kahani

हर व्यक्ति के जीवन की कोई न कोई कहानी होती है ,कहानी बनती कैसे है ?कहाँ से ली जाती है ?मानव मष्तिष्क की कल्पना या मानव जीवन से संबंधित होती है। कहानी का संबंध तो किसी से भी हो सकता है। या यूँ कहें, किसी के भी ऊपर लिखी जा सकती है। कहानी का पात्र कोई जानवर या पंछी भी हो सकता है लेकिन इसकी उपज मानव मष्तिष्क ही है। मानव जीवन पर ही न जाने कितनी कहानियाँ बनती हैं -भावनात्मक कहानियाँ, रचनात्मक ,पारिवारिक ,आध्यात्मिक ,मनोरंजक कहानियाँ होती हैं। ज्ञानवर्द्धक व रहस्य से परिपूर्ण कहानियाँ होती हैं ,लेकिन कहानी कोई भी हो लेकिन उसके मूल में  मानव ही होता है। मानव के विचारों की ,उसके रिश्तों की उसकी भावनाओँ से जुडी कहानी ,अच्छी कहानी या बुरी कहानी उसके चरित्र पर निर्भर करती है। 

         कहानी का नायक ज्यादातर त्यागी ,संयमी, बहादुर ,ज्ञानी ,विवेकशील और न जाने कितने चरित्र उस एक नायक में समा  जाते हैं।दुःख सहने की क्षमता भी सबसे ज्यादा उसी में होती है ,तभी तो वो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाता है। कहानी का मुख्य नायक बन जाता है ,उस नायक के विपरीत जितने भी गुण या उन्हें अवगुण कहें दूसरे व्यक्ति में होते हैं ,वो कहलाता है -खलनायक। लेकिन बात तो कहानी की है ,कहानी तो किसी के भी जीवन से संबंधित हो सकती है। किरदार अच्छा हो या बुरा ,चुनौतियाँ तो हर किसी के जीवन में होती हैं। वो किरदार अच्छे से बुरा या बुरे से अच्छा क्यों न बना हो ?कहानी तो कहानी है। कहानी तो किसी की भी जिंदगी के ऊपर बन सकती है क्योंकि हर किसी की जिंदगी की एक अलग ही कहानी होती है।  जब किरदार ही अलग होते हैं ,तो उनके संघर्ष उनके उतार -चढ़ाव भी अलग ही होते हैं। कहानी रोमांचक ,दिलचस्प लग सकती है लेकिन वो किरदार कब और किस परिस्थिति में क्या महसूस करता है ?ये सब कहानीकार पर निर्भर करता  है। 
            अपने किरदार के सुख से सुखी व दुःख से दुखी कर  दे जो वो लेखक की कला पर निर्भर करता है। पाठक उस कहानी को आत्मसात कर ले ,उसे महसूस करे ,तभी कहानीकार की मेहनत सफल होती है। कहानी तो बरसों से चली आ रहीं हैं ,कुछ कहानियाँ तो पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती हैं। कुछ कहानियाँ मनोरंजक होने के साथ -साथ प्रेरणादायक भी होती हैं। लेकिन प्रश्न उठता है, कि कहानियाँ आती कहाँ से हैं ?कहानियाँ हमारे जीवन से ही जुडी होती  हैं ,हमारी सम्पूर्ण जिंदगी में ही न जाने कितनी कहानियाँ या उससे जुड़े किस्से होते हैं। कुछ कहानियाँ काल्पनिक भी हो सकती हैं वो मानव मष्तिष्क कि उपज होती हैं। कहानी हमारी या तुम्हारी किसी की भी जिंदगी का आइना हो सकती हैं। जब तक जीवन है ,तब तक कहानियाँ हैं ,किस्से हैं। 
             जिंदगी खत्म तो कहानी या किस्से खत्म। फिर से नई जिंदगी के साथ नई कहानी की खोज शुरू हो जाती है। जिंदगी के समाप्त होते ही कहानी  भी समाप्त हो जाती है। उस जीवन से जुड़े किस्से भी धीरे -धीरे दम तोड़ देते हैं। कुछ कहानियों को हमारे पूर्वज अपनी धरोहर के रूप में छोड़ जाते हैं ,जो सदियों तक चलती रहती हैं। किसी के जीवन से जुडी कहानी उसके ही साथ चलती हैं और उसके साथ ही खत्म हो जाती हैं। और फिर से  कहानी, नई जिंदगी जिनमें परिस्थितियाँ भिन्न होगीं थोड़ी शैली में भी बदलाव होगा लेकिन होगा वही जीवन -मृत्यु का संघर्ष। फिर से वही नई कहानी, नई शुरुआत और  छोड़ जाता है अपने पीछे एक ' कहानी '











laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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