shbd jaal

ज़िन्दगी से जूझते ,काम करते समय न जाने कितने विचार , शब्द गोल चक्राकार मस्तिष्क में घूमते रहते। कार्य हाथ करते ,लेकिन मन न जाने किस -किस दुनिया में घूमता रहता। प्रतिदिन सोचती आज कोई भावपूर्ण कहानी मेरे सामने होगी। कभी कोई पारिवारिक कहानी का ख़ाका मस्तिष्क में घूम रहा होता ,या कोई ऐसी ख़बर सुनने को मिलती कि उस खबर के इर्द -गिर्द शब्दों से बने वाक्यों का जाल उलझाने की कोशिश करता। किसी भी सामाजिक परेशानी को सुनकर मन इतना उद्वेलित होता कि शब्दों का ज्वालामुखी अंदर धधक रहा हो ,ऐसा प्रतीत होता और उस ज्वालामुखी से शब्द एक -एक कर आग के गोले की तरह बरस रहे हों। उस आग में सब उथल -पुथल हो जायगा। समाज में ऐसा अनाचार कदापि नहीं होगा। आज ऐसी कहानी उभर कर आएगी कि हर कोई सोचने पर मजबूर हो जायेगा
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                      बचपन से ही सपना था ,उच्चकोटि की कहानीकार या कवियत्री बनूँ। लोगों के पास अपनी भावनाओं या विचारों को पहुँचाना तो शब्दों के माध्यम से ही है ,फिर किसी भी रूप में पहुँचे। सोचा बड़ी प्यारी सी कविता लिखुँ जो मन मोह ले। शब्दों का ऐसा जाल जिसमें हर कोई उलझकर रह जाये। सोचने पे मजबूर हो जाये। न जाने कितने लेख ,कविताएं बने और तिरोहित हो गए। फिर सोचा कहानी लिखुँ ,मध्यमवर्गीय परिवार की जो अनेक परेशानियों से जूझता है। लिखने बैठो तो न जाने ये विचार कहाँ तिरोहित हो गए। विचारों और शब्दों का ही तो खेल है  शब्दों की कोई परिभाषा नहीं , उन्हें जैसे ,जिस मौके पर प्रयोग करोगे वो वैसे ही ढ़ल जायेंगे ,सारा किस्सा तो शब्दों का ही है। शब्द ही मेल करा दें ,झगड़ा भी ,अपना बना लें ,या फिर दूर कर दें।
               फिर सोचा ,कोई प्रेरणादायक कहानी लिखुँ जो किसी को तो प्रेरित करे ,कुछ भी नहीं कर  पाई, इस जिंदगी में ओर जिंदगी है कि रेत की तरह फिसलती जा रही है। तभी विचार आया कि मनुष्य की सबसे बड़ी लड़ाई तो अपने -आप से ही है। कैसे  जिंदगी में मंजिल हासिल करने के लिए अपने आप से ,अपने विचारों और अपनी भावनाओं लड़ता है। कभी -कभी गैरों से अपमानित होकर भी अपने अहं को मारकर अपनों के लिए जीता है। अपनों के लिए कुछ भी कर गुजरता है। दीपक भी तो ऐसे ही हैं सारे  दिन नौकरी के  लिए दफ्तर -दफ्तर जाना। शाम को थक  हारकर लौटना। घर पर लौटकर नौकरी न मिलने के कारण शब्द -बाणो का सामना करना।शब्द बाणो से बिंध वो ओर हतोत्साहित हो गया।  ये शब्द ही आदमी में उत्साह भरते हैं। मेरे समझाने पर शब्दों ने मरहम का काम किया ,और वो नए जोश के साथ तैयारी में जुट गया। अगले दिन उसने अपने व्यवहार व बातचीत से सबको प्रभावित किया ,उसके विचार सबको पसंद आए ,कि  उसे नौकरी मिल ही गई। आकर उसने जो सूचना  दी ,उन वाक्यों से घर भर में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। ये श्रेष्ठ शब्दों का ही परिणाम था। उसे वो मक़ाम हासिल हुआ जो वो चाहता था। मैंने भी उसे वो शब्द बोल ही दिये ,जिन्हें वो बहुत दिनों से सुनना चाहता था ,उन शब्दों ने उसके दिल में प्यार का समंदर भर दिया। इस तरह एक नई कहानी की शुरुआत हुई। 





laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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