एक दिन जब मैं अख़बार पढ़ रहा था ,श्रीमति जी आई और बोलीं -देखो जी! सामने शायद कोई नए किरायेदार आए हैं। बताकर वो अपने काम में लग गई ,वो मकान हमारे घर के सामने ही पड़ता था वहाँ से आते -जाते लोग दिख जाते थे। एक दिन बोलीं -पता नहीं ये आदमी इस महिला का नौकर है या पति। [सामने घर की तरफ इशारा करके ]ये ही घर के सारे काम करता है। साफ -सफाई से लेकर कपड़े धोने -सुखाने बच्चे को स्कूल ले जाने तक का सभी काम वो ही करता है। उस महिला को तो मैंने सिर्फ कॉफी या चाय पीते हुए ही देखा है। मैंने कहा -हमें किसी से क्या मतलब वो उसकी बीवी हो या मालकिन।
एक बार मैं पार्क में घूम रहा था तब वो लड़का मेरे पास आया बोला -भाई साहब ,आप काफी समय से यहाँ रह रहे हैं तो आपको पता होगा कि आप दूध कहाँ से लाते हैं ?मुझे गाय का दूध चाहिए ,बेटे के लिए। अब वो रोजाना मेरे साथ दूध लेने जाने लगा। धीरे -धीरे पता चला कि उसका नाम विनोद है और वो उस महिला का पति है। एक दिन वो दूध लेने नहीं गया क्योंकि मुझे भी उसके साथ की आदत सी पड़ गई थी। लगातार जब वो तीन -चार दिन तक नहीं आया तो मैंने उसे फोन किया -विनोद तुम कहाँ हो ?दिखाई भी नहीं दिए और दूध लेने भी नहीं जा रहे सब ठीक तो है न?उसने कहा -भाईसाहब !मैं अपने घर में हूँ में बीमार हो गया था तो इसीलिए यहाँ आ गया और उसने जो बताया मैं सुनकर चौंक गया।
मैंने अपनी श्रीमतिजी को बताया कि वो जो लड़का विनोद है ,उसका अपना घर है इसी शहर में। अब वो बीमार है इसीलिए अपने घर में है। बाला [हमारी श्रीमतिजी ]बोली -जब उसका अपना घर है तो वो यहाँ किराये पर क्यों रह रहा है ?और तो और बिमारी में उसकी पत्नी को उसकी देखभाल करनी चाहिए थी और वो वहाँ पड़ा है ,जरूर दाल में कुछ काला है। थोड़े दिन बाद वो ठीक होकर आया और साथ ही बाहर चला गया। उसने बताया- कि उसकी नौकरी लग गई है ,दो तीन माह बाद आएगा। बाला ने बताया कि विनोद तो आया था लेकिन शीघ्र ही चला भी गया। तब मैंने उसे फोन किया -भई , तुम आये भी और मिले बगैर ही चले भी गए। उसने जबाब दिया -भाई साहब !लम्बी कहानी है ,कभी मिलकर बताऊंगा। वो लड़का स्वभाव से अच्छा था ,खुशदिल। उसकी परिस्थिति देखकर उससे हमदर्दी सी हो गई थी लेकिन हमने कभी उससे ज्यादा जानने का प्रयत्न नहीं किया जितना उसने बताया ,ठीक था।
एक दिन वो आया ,उसने जो बताया उसे सुनकर हम चौंक गए। उसके अनुसार -वो अपने ही परिवार का व्यापार संभालता था ,अच्छी बड़ी कोठी है ,नीता के घर से रिश्ता आया ,हमारा घर परिवार और शान देखकर उन लोगों ने रिश्ता किया। नीता मुझसे कुछ ज्यादा पढ़ी -लिखी थी। पहले तो उसने मुझसे कुछ नहीं कहा ,बाद में अपनी पढ़ाई का रौब दिखाने लगी। उसका पति होने के बाद भी उसने कभी मेरा मान नहीं रखा। सारा दिन माँ काम करती ,मैंने देखकर एक दिन कहा भी कि काम में माँ की मदद करो तो बोली -मैं क्या यहाँ काम करने आई हूँ ,पढ़ी -लिखी हूँ ,काम तो नौकर करते हैं। तुम्हारे यहाँ मेरा विवाह इसी कारण से हुआ कि पैसे वाले लोग हैं काम नहीं करना पड़ेगा। मैंने कहा - क्या पढ़े -लिखे लोग काम नहीं करते ?