दीया घर से निकली ,जैसे मौहल्ले में रौनक आ गई। पतली -लम्बी ,आज तो उसने पटियाला सूट पहना था। उस पर नुकीली एड़ी की सेंडिल ,कान में बड़ी -बड़ी बालियां ,बालों का पफ़ बनाकर पीछे पोनी टेल बनाई थी। जब वो इठलाकर चलती न जाने कितनों के दिलों पर अपनी नुकीली हील से खट -खट करती चली जाती। मौहल्ले के लड़के आँहें भरकर उसे जाते हुए देखते रहते लेकिन मौहल्ले की लड़की होने के कारण उसे कुछ कह भी नहीं पाते। इस बात का दीया को भी एहसास था। वो उनकी नजरों के सामने निकलती हुई चली जाती। उसके चेहरे पर एक मदमस्त सी मुस्कान होती ,कभी -कभी उसके माथे पर जो बालों की लट थी ,वो अपने मुँह से फूंक मारकर उड़ाती तो मानों किसी का दिल ही निकाल लेगी। हर रोज़ कुछ न कुछ नया पहनती हर तरह का कपड़ा उस पर फबता।
मौहल्ले के लड़के उसके बारे में सोच -सोचकर पत्र लिखते ,उपहार लेते पर देने की हिम्मत किसी की न होती। किसी ने हिम्मत भी की ,तो उसने अपने तरीक़े से मना दिया। एक दिन मौहल्ले में भीड़ इकट्ठा हो गई। सबने अपने -अपने घरों से निकलकर देखा। हर कोई एक -दूसरे से पूछ रहा था कि क्या हुआ ?समझ किसी को नहीं आ रहा था। तभी कुछ सिपाही दीया के घर की तरफ जाते दिखाई दिए , लड़के और मौहल्ले की महिलायें भी उधर की तरफ चल दीं। बाद में पता चला कि दीया ने आत्महत्या कर ली। ये सबके लिए दिल दहलाने वाली अविश्वशनीय घटना थी। अब सबके मन में प्रश्न उठ रहे थे कि ऐसा क्या हुआ? जो उसे आत्महत्या करनी पड़ गई। उस दिन सारे मौहल्ले में सन्नाटा पसरा रहा।
अगले दिन मंदिर जाते हुए उनके पड़ोस की कान्ता भाभी मिल गईं ,मैंने उनसे पूछा -भाभी क्या हुआ था? वो बोलीं -ज्यादा तो मुझे कुछ पता नहीं ,पर ज्यादा खूबसूरत होना भी एक अभिशाप है। किसी की बुरी नजर पड़ जाये तो वो ही खूबसूरती अभिशाप बनकर रह जाती है। सुना है ,किसी अमीर लड़के की नजर उस पर थी कुछ याद करते हुए अरे !मैं तो उस लड़के को जानती हूँ ,अमीर तो हैं, वो लोग पर माँ -बाप की कमाई, इज़्ज़त दोनों बर्बाद कर रहे हैं। अरे !वो ही शुक्ला परिवार। कई विद्यालय हैं उनके ,उनका छोटा बेटा। मैंने भी हां में हाँ मिलते हुए कहा -वो लड़के तो बहुत ही वाहियात हैं। हाँ ,उन्ही के बेटे के साथ घूमती -फिरती थी। वो भी उसके पैसे की चकाचौंध में आ गई होगी कांता भाभी बोलीं। फिर क्या हुआ ?,मैंने जिज्ञासावश पूछा। फिर क्या होना था ?शादी के बहाने से उसके साथ घूमता -फिरता रहा
जब वो उससे गर्भवती हो गई,जब दीया को इस बात का पता चला तो उसने उस लड़के को ये बात बताई और वह घर वालों का बहाना करके उसे टालता रहा ,जब दीया ने ज्यादा जोर लगाया तो मना कर दिया। जब दीया के घरवालों को इस बात का पता चला तो घर में कोहराम मच गया। वे किसी फैसले पर पहुँचते इससे पहले ही उसने आत्महत्या कर ली।घरवाले कहते हैं, कि उसने परिवार की इज़्ज़त बनाये रखने के लिए अपनी जान दे दी।
