भावनाओं की कूची से
प्यार के रंगों से ,
एक प्यारा सा ,
स्वप्न लोक बना भेजा था तुझे।
इस लोक में ,
सप्तरंगों में ,
कल -कल करते झरने ,
मंत्र मुग्ध करते ,मौसम में ,
तुम और मैं ,
निश्छल विहार करते ,
नए सपनों का इंतजार करते।
मैं और तुम ,
जीवन के इंद्रधनुषी रंग लिए ,
अपनी दुनिया में समाये ,
कहीं कोई छीन न ले ,
थोड़े -थोड़े घबराये, हम।
न जाने कृष्ण वर्ण लिए ,
न जाने कौन ?लील गया ,
कितने वर्ण।
पहचान रही न, इन वर्णों की।
सही /गलत या गलत सही ,
सब भृमित ,भ्र्ममय।
अंधकार मय जीवन।
लील गया उन रंगों को ,
जो स्वर्णिम लगते थे।
रह गया तो सिर्फ कृष्ण वर्ण
उसमें समाहित 'मैं '
प्यार के रंगों से ,
एक प्यारा सा ,
स्वप्न लोक बना भेजा था तुझे।
इस लोक में ,
सप्तरंगों में ,
कल -कल करते झरने ,
मंत्र मुग्ध करते ,मौसम में ,
तुम और मैं ,
निश्छल विहार करते ,
नए सपनों का इंतजार करते।
मैं और तुम ,
जीवन के इंद्रधनुषी रंग लिए ,
अपनी दुनिया में समाये ,
कहीं कोई छीन न ले ,
थोड़े -थोड़े घबराये, हम।
न जाने कृष्ण वर्ण लिए ,
न जाने कौन ?लील गया ,
कितने वर्ण।
पहचान रही न, इन वर्णों की।
सही /गलत या गलत सही ,
सब भृमित ,भ्र्ममय।
अंधकार मय जीवन।
लील गया उन रंगों को ,
जो स्वर्णिम लगते थे।
रह गया तो सिर्फ कृष्ण वर्ण
उसमें समाहित 'मैं '
