बरसों बाद आज मैंने ,
अपनी डायरी को निहारा।
कुछ धूल चढ़ी थी ,
जिसको झाड़ा।
उसमें कुछ पन्ने थे ,
मेरी बीती बातों के ,
भूली -बिसरी यादों के।
जीवन के वो स्वर्णिम पल ,
जो डायरी में उतरे थे।
कुछ दुखती यादें थीं ,
जो दिल से उतरी थीं।
डायरी याद दिलाती थी ,
जिंदगी कैसी थी ,अब कैसी हो गई ?
मधुशाला सी लड़की ,अब श्मशान हो गई।
डायरी में लिखी कविताएं ,
आज भी जगमगा रहीं हैं।
मुझे जिंदगी के वो क्षण ,
याद दिला रहीं हैं।
जो कभी लौटकर न आने वाले ,
भूली दास्ताँ को याद दिलाने वाले।
वो पन्ने ,स्वर्णिम अक्षर के थे ,
उसमें न जाने मेरे ,कितने साल बसे थे।
स्मरण कराया ,इस डायरी ने ,
जो बीत गया ,अब न आने वाला ,
जो आ गया ,कभी न जाने वाला।
अपनी डायरी को निहारा।
कुछ धूल चढ़ी थी ,
जिसको झाड़ा।
उसमें कुछ पन्ने थे ,
मेरी बीती बातों के ,
भूली -बिसरी यादों के।
जीवन के वो स्वर्णिम पल ,
जो डायरी में उतरे थे।
कुछ दुखती यादें थीं ,
जो दिल से उतरी थीं।
डायरी याद दिलाती थी ,
जिंदगी कैसी थी ,अब कैसी हो गई ?
मधुशाला सी लड़की ,अब श्मशान हो गई।
डायरी में लिखी कविताएं ,
आज भी जगमगा रहीं हैं।
मुझे जिंदगी के वो क्षण ,
याद दिला रहीं हैं।
जो कभी लौटकर न आने वाले ,
भूली दास्ताँ को याद दिलाने वाले।
वो पन्ने ,स्वर्णिम अक्षर के थे ,
उसमें न जाने मेरे ,कितने साल बसे थे।
स्मरण कराया ,इस डायरी ने ,
जो बीत गया ,अब न आने वाला ,
जो आ गया ,कभी न जाने वाला।