मैं पूरी बात जानकर अपने घर की तरफ चल दी ,मैं सोच रही थी कि मेरी भी लड़की है ,ये अमीर या बिगड़े हुए लोग कह लो ,इन्हें तो किसी की भावनाओं की कोई कदर नहीं है दुसरों की जिंदगी से खेलना तो उनके लिए सिर्फ़ दिल बहलाने वाली चीज हो सकती है लेकिन दूसरा तो अपनी जान से गया। उस लड़के को क्या सजा मिली ?या उसे कौन सज़ा देगा ?बेचारी बच्ची सब कुछ अपने ऊपर झेलती रही। जब विवश हो गई होगी तभी उसने यह कदम उठाया होगा और उसके घरवालों पर क्या बीत रही होगी ?बेचारे बच्ची से भी गए और बदनामी हुई सो अलग। सुना है, कोई सबूत न होने के कारण उस लड़के का तो कुछ भी नहीं बिगड़ा। सोचते -सोचते घर पर पहुंच गई ,दरवाजा बेटी ने ही खोला -बेटी को देखते ही मैंने उस पर अपनी बातों से आक्रमण कर दिया।
आजकल के बच्चे सुनते ही किसकी हैं ?अपनी -अपनी चलाते हैं. लड़कों के बहकाये में आ जाते हैं, ये कोई प्यार है, लड़का एक बार बोलेगा कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ और लड़की उसके बहकाये में आ जाती है। ये अपने मतलब के लिए लड़कियों का बेवकूफ बनाते हैं ,उन्हें देखकर गाने गाते हैं। लड़कियाँ सोचती हैं, कि मैं ही खूबसूरत हूँ ,ये मेरी मोहब्बत में मरा जा रहा है और बहकाये में आ जाती हैं। लड़के का मतलब पूरा हुआ तो भूल जाता है ये कोई प्यार नहीं। वो प्यार अब कहाँ हैं ?जो प्यार के लिए जीते थे और प्यार के लिए ही मरते थे। फिल्में देखकर प्यार करना तो आ गया लेकिन निभाना नहीं आया। अपनी मम्मी की इतनी सारी बातें सुनकर नेहा बोली -मम्मी क्या हुआ ?क्या बात है? तब मैंने उसे कान्ता भाभी से हुई सारी बातचीत बताई। सुनकर नेहा चुप हो गई ,थोड़ी देर बाद बोली -अब मैं आपको एक बात बताती हूँ लेकिन किसी से कहियेगा नहीं। उसने इस रहस्य मयी तरीक़े से कहा ,कि मेरी आँखे फैल गईं। मैंने कहा -क्या बात है ?
नेहा बोली -मम्मी !दीया मेरी भी सहेली थी ,मैं उसके बारे में सब जानती हूँ। अच्छा ?तूने कभी हमें बताया नहीं। मैं बीच में ही बोल उठी। ओह !मम्मी आप बीच में मत बोलो ,तभी सारी बात बताऊँगी। मैं चुप हो गई, बोलने के लिए इशारा किया। मैं जानती हूँ कि लड़का तो वही है। लेकिन वो उसकी बातों में इतनी जल्दी नहीं आई, उसने भी दीया को पटाने के लिए बड़े ड्रामे किये थे। जब वो उसके पीछे पड़ा ही रहा और शादी का वायदा किया ,तभी उसने उससे मेलजोल बढ़ाया। जब उसके साथ ऐसी बात हो गई तो उसने कहा था कि मौका हाथ लगते ही मैं अपने घरवालों से बात करुँगा। लेकिन उससे पहले ही दीया के घरवालों को ये बात पता चल गई। उनके घर में तो रोज झगड़े हो रहे थे। वो मुझसे फोन पर बताती रहती थी। वो लड़का थोड़ा समय मांग रहा था लेकिन दीया के घरवालों को जल्दी थी कि इससे पहले बाहर ये बात फैले तुरंत विवाह कर दें। लेकिन जब उसके घर वालों को पता चला तो उन्होंने इस रिश्ते से इंकार कर दिया कहने लगे -हमें पहले पता होता तो सोचते भी, लेकिन अब तो हमने उसका रिश्ता कहीं दूसरी जगह तय कर दिया। मम्मी वो तो बड़ी हिम्मती लड़की थी, वो तो कह रही थी कि मैं यहाँ से दूर चली जाउंगी और इस बच्चे को पाल लूँगी।
लेकिन जिस रात वो मरी थी उसी रात उसका फोन आया था ,और बहुत रो रही थी कह रही थी कि घरवाले कहीं जाने भी नहीं दे रहे। रोज ताने देते हैं कि इसने हमारी इज़्ज़त की कोई परवाह नहीं की और अब ये उस धोखेबाज़ के बच्चे को पालने की सोच रही है। इसने हमारी इज़्ज़त पर बट्टा लगा दिया इससे तो ये मर जाये। एक दिन तो उसके भाई ने उस पर हाथ भी छोड़ दिया था । कह रहा था ,यदि इज़्ज़त की ख़ातिर इसे मारना भी पड़ जाये तो मार देंगे। और मम्मी उन लोगों ने अपनी इज़्ज़त के लिए उसे मार दिया। वो स्वयं नहीं मरी, उसे एक गलती की इतनी बड़ी सजा मिली कि उसे जान से हाथ धोने पड़े। कहकर नेहा रोने लगी उसके अपने ही माता -पिता उसके दुश्मन हो गए। पर मैं सोच रही थी कि उसने आत्महत्या की या मार दी गई दोनों ही सूरतों में जान तो उसी की गई ,झूठी इज़्ज़त की ख़ातिर।
