कुछ तुमने कहा ,
कुछ मैंने कहा ,
बस यूँ ही कट गई ,ज़िन्दगी ।
कुछ मेरे जज़्बात थे ,
कुछ तुम्हारे।
कुछ मेरे पूरे हुए ,
कुछ तुम्हारे।
बस यूँ ही गुज़र गई ,जिन्दगी ।
कुछ तुम्हारी शिकायतेँ ,
कुछ मेरी।
कुछ तुम्हारी तम्नाये ,
कुछ मेरी।
एक दूसरे से उलझते ,,बस यूँ ही गुज़र गई ,ज़िन्दगी ।
ना तुम पूर्ण हो पाये ,
ना मैं समझ पायी ,
इसी समझी ना समझी में ,
ना जाने कब कटी जिंदगी।
ना जाने कितनी हसरतें ,
दफ़न हुईं।
कुछ तुम्हारी ,कुछ मेरी आहों के बीच ,
कभी -कभी नीरस सी कटी ज़िंदगी
फ़िर भी साथ -साथ कटी ज़िन्दगी।
तुम भी साथ रहे ,
मैंने भी ना छोड़ा
फिर भी साथ -साथ ,
यूँ गुजारी ज़िन्दगी ।
तुम भी मुझसे शिक़वा करो ,
मैं भी शिकायत करुँ।
बस इस तरह कट जाये ,
बाकी ये ज़िन्दगी।
कुछ मैंने कहा ,
बस यूँ ही कट गई ,ज़िन्दगी ।
कुछ मेरे जज़्बात थे ,
कुछ तुम्हारे।
कुछ मेरे पूरे हुए ,
कुछ तुम्हारे।
बस यूँ ही गुज़र गई ,जिन्दगी ।
कुछ तुम्हारी शिकायतेँ ,
कुछ मेरी।
कुछ तुम्हारी तम्नाये ,
कुछ मेरी।
एक दूसरे से उलझते ,,बस यूँ ही गुज़र गई ,ज़िन्दगी ।
ना तुम पूर्ण हो पाये ,
ना मैं समझ पायी ,
इसी समझी ना समझी में ,
ना जाने कब कटी जिंदगी।
ना जाने कितनी हसरतें ,
दफ़न हुईं।
कुछ तुम्हारी ,कुछ मेरी आहों के बीच ,
कभी -कभी नीरस सी कटी ज़िंदगी
फ़िर भी साथ -साथ कटी ज़िन्दगी।
तुम भी साथ रहे ,
मैंने भी ना छोड़ा
फिर भी साथ -साथ ,
यूँ गुजारी ज़िन्दगी ।
तुम भी मुझसे शिक़वा करो ,
मैं भी शिकायत करुँ।
बस इस तरह कट जाये ,
बाकी ये ज़िन्दगी।