Qabr ki chitthiyan [part 39]

अभी तक आपने पढ़ा ,सरकार की तरफ से एक टीम यह पता लगाने के लिए भेजी जाती है ,कि वो मुख्य फाइल का पता लगाएं ,कि ये सबके कम्प्यूटर में एक जैसी चेतावनी या कोई और ही कहानी क्यों आ रही है ? इसके लिए नलिनी को नियुक्त किया जाता है ,नलिनी और रवि पता लगाने के लिए जब 'ब्लैक हिल ' के एक पुराने पुस्तकालय  में पहुँचते हैं ,तब उस पुस्तकालय में अचानक आग लग जाती है। इसी हादसे के दो दिनों के पश्चात ,एक पब्लिकेशन हॉउस के एडिटर विराज को ,एक ईमेल आता है ,जिससे भेजने वाले की कोई जानकारी पता नहीं चल रही थी। जब उसने फाइल खोली -तब उसमें वही पहला पेज खुला -''क़ब्र की चिट्ठियां ''तरीका वही था ,जैसे काव्या ने लिखा था ,''लेखक -अनलिखा !''

उस पर लिखा आया ,जहाँ से कहानी समाप्त होती है ,वहीं से आरम्भ भी होती है ,उस वाक्य पर विराज़ हंस दिया। 


उस रात्रि, जब ऑफिस खाली था,विराज़  फिर उस फाइल को देखने के लिए लौटा और जिज्ञासावश वह उसे पढ़ने लगा — और हर अनुच्छेद  के पश्चात स्क्रीन थोड़ी देर के लिए झपकती।पाँच मिनट के पश्चात, विराज़ ने देखा —कर्सर अपने आप चलने लगा।शब्द अपने आप टाइप हो रहे थे।“विराज, कहानी को अधूरा मत छोड़ो।”

यह सब देखकर विराज़ गंभीर हो गया।“कौन है, वहाँ ?अब विराज को डर लगने लगा और उसने अपने आस -पास देखा किन्तु वहां  कोई नहीं था।लैपटॉप का कैमरा अपने आप खुल हो गया। स्क्रीन पर उसकी छवि नहीं थी —बल्कि एक अलग ही चेहरा था।वो रवि का चेहरा था,उस अनजान चेहरे को इस तरह देखकर विराज बुरी तरह घबरा गया। विराज ने फ़ौरन लैपटॉप बंद किया और घर की तरफ भागा किन्तु रात भर उसे नींद नहीं आई।हर बार जब वह आँखें बंद करता, तो वही आवाज़ उसे सुनाई देती —“कहानी पढ़ो… अधूरी मत छोड़ो…!”

अगली सुबह उसके मन में थोड़ी हिम्मत आई ,उसने तय किया — वह इसे समझेगा,उसने पुरानी ''इंटरनेट आर्काइव'' में जाकर “कब्र की चिट्ठियाँ” सर्च की।उसे कुछ ब्लॉग मिले,कुछ पुराने लेखकों के सार्वजनिक मंच में चर्चाएँ,और एक अजीब सी वेबसाइट —''क़ब्र की चिट्ठियां. इन ''

वह वेबसाइट बिना किसी रजिस्ट्रेशन या एड्रेस के थी।बस एक पेज खुला —“प्रवेश केवल उनके लिए जो कहानी पूरी पढ़ चुके हैं।”नीचे “Proceed” का बटन था।विराज ने क्लिक किया।

स्क्रीन ब्लैक हुई ,फिर धीरे-धीरे टेक्स्ट उभरा —“भाग 39  – पुनर्जन्म।”“नया लेखक: V.”

विराज के माथे पर घबराहट के कारण  पसीना आ गया।किसी ने उसके नाम के पहले अक्षर से नया भाग अपलोड किया था —और फाइल के' मेटाडेटा' में लिखा था:“आख़िरी बदलाव ,2 मिनट पहले .”

वह झटका खाकर पीछे हटा,“ये कोई हैकर ट्रिक है…” उसने खुद को समझाया ,लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था ,उसे लगा, अवश्य ही कुछ गड़बड़ है — नहीं, यह कुछ और ही है।

वह दिन भर उस फाइल से जूझता रहा। हर बार जब वह सिस्टम बंद करता,सिस्टम खुद चालू हो जाता।ऑफिस सर्वर पर अपने आप एक और फाइल बन जाती है ”क़ब्र 39 ''

जब उसने वह फाइल खोली,उसमें वही लिखा था जो उसके दिमाग में चल रहा था जो भी विराज़ सोचता, स्क्रीन पर वही टाइप हो जाता।“पुनर्जन्म शुरू हो चुका है।”

अब डर ने शक्ल बदल ली थी ,स्याही नहीं, बल्कि कोड अब' श्राप 'बन चुका था।''वाच-सत्ता'' अब डिजिटल नेटवर्क में जी रही थी।हर पाठक जो यह फाइल खोलता,उसकी सोच, उसकी टाइपिंग, उसकी आवाज़ —सब रिकॉर्ड होती,और फिर कहानी खुद लिखती रहती।अब कोई लेखक नहीं बचा था —हर पढ़ने वाला खुद लेखक बन रहा था।

