chorni

कहानियाँ चुराती हूँ मैं ,
अपनी कुछ पुरानी यादों से ,
    अनकहे  लम्हों से
 चुराती हूँ ,वो पल
      जो जीने की चाह में ,
        हम जी न सके।
चुराती हूँ उन आशाओं को ,
   जो कभी मेरी न हो सकीं।
बीते पलों की उस रचना को,
जो पूरी न हो सकी।
   मैं चुरा लेती हूँ ,
       कुछ पल ,कुछ लम्हें,
गैरों की जिंदगी से।
  यादों के रोशनदान खोल ,
मैं डूब जाती हूँ ,अन्कही यादों में।
    मैं कहानियाँ चुराती हूँ ,
अपनी अनगिनत रंगीन  कल्पनाओं से।
   बुनती हूँ कवितायें ,
 जिंदगी के अनेक पड़ावों की।
  चुराती हूँ ,उन क्षणों को ,
जो देते हैं ,सुख -दुःख।
वेदना से भर देते हैं  वो क्षण।
आल्हादित कर  देते हैं ,वो क्षण
 उन पलों को चुरा ,मोती से
समेट  ,वो माला गूँथती  हूँ  
    रंगीन फूलों के रंग चुरा ,
      मैं रंग भरती हूँ ,
   अपनी कल्पनाओं में। 
चुराती हूँ आसमानी पंखों को, 
क्योंकि मैं चोरनी हूँ ,
   चुराती हूँ ,कुछ लम्हें ,कुछ पल ,
          अपनी और गैरों की  कुछ यादों से।










laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post