मौहल्ले के लड़के उसके बारे में सोच -सोचकर पत्र लिखते ,उपहार लेते पर देने की हिम्मत किसी की न होती। किसी ने हिम्मत भी की ,तो उसने अपने तरीक़े से मना दिया। एक दिन मौहल्ले में भीड़ इकट्ठा हो गई। सबने अपने -अपने घरों से निकलकर देखा। हर कोई एक -दूसरे से पूछ रहा था कि क्या हुआ ?समझ किसी को नहीं आ रहा था। तभी कुछ सिपाही दीया के घर की तरफ जाते दिखाई दिए , लड़के और मौहल्ले की महिलायें भी उधर की तरफ चल दीं। बाद में पता चला कि दीया ने आत्महत्या कर ली। ये सबके लिए दिल दहलाने वाली अविश्वशनीय घटना थी। अब सबके मन में प्रश्न उठ रहे थे कि ऐसा क्या हुआ? जो उसे आत्महत्या करनी पड़ गई। उस दिन सारे मौहल्ले में सन्नाटा पसरा रहा।
अगले दिन मंदिर जाते हुए उनके पड़ोस की कान्ता भाभी मिल गईं ,मैंने उनसे पूछा -भाभी क्या हुआ था? वो बोलीं -ज्यादा तो मुझे कुछ पता नहीं ,पर ज्यादा खूबसूरत होना भी एक अभिशाप है। किसी की बुरी नजर पड़ जाये तो वो ही खूबसूरती अभिशाप बनकर रह जाती है। सुना है ,किसी अमीर लड़के की नजर उस पर थी कुछ याद करते हुए अरे !मैं तो उस लड़के को जानती हूँ ,अमीर तो हैं, वो लोग पर माँ -बाप की कमाई, इज़्ज़त दोनों बर्बाद कर रहे हैं। अरे !वो ही शुक्ला परिवार। कई विद्यालय हैं उनके ,उनका छोटा बेटा। मैंने भी हां में हाँ मिलते हुए कहा -वो लड़के तो बहुत ही वाहियात हैं। हाँ ,उन्ही के बेटे के साथ घूमती -फिरती थी। वो भी उसके पैसे की चकाचौंध में आ गई होगी कांता भाभी बोलीं। फिर क्या हुआ ?,मैंने जिज्ञासावश पूछा। फिर क्या होना था ?शादी के बहाने से उसके साथ घूमता -फिरता रहा
जब वो उससे गर्भवती हो गई,जब दीया को इस बात का पता चला तो उसने उस लड़के को ये बात बताई और वह घर वालों का बहाना करके उसे टालता रहा ,जब दीया ने ज्यादा जोर लगाया तो मना कर दिया। जब दीया के घरवालों को इस बात का पता चला तो घर में कोहराम मच गया। वे किसी फैसले पर पहुँचते इससे पहले ही उसने आत्महत्या कर ली।घरवाले कहते हैं, कि उसने परिवार की इज़्ज़त बनाये रखने के लिए अपनी जान दे दी।
मैं पूरी बात जानकर अपने घर की तरफ चल दी ,मैं सोच रही थी कि मेरी भी लड़की है ,ये अमीर या बिगड़े हुए लोग कह लो ,इन्हें तो किसी की भावनाओं की कोई कदर नहीं है दुसरों की जिंदगी से खेलना तो उनके लिए सिर्फ़ दिल बहलाने वाली चीज हो सकती है लेकिन दूसरा तो अपनी जान से गया। उस लड़के को क्या सजा मिली ?या उसे कौन सज़ा देगा ?बेचारी बच्ची सब कुछ अपने ऊपर झेलती रही। जब विवश हो गई होगी तभी उसने यह कदम उठाया होगा और उसके घरवालों पर क्या बीत रही होगी ?बेचारे बच्ची से भी गए और बदनामी हुई सो अलग। सुना है, कोई सबूत न होने के कारण उस लड़के का तो कुछ भी नहीं बिगड़ा। सोचते -सोचते घर पर पहुंच गई ,दरवाजा बेटी ने ही खोला -बेटी को देखते ही मैंने उस पर अपनी बातों से आक्रमण कर दिया।
