apna -praya

अभी -अभी वो घर से गया ,लेकिन अजीब सी स्थिति थी। उससे मिलने के बाद भी लग रहा था कि जैसे दिल को सुकून या तसल्ली नहीं मिल रही थी। अंदर ही अंदर कुछ टूट रहा था। कल  तो उसका फोन आया था कि बच्चों के साथ आ रहा हूँ। मैं खुश थी ,कि वो साल भर बाद मिलने आ रहा है ,मैंने खाना बनाया खाने में मटर -पनीर ,कोफ़्ते ,कढ़ी चावल बनाये ,बच्चों के लिए आइसक्रीम भी मंगवाई। सब तैयारी करके रखी थी। वो आकर खड़ा हो गया ,अकेला ही आया था। मैंने पीछे की तरफ झांक कर देखा कि बच्चे दिखें लेकिन बच्चे नहीं दिखे। तब उससे ही पूछा कि -बच्चे कहाँ हैं ?वो बोला  नहीं आये अपनी मम्मी के साथ हैं। मैं कुछ पूछती, इससे पहले ही बोल पड़ा -मैं तो आ गया हूँ कहकर वो चुपचाप बेेठ  गया। मेरी भी हिम्मत नहीं हुई इससे आगे कुछ पूछने की। 

             मैं रसोईघर में खाना गर्म करने लगी ,सोचने लगी कि ऐसी क्या बात हो गई कि इसकी पत्नी व बच्चे साथ नहीं आये?कहते हैं कि - शादी दो लोगों के बीच ही नहीं, दो परिवार भी जुड़ जाते हैं। जब इसका विवाह हुआ था तब एक नया  सदस्य हमारे घर से जुड़ गया था ,सब खुश थे। कि अपने रिश्तों में बढ़ोतरी हो रही है। जब बबलू की बहु घर आई थी तब मैंने खाने पर बुलाया था दोनों को। तब सब खुश थे ,तब से  बीच -बीच में मिलने आ जाता। जब भी मिलने आता बच्चों से हँसता -बोलता, मन को भी सुकून मिलता कि सब ठीक है। आज ऐसे अजनबियों की तरह लग रहा है ,आया है  तो बस खाना पूर्ति करने। अपना भाई होने के बाद भी पराया सा लग रहा है। उसने खाना खाया लेकिन खाते हुए भी लग रहा था ,उसका मन कहीं और है ,कुछ बात तो है जो छिपा रहा है। विवाह के बाद कैसे लोग पराये से हो जातेहैं ?उनके दुःख -दर्द भी अपने हो जाते है। कभी वो परेशान होता था तो मुझसे ही कहता था। और आज देखो कैसे ग़म के से घुट पी  गया?अपना  भाई  पराया हो गया ,अपने दुःख -दर्द अपने आप ही झेल गया। 
         कहते हैं कि  विवाह के बाद लड़की पराई हो जाती है लेकिन उसे देखकर लगता है कि लड़के भी पराये या अजनबी हो जाते हैं। लड़की मिलनसार  हो तो घर में रौनक  आ जाती है इसके विपरीत अपने ही लोग बगलें झाँकने लगते हैं। मैंने घर पर अपनी माँ को फोन किया क्या सब ठीक है? वहाँ पर। पहले तो कुछ बताया नहीं फिर बोलीं -हम सब तो जाने की तैयारी कर  रहे थे कि कुछ दिन तो बहु -बेटे के साथ रहेंगे लेकिन अचानक दोनों में झगड़ा हो गया ,बात तू तू -मैं मैं पर आ गई। कारण क्या था? झगड़े का। पूछने पर बोलीं -पता नहीं ,बस हमारा जाना रद्द हो गया। अभी कुछ दिनों पहले ही बहु के माता -पिता अपनी बेटी के पास से घूमकर आये थे। तब तो कोई झगड़ा नहीं हुआ दोनों के बीच। खूब सेवा की हमारे बेटे ने अपने सास -ससुर की। जब हमने सोचा, कि हम भी अपने बेटे के पास रहें ,घूम आयें तो दोनोंमें झगड़ा हो गया। ज्यादा कुछ नहीं हुआ ,बस हमारा जाना रद्द हुआ। माँ जो कहना चाह रही थी ,मैं समझ रही थी कि अपना -पराया हो गया। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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