दूर -दूर तक सुनसान इलाका ,सूनी सड़कें ,कहीं भी कोई आता- जाता नहीं दिख रहा था। कुत्तों की भी भौंकने आवाज नहीं आ रही थी। सब अपने -अपने मकानों को बंद किये अंदर बैठे थे। दूर कहीं किसी के खाँसने की आवाज आ रही थी ,शायद कहीं ,कोई बीमार हो मदद की आवश्यकता हो ,लेकिन कोई भी बाहर निकलने का जोख़िम नहीं उठाना चाहता था। सब अपने -अपने घरों में डरे बैठे थे ,उस राक्षस से। पता नहीं कब ,कहाँ से,किस रूप में आक्रमण कर बैठे। उसकी दहशत ही इतनी थी कि मजबूरी में यदि किसी को बाहर निकलना भी पड़ जाये तो मुँह ढ़ककर निकलते। इक्का -दुक्का कोई मुँह छिपाकर घूम रहे थे ,लेकिन वो राक्षस कहीं न कहीं ,किसी न किसी तरीक़े से अपना एक -दो शिकार ढूढ़ ही लेता था। लोगों में उसकी दहशत बढ़ती जा रही थी।
वो राक्षस एक ही देश में नहीं वरन कई देशों में अपनी सेना तैयार कर चुका था। उसकी सेना दिन -प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। दुश्मन को तो वो सम्भलने का मौक़ा ही नहीं देता था और उसका दुश्मन था इंसान। इंसान न जाने कितनी तरक्की कर गया ,लेकिन इंसानों में लूट -खसोट ,झूठ ,बेईमानी ,छल -कपट भरा पड़ा था। थोड़ी देर के लिए भी इंसान आराम की जिंदगी नहीं जी पा रहा था। एक देश दूसरे देश से लड़ने की तैयारी में था। बड़े -बड़े परमाणु बम तैयार किये गए थे। एक -दूसरे के इलाके को हड़पने की कोशिश में थे। अपने को दूसरे से बेहतर साबित करने की होड़ लगी थी। इंसान भाग रहे थे , जाने किस दौड़ में शामिल थे ? जाने ये दौड़ कब खत्म होगी ?कोई नहीं जानता।
इंसानों द्वारा बनाये वाहन भी सड़कों पर सबको पीछे छोड़ने की होड़ में शामिल थे ,पता नहीं कहाँ जाना चाहते थे ?फिर भी किसी को किसी से मिलने की फुरसत ही नहीं थी। भगवान ने इतनी सुंदर प्रकृति बनाई ,इंसान बनाया ,सबसे प्रेम से रहने के लिए,पर इंसान तो ऊँच -नीच ,अमीर -गरीब ,जाति -पाँति या धर्म के नाम पर रोज़ाना किसी न किसी कारण से लड़ते रहते। भगवान ने सबको बनाया था प्रेम से रहने के लिए। लेकिन यहाँ तो इंसानियत खत्म होती जा रही थी। घर की बेटियाँ अपने ही घरों में महफूज नहीं थीं। सड़कों पर तो क्या होंगी ?एक तरीक़े से देखा जाये तो इंसानों में उन्नति के साथ -साथ अनाचार भी फैलता जा रहा था। किसी को किसी की कोई परवाह ही नहीं थी।
तभी एक राक्षस की नजर पृथ्वी लोक पर पड़ी ,उसने धीरे -धीरे अपना साम्राज्य फैलाना प्रारम्भ किया।इंसानों में तो एकता नहीं थी। इसका उस राक्षस ने पूरा -पूरा लाभ उठाया। उन देशों को अपना शिकार बनाया ,जहाँ बुराइयाँ ज्यादा फैली थीं। धीरे- धीरे वो पूरे विश्व को अपनी चपेट में लेना चाहता था ,लेकिन कुछ देश अभी भी उसकी चपेट में आने से बचे हुए थे ,उनमे से एक देश था भारत।
भारत का राजा निडर ,शक्तिशाली और बुद्धिमान था ,वह सम्पूर्ण मानव जाति को जोड़कर रखना चाहता था। उसकी जनता भी अपने राजा से प्रेम व उसका आदर भी करती थी। जनता भी अपने राजा का कहना मानती थी। जनता जानती थी कि राजा जो भी कदम उठाएगा ,प्रजा के हित में ही होगा।
राजा ने अपने मंत्री -मंडल से सलाह करके और अपनी सूझ -बूझ से उस राक्षस की कमजोरी पर वा र करना चाहा। उस राक्षस की कमज़ोरी थी कि वो कुछ घंटे ही जीवित रह सकता था ,अगर उसे कोई शिकार न मिले तो। [जिस प्रकार हमारे भगवान कुछ दिनों के लिए एकांतवास में चले जाते हैं ]उसी प्रकार वहाँ के राजा ने आदेश दिया कि सब एकांतवास में चले जायें। वहाँ प्रभु का स्मरण करें ,सोचें हम क्या हैं ?पृथ्वी पर हमारे जीवन का क्या उद्देश्य है ?हम क्यूँ लड़ रहे हैं ?किसलिए ,किसके लिए ?क्या ये सब हमारे साथ जाने वाला है ?क्यूँ हम अपने -आप को व अपने संस्कारों भूलते जा रहे हैं ?जब राक्षस को कोई मौका ही नहीं मिलेगा तो वह स्वतः ही मर जाएगा और इंसानों को भी अपने -आप को समझने का मौका मिलेगा जिस राक्षस ने कई देशों में हा -हाहाकार मचा रखा था ,उस राक्षस का नाम 'कोरोना 'था। जिससे लड़ने के लिए अब जनता अपने राजा से मिलकर एकजुट होकर तैयार थी।