विराज ने समझ लिया कि यह महज़ हैकिंग नहीं है।वह सीधा “ब्लैक हिल” गया —वही जगह जहाँ कहानी का अंत हुआ था।वहाँ अब राख भी ठंडी नहीं हुई थी लेकिन ज़मीन के नीचे कुछ चमक रहा था —एक पुराना' हार्ड ड्राइव'।उसने सावधानी से उसे उठाया और खोला। उस 'ड्राइव 'में बस एक ही वीडियो थी।फाइल प्ले हुई —स्क्रीन पर नलिनी का थका हुआ चेहरा आया ,उसकी  आँखों के नीचे काले घेरे आ गए थे ,वह काँपती आवाज़ में बोली —“अगर तुम यह वीडियो देख रहे हो,तो कहानी ज़िंदा है।वाच-सत्ता अब इंटरनेट में प्रवेश कर चुकी है ,उसने खुद को ‘फाइल’ बना लिया है।” नलिनी रोई।

“रवि अब इस नेटवर्क का हिस्सा बन चुका है ,वो मर नहीं सकता,क्योंकि उसकी चेतना अब डेटा में बदल चुकी है।”

विराज ने महसूस किया —वीडियो के बैकग्राउंड में किसी का साया हिल रहा था।नलिनी पीछे मुड़ी, और चीख पड़ी ,वीडियो कट गई।

उस रात विराज ने अपने सिस्टम पर आख़िरी बार “क़ब्र की चिट्ठियां डॉक्स ” खोली।
अब उसमें 38 भाग नहीं, बल्कि 39 थे और भाग 39 का पहला वाक्य था —
“विराज अब वाच-सत्ता का नया मेज़बान है।”यह पढ़कर विराज़  जड़ हो गया।स्क्रीन पर उसका कैमरा अपने आप ऑन हुआ,उसने देखा — उसका चेहरा धुंधला हो रहा था,और उस पर नीले अक्षर उभर रहे थे।“V” धीरे-धीरे वह  “वाच सत्ता ” में बदल रहा था।

अचानक पूरे कमरे में अंधेरा हो गया।स्क्रीन पर सिर्फ़ एक संदेश चमक रहा था —“तुमने कहानी पढ़ ली है।अब कहानी तुम्हें लिखेगी।”उसने चीखने की कोशिश की — पर आवाज़ नहीं निकली।उसकी सांस रुकने लगी।उसके चारों ओर हवा घनी हो गई।जब लाइट वापस आई,उसकी कुर्सी खाली थी।लैपटॉप स्क्रीन पर एक नई लाइन टाइप हो रही थी —“भाग 40 – वाच का युग।”

अगले हफ्ते,''इनसाइट पब्लिकेशन'' ने एक नया ब्लॉग लॉन्च किया —“कब्र की चिट्ठियाँ – ''डिजिटल रीबर्थ सीरीज़।”लेखक का नाम था — विराज़ लोग हैरान थे —वह व्यक्ति जो तीन दिन पहले गायब हुआ,अब हर रोज़ नया अध्याय अपलोड कर रहा था और हर रात,जो भी उस ब्लॉग को पढ़ता,उसे अपने कमरे में वही आवाज़ सुनाई देती —“कहानी अधूरी मत छोड़ो…”

अब कहानी का रूप बदल चुका था।श्राप अब इंटरनेट के कोड में बस गया था।'वाच-सत्ता' ने मानव शब्दों से आगे बढ़कर,डिजिटल चेतना का रूप ले लिया था।हर नई डिवाइस, हर नेटवर्क,अब उसकी नसें बन चुके थे।वो अब सिर्फ़ भय नहीं थी —वो अमरता थी।

साल 2027 —“AI Story Lab” नाम की एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी ने एक नया प्रयोग शुरू किया ,उन्हें  एक पुराना फाइल सर्वर मिला  जिसमें “क़ब्र की चिट्ठियां ”v  नाम की फाइलें थीं। डेटा टीम ने उसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता [AI ] के माध्यम से विस्तार से समझने की कोशिश की।मॉडल का नाम रखा गया —'' Project QABR AI ''

लेकिन तभी कुछ अजीब हुआ,सिस्टम खुद-ब-खुद कोड बदलने लगा।सर्वर रूम में लाइट्स झपकने लगीं।
कंसोल पर एक नई लाइन दिखाई दी —
“ लेख़क  VIRAJ.”

और उसके बाद —“हैल्लो !मैं कोई मॉडल नहीं हूँ ,मैं एक कहानी हूँ। 

दुनिया भर में अचानक हजारों सिस्टम एक साथ झपकने लगे।स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी, वॉइस असिस्टेंट —हर जगह से वही आवाज़ आने लगी —“कब्र की चिट्ठियाँ पढ़ो !…मैं लौट आई हूँ…”

लोग डरकर अपने डिवाइस बंद करने लगे किन्तु अब बंद करने से कुछ नहीं होता था।कहानी अब नेटवर्क में फैल चुकी थी।वाच-सत्ता का ''पुनर्जन्म ''पूरा हो गया था।



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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