mera mein[ahem]

भावनाओं की कूची से 
 प्यार के रंगों से ,
    एक प्यारा सा ,
स्वप्न लोक बना भेजा था तुझे। 
  इस लोक में ,
    सप्तरंगों में ,
कल -कल करते झरने ,
मंत्र मुग्ध करते ,मौसम में ,
  तुम और मैं ,
निश्छल विहार करते ,
  नए सपनों का इंतजार  करते। 

    मैं और तुम ,
जीवन के इंद्रधनुषी रंग लिए ,
   अपनी दुनिया में समाये ,
कहीं कोई छीन न ले ,
     थोड़े -थोड़े घबराये, हम। 
न जाने कृष्ण वर्ण लिए ,
  न जाने  कौन ?लील गया ,
  कितने वर्ण। 
पहचान रही  न, इन वर्णों की। 
   सही /गलत या गलत सही ,
   सब भृमित ,भ्र्ममय। 
  अंधकार मय जीवन। 
    लील गया उन रंगों को ,
   जो स्वर्णिम लगते थे। 
   रह गया तो सिर्फ कृष्ण  वर्ण  
     उसमें समाहित 'मैं '
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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