मेरी बिटिया !जब भी जाना ,
मुस्कुराकर ,अपने घर जाना।
तुम तो घर की शान हो ,
दोनों घरों का मान हो।
एक -दूजे को समझना ,
और समझाना।
अपने अधिकारों के साथ ,
कर्त्तव्य भी निभाना।
प्यार से रहना ,
सबसे अपनापन बढ़ाना।
आत्मनिर्भर बनना ,
मन में ,अहं न लाना।
जब जी चाहे ,खिलखिलाना।
जीवन को ख़ुशी से जीना।
अपना आत्मसम्मान न खोना।
जब कोई मुस्कुराये ,
तुम भी मुस्कुराना।
किन्तु ,ग़लत से न दबना।
जबरदस्ती झुकाये तो ,न झुकना।
सबकी इच्छाओं का मान रखना ,
पर अपनी इच्छाएँ न दबाना।
अपने संस्कारों को न भूलना।
अपनी मर्यादा का ध्यान रखना।
डरना नहीं ,पर शर्म करना।
ये है ,औरत का गहना।
अपने सपने जीना ,उन्हें न भूलना।
किसी को जरूरत हो तुम्हारी ,
मुख न मोड़ना।
रूठना ,पर जल्द ही मुस्कुराना।
कुछ भी पहनना ,पर बड़ों का मान रखना।
तुम आगे बढ़ना ,पर अपनों को न भूलना।