पढ़ाया लिखाया इसीलिए जाता है कि अपने ज्ञान से और अच्छा कार्य करें। मैं माँ का रोज -रोज अपमान नहीं देख पा रहा था।
एक दिन वो अचानक बोली -तुम अलग घर ले लो ,मैं वहाँ सब संभाल लुंगी। मेेंने कहा -इतना बड़ा घर छोड़कर माता -पिता को अकेला छोड़कर कैसे जा सकते हैं ?वो नहीं मानी ,हारकर मैंने घरवालों से बात की। वो किसी भी तरह अपनी जिम्मेदारी को समझे इसी कारण एक बच्चा भी हो गया। घरवालों ने सोचा कि शायद अलग रहकर अपना घर संभाल ले और उन्होंने स्वीकृति दे दी। और यहाँ आकर जैसा कि भाभीजी ने देखा ही है कि सारा काम मैं ही करता। अपना घर का व्यापार भाई के हाथों में सौंपकर अलग नौकरी करने लगा और जब घर वापस आया तो कहने लगी कि खर्चा पूरा नहीं दे रहा है ,मुझे तो इससे तलाक चाहिए। घर में ही घुसने नहीं दे रही। इसने मेरा बेवकूफ बनाया ,मुझे मेरे घर से अलग किया ,मेरा काम छुड़वाया। काम के बहाने बाहर भेजकर अब तलाक मांग रही है। सुनकर बाला तो तिलमिला गई बोली -मैं समझाकर देखूँ लेकिन विनोद ने मना कर दिया। बोला -वो आपका भी अपमान कर देगी। लेकिन बाला तो परेशान हो गई थी कि किसी का घर टूट रहा है ,उसे किस तरह से समझाया जाये ?वो कह रही थी -दुनिया में कैसे -कैसे लोग हैं ,कहते हैं कि लड़कियों पर अत्याचार मत करो लेकिन जब कोई लड़की दूसरे के घर जाकर उनके घर में शांति भंग करती है तब कोई क्या करे ?
एक बार मैं पार्क में घूम रहा था तब वो लड़का मेरे पास आया बोला -भाई साहब ,आप काफी समय से यहाँ रह रहे हैं तो आपको पता होगा कि आप दूध कहाँ से लाते हैं ?मुझे गाय का दूध चाहिए ,बेटे के लिए। अब वो रोजाना मेरे साथ दूध लेने जाने लगा। धीरे -धीरे पता चला कि उसका नाम विनोद है और वो उस महिला का पति है। एक दिन वो दूध लेने नहीं गया क्योंकि मुझे भी उसके साथ की आदत सी पड़ गई थी। लगातार जब वो तीन -चार दिन तक नहीं आया तो मैंने उसे फोन किया -विनोद तुम कहाँ हो ?दिखाई भी नहीं दिए और दूध लेने भी नहीं जा रहे सब ठीक तो है न?उसने कहा -भाईसाहब !मैं अपने घर में हूँ में बीमार हो गया था तो इसीलिए यहाँ आ गया और उसने जो बताया मैं सुनकर चौंक गया।
