसे भी दोस्तों में बाँट देगा। अब प्यार  के किस्से कहाँ रहे  ? कोई अमीर शहजादा आये और किसी गरीब या किसी प्यारी सी शहजादी का जीवन संवार दे। 
               अब तो राजकुमारों की सोच इतनी उन्नति कर गयी है कि कोई सुंदर और पैसे वाली राजकुमारी पट जाये ,या जो  पैसे कमा रही हो। महंगाई भी , राजकुमार व राजकुमारियों की हालत ऐसा करने पर मजबूर करती है। सुंदरता तो आजकल की लड़कियों के लिए अभिशाप बन गया है।पढ़ी -लिखी  लड़की बाहर कमाने निकलेगी तो अनेक दानव नजर आएंगे। मजबूरी और बेबसी तो उसके लिए ग्रहण हैं। दिखने वाले इन  मानवों की भीड़ में, कब कोई दानव निकल आये ?पता ही नहीं चलता। गलती राजकुमारियों की भी नहीं है। पहले दानवों का पता चल जाता था वो दूर जंगलों या गुफाओं में रहते थे, आज दानव मानव का भेष बदलकर ही हम इंसानों के बीच रहते हैं तो पहचान करना मुश्किल हो जाता है। कोई ही राजकुमार ऐसा होगा जो प्यार भी करे और अपने ही दम पर उसकी रक्षा -सुरक्षा का भार ले। जो अच्छे राजकुमार हैं, वो तो अपनी ही जिंदगी में उलझे रहते हैं -प्रथम तो शिक्षा ,उसके पश्चात नौकरी के फेर में पड़ा रहता है। जब तक वो सफलता की सीढियाँ चढ़ता है ,अपने पैरों पर खड़ा होता है ,जिम्मेदारियों को संभालने लायक होता है। तब तक वो उम्र का लगभग आधा पड़ाव पार कर चुका होता है। इन सबसे वो इतना  थक चुका होता है ,ऐसी बातों के विषय में  सोच ही नहीं पाता, न ही उसे समय मिल पाता है। माता -पिता जो भी कमाऊ या दहेज वाली लड़की मिलती है उससे विवाह कर देते हैं। अब तो कुछ राजकुमार ऐसे समझदार हो जाते हैं ,जिम्मेदारियों को संभालते -संभालते विवाह से ही इंकार कर देते हैं। वो इतने थक चुके होते हैं कि और जिम्मेदारियों कोअपने ऊपर ओटना ही नहीं चाहते। किसी गरीब या बेबस लड़की का उद्धार तो तब करेंगे। पहले अपना ही उद्धार कर लें। 
                 आज के समय में असल जिंदगी के राजकुमार उन कहानियों के राजकुमारों से बेहद अलग हैं। ,जिंदगी भी अलग है ,न ही अब ऐसी राजकुमारियाँ रहीं। गरीबी में इतनी सुंदरता पहली बात तो मिलेगी नहीं , मिल भी गयी तो दिल की साफ ,भोली -भाली कहाँ  रहने देते हैं ?अगर रहेगी भी तो ,नोचनें वाले गिद्ध बहुत मिल जाएंगे। आज के समय में किसी के दिल की रानी बने रहना भी ,सोचो बड़े पुण्य किये होंगे क्योंकि आजकल के दिल भी दिल न हुए कोई गेंद हों  , पता नहीं  कब साथ काम करने वाली महिला की गोद में जा गिरे। दानव तो आज भी बहुतेरे मिल जायेंगे, पर पता नहीं कहाँ गए ?वो राजकुमार जो जिंदगी को सुंदर और स्वप्नलोक जैसी बना दे। 





















laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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