soch

सोच मनुष्य के सोचने पर निर्भर करता है जैसा मनुष्य सोचेगा उसकी सोच वैसी ही होगी | उसकी सोच के माध्यम से ही मानव की विचारधारा का पता चलता है , कि वह अच्छी बातें सोचता है या फिर बुरी | सोच पर किसी का बस नही चलता | पता नहीं आदमी कब क्या सोचने लग जाए ? एक अच्छी सोच के साथ ही व्यक्ति का भविष्य निर्भर  करता है सोच से ही भविष्य में अच्छे कर्मों के साथ प्रगतिशील होगा | बिना सोच के वो आगे नहीं बढ़ सकता | 


                  सोच के विषय में सोचना भी एक अच्छी सोच है | सोच कई प्रकार की हो सकती है | अच्छी सोच ,ग़लत सोच , बड़ी सोच ,गहरी सोच भी एक सोच है | व्यंगात्मक व भावनात्मक सोच भी इसी सोच की बहनें हैं | सोचने से ही व्यक्ति पल भर में अपने बिछुड़े रिश्तो से मिल आता है | एक जग़ह रहते हुए भी विदेशों में घूम आता है | सोचते ही क्षण भर मैं पराए रिश्ते भी अपने बन जाते हैं ,और इस सोच मे इसकी सहयोगिनी है विचारधारा |

                    विचारधारा अच्छी होगी ,तो सोचते-सोचते भी आदमी मन ही मन मुस्कुराने लगता है , और गलत विचार आयेंगे तो मनुष्य एक ही स्थान पर खड़ा-खड़ा धधकने लगेगा | ग़ुस्से से उसकी हालत ख़राब हो जाती है ये सोच का ही दोष है
,पता ही नहीं चलता कब ,क्या सोचने लगे ? हम किसी सुपर स्टार से कल्पनाओ के माध्यम से सोच ही सोच में मिल आते है | सोच का जुड़ाव मन से भी होता है | मन खुश विचारधारा सुंदर ,सोच अच्छी | मन दुखी या परेशान तो हम सोच ही सोच में किसी से झगड़ा या फिर उसका क़त्ल भी कर आएंगे |                                    
                   सोचते -सोचते मैं काम में लगी , तभी मन सोचने लगा कि बेटा बाहर गया है पता नहीं किसके साथ गया है ? कब तक आएगा ?बताकर भी नहीं गया पता नहीं कहाँ - कहाँ घूमता रहता है ? पता नहीं कब , किसकी कैसी सोच है ? कहीं कोई बदला न ले ? कब किसका मूड़ बदल जाए ? उफ़..... ये कैसी सोच है ? बढ़ती ही जाती है।  
               
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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