वो राक्षस एक ही देश में नहीं वरन कई देशों में अपनी सेना तैयार कर चुका था। उसकी सेना दिन -प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। दुश्मन को तो वो सम्भलने का मौक़ा ही नहीं देता था और उसका दुश्मन था इंसान। इंसान न जाने कितनी तरक्की कर गया ,लेकिन इंसानों में लूट -खसोट ,झूठ ,बेईमानी ,छल -कपट भरा पड़ा था। थोड़ी देर के लिए भी इंसान आराम की जिंदगी नहीं जी पा रहा था। एक देश दूसरे देश से लड़ने की तैयारी में था। बड़े -बड़े परमाणु बम तैयार किये गए थे। एक -दूसरे के इलाके को हड़पने की कोशिश में थे। अपने को दूसरे से बेहतर साबित करने की होड़ लगी थी। इंसान भाग रहे थे , जाने किस दौड़ में शामिल थे ? जाने ये दौड़ कब खत्म होगी ?कोई नहीं जानता।
इंसानों द्वारा बनाये वाहन भी सड़कों पर सबको पीछे छोड़ने की होड़ में शामिल थे ,पता नहीं कहाँ जाना चाहते थे ?फिर भी किसी को किसी से मिलने की फुरसत ही नहीं थी। भगवान ने इतनी सुंदर प्रकृति बनाई ,इंसान बनाया ,सबसे प्रेम से रहने के लिए,पर इंसान तो ऊँच -नीच ,अमीर -गरीब ,जाति -पाँति या धर्म के नाम पर रोज़ाना किसी न किसी कारण से लड़ते रहते। भगवान ने सबको बनाया था प्रेम से रहने के लिए। लेकिन यहाँ तो इंसानियत खत्म होती जा रही थी। घर की बेटियाँ अपने ही घरों में महफूज नहीं थीं। सड़कों पर तो क्या होंगी ?एक तरीक़े से देखा जाये तो इंसानों में उन्नति के साथ -साथ अनाचार भी फैलता जा रहा था। किसी को किसी की कोई परवाह ही नहीं थी।
तभी एक राक्षस की नजर पृथ्वी लोक पर पड़ी ,उसने धीरे -धीरे अपना साम्राज्य फैलाना प्रारम्भ किया।इंसानों में तो एकता नहीं थी। इसका उस राक्षस ने पूरा -पूरा लाभ उठाया। उन देशों को अपना शिकार बनाया ,जहाँ बुराइयाँ ज्यादा फैली थीं। धीरे- धीरे वो पूरे विश्व को अपनी चपेट में लेना चाहता था ,लेकिन कुछ देश अभी भी उसकी चपेट में आने से बचे हुए थे ,उनमे से एक देश था भारत।
भारत का राजा निडर ,शक्तिशाली और बुद्धिमान था ,वह सम्पूर्ण मानव जाति को जोड़कर रखना चाहता था। उसकी जनता भी अपने राजा से प्रेम व उसका आदर भी करती थी। जनता भी अपने राजा का कहना मानती थी। जनता जानती थी कि राजा जो भी कदम उठाएगा ,प्रजा के हित में ही होगा।
राजा ने अपने मंत्री -मंडल से सलाह करके और अपनी सूझ -बूझ से उस राक्षस की कमजोरी पर वा र करना चाहा। उस राक्षस की कमज़ोरी थी कि वो कुछ घंटे ही जीवित रह सकता था ,अगर उसे कोई शिकार न मिले तो। [जिस प्रकार हमारे भगवान कुछ दिनों के लिए एकांतवास में चले जाते हैं ]उसी प्रकार वहाँ के राजा ने आदेश दिया कि सब एकांतवास में चले जायें। वहाँ प्रभु का स्मरण करें ,सोचें हम क्या हैं ?पृथ्वी पर हमारे जीवन का क्या उद्देश्य है ?हम क्यूँ लड़ रहे हैं ?किसलिए ,किसके लिए ?क्या ये सब हमारे साथ जाने वाला है ?क्यूँ हम अपने -आप को व अपने संस्कारों भूलते जा रहे हैं ?जब राक्षस को कोई मौका ही नहीं मिलेगा तो वह स्वतः ही मर जाएगा और इंसानों को भी अपने -आप को समझने का मौका मिलेगा जिस राक्षस ने कई देशों में हा -हाहाकार मचा रखा था ,उस राक्षस का नाम 'कोरोना 'था। जिससे लड़ने के लिए अब जनता अपने राजा से मिलकर एकजुट होकर तैयार थी।