मैंने अपनी श्रीमतिजी को बताया कि वो जो लड़का विनोद है ,उसका अपना घर है इसी शहर में। अब वो बीमार है इसीलिए अपने घर में है। बाला [हमारी श्रीमतिजी ]बोली -जब उसका अपना घर है तो वो यहाँ किराये पर क्यों रह रहा है ?और तो और बिमारी में उसकी पत्नी को उसकी देखभाल करनी चाहिए थी और वो वहाँ पड़ा है ,जरूर दाल में कुछ काला है। थोड़े दिन बाद वो ठीक होकर आया और साथ ही बाहर चला गया। उसने बताया- कि उसकी नौकरी लग गई है ,दो तीन माह बाद आएगा। बाला ने बताया कि विनोद तो आया था लेकिन शीघ्र ही चला भी गया। तब मैंने उसे फोन किया -भई , तुम आये भी और मिले बगैर ही चले भी गए। उसने जबाब दिया -भाई साहब !लम्बी कहानी है ,कभी मिलकर बताऊंगा। वो लड़का स्वभाव से अच्छा था ,खुशदिल। उसकी परिस्थिति देखकर उससे हमदर्दी सी हो गई थी लेकिन हमने कभी उससे ज्यादा जानने का प्रयत्न नहीं किया जितना उसने बताया ,ठीक था।
एक दिन वो आया ,उसने जो बताया उसे सुनकर हम चौंक गए। उसके अनुसार -वो अपने ही परिवार का व्यापार संभालता था ,अच्छी बड़ी कोठी है ,नीता के घर से रिश्ता आया ,हमारा घर परिवार और शान देखकर उन लोगों ने रिश्ता किया। नीता मुझसे कुछ ज्यादा पढ़ी -लिखी थी। पहले तो उसने मुझसे कुछ नहीं कहा ,बाद में अपनी पढ़ाई का रौब दिखाने लगी। उसका पति होने के बाद भी उसने कभी मेरा मान नहीं रखा। सारा दिन माँ काम करती ,मैंने देखकर एक दिन कहा भी कि काम में माँ की मदद करो तो बोली -मैं क्या यहाँ काम करने आई हूँ ,पढ़ी -लिखी हूँ ,काम तो नौकर करते हैं। तुम्हारे यहाँ मेरा विवाह इसी कारण से हुआ कि पैसे वाले लोग हैं काम नहीं करना पड़ेगा। मैंने कहा - क्या पढ़े -लिखे लोग काम नहीं करते ?पढ़ाया लिखाया इसीलिए जाता है कि अपने ज्ञान से और अच्छा कार्य करें। मैं माँ का रोज -रोज अपमान नहीं देख पा रहा था।
एक दिन वो अचानक बोली -तुम अलग घर ले लो ,मैं वहाँ सब संभाल लुंगी। मेेंने कहा -इतना बड़ा घर छोड़कर माता -पिता को अकेला छोड़कर कैसे जा सकते हैं ?वो नहीं मानी ,हारकर मैंने घरवालों से बात की। वो किसी भी तरह अपनी जिम्मेदारी को समझे इसी कारण एक बच्चा भी हो गया। घरवालों ने सोचा कि शायद अलग रहकर अपना घर संभाल ले और उन्होंने स्वीकृति दे दी। और यहाँ आकर जैसा कि भाभीजी ने देखा ही है कि सारा काम मैं ही करता। अपना घर का व्यापार भाई के हाथों में सौंपकर अलग नौकरी करने लगा और जब घर वापस आया तो कहने लगी कि खर्चा पूरा नहीं दे रहा है ,मुझे तो इससे तलाक चाहिए। घर में ही घुसने नहीं दे रही। इसने मेरा बेवकूफ बनाया ,मुझे मेरे घर से अलग किया ,मेरा काम छुड़वाया। काम के बहाने बाहर भेजकर अब तलाक मांग रही है। सुनकर बाला तो तिलमिला गई बोली -मैं समझाकर देखूँ लेकिन विनोद ने मना कर दिया। बोला -वो आपका भी अपमान कर देगी। लेकिन बाला तो परेशान हो गई थी कि किसी का घर टूट रहा है ,उसे किस तरह से समझाया जाये ?वो कह रही थी -दुनिया में कैसे -कैसे लोग हैं ,कहते हैं कि लड़कियों पर अत्याचार मत करो लेकिन जब कोई लड़की दूसरे के घर जाकर उनके घर में शांति भंग करती है तब कोई क्या करे ?
