aise log

सोचती हूँ !
एक संग्रहालय बना लूँ ,
ऐसे लोगों को संवारूं,
 जिनके लिए' प्यार ,अपनापन' सब कुछ था। 
 जो प्यार के लिए जान देते थे,
 उनके ह्रदय, अपनेपन से भरे होते थे। 
 किसी अनजान को देख खुश होते थे। 
 अपने वचन के पक्के होते थे। 
ऐसे लोग ,
  जो परिवार में एकता की मिसाल होते ,
  अपने से पहले ,दूसरों की सोचते।
  अपमान सहकर भी जीवन जीते। 
  संस्कार -परम्पराओं का मान रखते। 
ऐसे लोग , 
   जीवन  की कमियों को भुला आगे बढ़ते। 
   जिंदगी की कड़ी धूप में भी  मुस्कुराते। 
कोई भुला -भटका राही ,उसे राह दिखा आते।
   फिर ख़ुशी से फूले न समाते।  
 ऐसे लोग ,
     जो आज के लोगों के लिए उदाहरण होते। 
     उनके किस्से -कहानी , आज भी होते। 
     अपनी 'आन -मान' के लिए मिट गए होते।
     अपनी रोटी से आधी रोटी बाँट आते।
ऐसे लोग ,
    घर को एक सूत्र में पिरोते। 
 '  त्याग  ',कर्मशीलता 'का उदाहरण होते। 
   बिन किसी 'भेद- भाव' रक्षक' होते। 
   मिटा देते उस जीवन को ,जो' भक्षक' होते। 
  लोग कहते ,किसी समय में '' ऐसे लोग''भी थे।  
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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