वो भी दिन थे ,
आसमाँ को छूने का दिल करता था ,
तारे तोड़ने का मान करता था |
दिल करता था , सागर को बाहो में भर लूँ
दिल करता था , पूरी दुनिया को समेट लूँ ,
इन बाँहो में।
समेट लू इन बादलों के फोहों को
उड़ चलू इन चिड़ियों संग ,
इनसे होड़ लगा के ,
इस छोर से उस छोर तक
मेरा जहाँ हो।
खुशियों के जहाँ अंबार हो।
आज ये भी दिन है
आईना मुझे चिढ़ाता है।
याद दिलाता है , उन परछाइयों की
दिखलाता है, अनुभवी चेहरा
समझाता है , उम्र की गरिमा
जिंदगी के उतार - चढ़ाव
जिंदगी से समझौते , दया , प्रेम , त्याग , फ़र्ज़
समपर्ण की कुंजी है जिंदगी
एक गौरवमयी जिंदगी का एहसास
मैं एक औरत गरिमापूर्ण
आसमाँ को छूने का दिल करता था ,
तारे तोड़ने का मान करता था |
दिल करता था , सागर को बाहो में भर लूँ
दिल करता था , पूरी दुनिया को समेट लूँ ,
इन बाँहो में।
समेट लू इन बादलों के फोहों को
उड़ चलू इन चिड़ियों संग ,
इनसे होड़ लगा के ,

मेरा जहाँ हो।
खुशियों के जहाँ अंबार हो।
आज ये भी दिन है
आईना मुझे चिढ़ाता है।
याद दिलाता है , उन परछाइयों की
दिखलाता है, अनुभवी चेहरा
समझाता है , उम्र की गरिमा
जिंदगी के उतार - चढ़ाव
जिंदगी से समझौते , दया , प्रेम , त्याग , फ़र्ज़
समपर्ण की कुंजी है जिंदगी
एक गौरवमयी जिंदगी का एहसास
मैं एक औरत गरिमापूर्ण