maut or jindgi

देखा मैंने ,मौत को 
         प्रत्यक्ष ,नीरव ,स्तब्ध। 
सिर्फ आराम ही आराम। 
  जिंदगी !कोलाहल पूर्ण ,
       संघर्ष से भरपूर। 
जीते हैं ,इसे हम रोज ,
    मरते भी रोज़ हैं। 
   फिर क्यों है ,जिजीविषा जीवन की 
    अपनाया क्यों नहीं ,शांत 
       उस मौत को। 
   रह जाती हैं ,कुछ यादें ,उस जीवन की। 
       जिन्हें याद  कर रोता है ,क्यों?
  जीवन का अंतिम सत्य ,
           समझ सका  न क्यों ?
  जाना है ,उसको भी एक दिन ,
    समझ सका न उस सुखद एहसास को ,
    नहीं चाहता उस एहसास को।
  जिजीविषा ,भरती  है उसमें , 
     उत्साह ,लग्न कुछ करने की तमन्ना। 
   मौत ले जाती है ,
                 दूर ,गहन अंधकार ,शांत ही शांत। 
  न तुम न मैं ,
           पल में कुचल देती है ,
                          रिश्तों की नींव। 
  याद  न रहता ,कोई वादा ,
     कोई कसम न कोई इरादा। 
   बस पीछे छोड़ा है जिंदगी को ,
          रोते  ,बिलखते  ,कलपते ,
     उफ़ !जिंदगी की ये कैसी भयानक मौत। 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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