shubhashish

मेरी बिटिया !जब भी जाना ,
मुस्कुराकर ,अपने घर जाना। 
तुम तो घर की शान हो ,
दोनों घरों  का मान हो।
 
 एक -दूजे को समझना ,
              और समझाना। 
अपने अधिकारों के साथ ,
        कर्त्तव्य भी निभाना। 
प्यार से रहना ,
    सबसे अपनापन बढ़ाना। 
आत्मनिर्भर बनना ,
           मन में ,अहं न लाना। 

जब जी चाहे ,खिलखिलाना। 
जीवन को ख़ुशी से जीना।
  अपना आत्मसम्मान न खोना। 
जब कोई मुस्कुराये ,
              तुम भी मुस्कुराना। 
किन्तु ,ग़लत से न दबना।
 
जबरदस्ती झुकाये तो ,न झुकना। 
सबकी इच्छाओं का मान रखना ,
 पर अपनी इच्छाएँ न दबाना। 
 अपने संस्कारों को न भूलना। 

अपनी मर्यादा का ध्यान रखना। 
डरना नहीं ,पर शर्म करना। 
ये है ,औरत का गहना। 
अपने सपने जीना ,उन्हें न भूलना। 

किसी को जरूरत हो तुम्हारी ,
                      मुख न मोड़ना। 
रूठना ,पर जल्द ही मुस्कुराना। 
कुछ भी पहनना ,पर बड़ों का मान रखना। 
तुम आगे बढ़ना ,पर अपनों को न भूलना। 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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