आजकल के बच्चे सुनते ही किसकी हैं ?अपनी -अपनी चलाते हैं. लड़कों के बहकाये में आ जाते हैं, ये कोई प्यार है, लड़का एक बार बोलेगा कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ और लड़की उसके बहकाये में आ जाती है। ये अपने मतलब के लिए लड़कियों का बेवकूफ बनाते हैं ,उन्हें देखकर गाने गाते हैं। लड़कियाँ सोचती हैं, कि मैं ही खूबसूरत हूँ ,ये मेरी मोहब्बत में मरा जा रहा है और बहकाये में आ जाती हैं। लड़के का मतलब पूरा हुआ तो भूल जाता है ये कोई प्यार नहीं। वो प्यार अब कहाँ हैं ?जो प्यार के लिए जीते थे और प्यार के लिए ही मरते थे। फिल्में देखकर प्यार करना तो आ गया लेकिन निभाना नहीं आया। अपनी मम्मी की इतनी सारी बातें सुनकर नेहा बोली -मम्मी क्या हुआ ?क्या बात है? तब मैंने उसे कान्ता भाभी से हुई सारी बातचीत बताई। सुनकर नेहा चुप हो गई ,थोड़ी देर बाद बोली -अब मैं आपको एक बात बताती हूँ लेकिन किसी से कहियेगा नहीं। उसने इस रहस्य मयी तरीक़े से कहा ,कि मेरी आँखे फैल गईं। मैंने कहा -क्या बात है ?
नेहा बोली -मम्मी !दीया मेरी भी सहेली थी ,मैं उसके बारे में सब जानती हूँ। अच्छा ?तूने कभी हमें बताया नहीं। मैं बीच में ही बोल उठी। ओह !मम्मी आप बीच में मत बोलो ,तभी सारी बात बताऊँगी। मैं चुप हो गई, बोलने के लिए इशारा किया। मैं जानती हूँ कि लड़का तो वही है। लेकिन वो उसकी बातों में इतनी जल्दी नहीं आई, उसने भी दीया को पटाने के लिए बड़े ड्रामे किये थे। जब वो उसके पीछे पड़ा ही रहा और शादी का वायदा किया ,तभी उसने उससे मेलजोल बढ़ाया। जब उसके साथ ऐसी बात हो गई तो उसने कहा था कि मौका हाथ लगते ही मैं अपने घरवालों से बात करुँगा। लेकिन उससे पहले ही दीया के घरवालों को ये बात पता चल गई। उनके घर में तो रोज झगड़े हो रहे थे। वो मुझसे फोन पर बताती रहती थी। वो लड़का थोड़ा समय मांग रहा था लेकिन दीया के घरवालों को जल्दी थी कि इससे पहले बाहर ये बात फैले तुरंत विवाह कर दें। लेकिन जब उसके घर वालों को पता चला तो उन्होंने इस रिश्ते से इंकार कर दिया कहने लगे -हमें पहले पता होता तो सोचते भी, लेकिन अब तो हमने उसका रिश्ता कहीं दूसरी जगह तय कर दिया। मम्मी वो तो बड़ी हिम्मती लड़की थी, वो तो कह रही थी कि मैं यहाँ से दूर चली जाउंगी और इस बच्चे को पाल लूँगी।
लेकिन जिस रात वो मरी थी उसी रात उसका फोन आया था ,और बहुत रो रही थी कह रही थी कि घरवाले कहीं जाने भी नहीं दे रहे। रोज ताने देते हैं कि इसने हमारी इज़्ज़त की कोई परवाह नहीं की और अब ये उस धोखेबाज़ के बच्चे को पालने की सोच रही है। इसने हमारी इज़्ज़त पर बट्टा लगा दिया इससे तो ये मर जाये। एक दिन तो उसके भाई ने उस पर हाथ भी छोड़ दिया था । कह रहा था ,यदि इज़्ज़त की ख़ातिर इसे मारना भी पड़ जाये तो मार देंगे। और मम्मी उन लोगों ने अपनी इज़्ज़त के लिए उसे मार दिया। वो स्वयं नहीं मरी, उसे एक गलती की इतनी बड़ी सजा मिली कि उसे जान से हाथ धोने पड़े। कहकर नेहा रोने लगी उसके अपने ही माता -पिता उसके दुश्मन हो गए। पर मैं सोच रही थी कि उसने आत्महत्या की या मार दी गई दोनों ही सूरतों में जान तो उसी की गई ,झूठी इज़्ज़त की ख़ातिर।


