ahasaas [ ek aurat hone ka ]

वो भी  दिन थे ,
       आसमाँ को छूने का दिल करता था ,
         तारे तोड़ने का मान करता था | 
               दिल करता था , सागर को बाहो में भर लूँ 
          दिल करता था , पूरी दुनिया को समेट लूँ  ,
                                                इन बाँहो में। 
              समेट लू इन बादलों के फोहों को 
                           उड़ चलू इन चिड़ियों संग , 
                                           इनसे होड़ लगा के ,
                 इस छोर से उस छोर तक 
                                             मेरा जहाँ हो। 
           खुशियों के जहाँ अंबार हो। 
 आज ये भी दिन है 
             आईना मुझे चिढ़ाता है। 
         याद दिलाता है , उन परछाइयों की 
                  दिखलाता है, अनुभवी चेहरा 
                        समझाता है , उम्र की गरिमा 
                               जिंदगी के उतार - चढ़ाव 
   जिंदगी से समझौते , दया , प्रेम , त्याग , फ़र्ज़ 
        समपर्ण की कुंजी है जिंदगी 
                     एक गौरवमयी जिंदगी का एहसास 
                                          मैं एक औरत गरिमापूर्ण 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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