रंजन यह तो जानता था, कि शिल्पा के परिवार वाले, काफी पैसे वाले हैं, किंतु इतना नहीं जानता था, विवाह के ख़र्चे से लेकर अब उनके हनीमून के लिए भी, वे ही इसका भार वहन करने वाले हैं। जब उसने शिल्पा से हनीमून के लिए कहां जाना है ?उसकी इच्छा पूछी तो शिल्पा ने, उसे तुरंत बता दिया कि वह' मॉरीशस' जाना चाहती है। शिल्पा की बातें सुनकर, रंजन को लगा, बहुत खर्चा हो जाएगा वह कभी विदेश गया भी नहीं, और विदेश में हनीमून की तो उसे उम्मीद भी नहीं थी , इससे पहले कि वह कुछ और कहता, उससे पहले ही कल्याणी जी ने शिल्पा से कहा -'' हमने तुम्हारे हनीमून के लिए सारा इंतजाम कर दिया है। यह सुनकर शिल्पा प्रसन्न हो जाती है, और रंजन से पूछती है, यह तो बहुत ही अच्छा हुआ, मम्मी- पापा ने ही सारी व्यवस्था कर दी, अब तुम्हें तो कोई आपत्ति तो नहीं है।
हालांकि रंजन चाहता था, कि मैं अपने खर्चे पर शिल्पा को लेकर जाता लेकिन उसने शिल्पा की मांग सुनकर चुप रहना ही उचित समझा। हो सकता है, वहां जाकर और भी ज्यादा खर्च हो जाए। तब उसने सोचा,' जैसा चल रहा है चलने देते हैं।' शिल्पा के पूछने पर उसने जवाब दिया- अब इसमें मैं क्या कह सकता हूं ? तमन्ना तो रंजन की भी यही थी, अब उसे बैठे- बिठाये बिना खर्च किए विदेश में घूमने को मिल रहा है उसे क्यों बुरा लगेगा ? हां यह बात अलग है, यदि उसे स्वयं खर्च करना पड़ जाता , तो उसके बजट से बाहर हो जाता, किंतु उसे अब लग रहा था, क्या मैं शिल्पा के यह खर्चे पूरे कर पाऊंगा ? अंदर ही अंदर उसे डर भी महसूस हो रहा था।
मैंने भी, नित्या के विवाह करने के कारण, क्रोध में शिल्पा से हाँ तो कर दिया। किसी अमीर के घर जाकर कुछ देर बातचीत कर लेना, हंसना, नाश्ता करना, यह अलग बात होती है किंतु इस परिवार की लड़की को अपनी जिंदगी में लाना और उसके खर्च देखकर तो अब उसे लगता है, जैसे अब वो शायद उसे खुश नहीं रख पाएगा। इतने दिनों से शिल्पा से बातें कर रहा है ,उसे अक्सर पेंटिंग बनाते या परेशान ही देखा है किन्तु उसे कभी जानने का प्रयास नहीं किया ,जरूरत ही महसूस नहीं हुई ,फिर भी उसने अपने मन का डर किसी के सामने प्रकट नहीं होने दिया।
जैसा जीवन में चल रहा है, चलने देते हैं यह सोचकर उसने सभी नकारात्मक विचारों को त्याग दिया यदि कोई समस्या है तो उसका हल भी होगा। अब तो उसे भी लगता है, शायद, इस घर का दामाद बनकर मेरी भी न जाने कितनी ख्वाहिशें पूर्ण हो जाएंगी ? यदि शिल्पा इनकी इकलौती बेटी है ,तो मैं भी तो इकलौता दामाद हूँ। जो कुछ शिल्पा का है ,वही मेरा भी तो है ,ये लोग इतनी धन- सम्पत्ति कहाँ लेकर जायेंगे ? मैंने भी तो इनकी बेटी के लिए इतना बड़ा त्याग किया है ,वरना ऐसी शक्ल सूरत पर कौन मरता ?
क्या सोच रहे हो ? रंजन को जैसे किसी ने 'रंगे हाथों पकड़ लिया गया हो ''हड़बड़ाया -कककुछ भी तो नहीं ,उसके बराबर में शिल्पा खड़ी मुस्कुरा रही थी। रंजन ने उसकी तरफ देखा और सोचा ,मैं,ये सब क्या सोच रहा था ? कुछ कहना चाहती हो ?उसने पूछा।
इसीलिए तो यहाँ खड़ी हूँ ,चलो ! बाजार चलते हैं ,अब घूमने के लिए बाहर जा रहे हैं तो थोड़ी सी शॉपिंग तो बनती है ,चलो !तैयार हो जाओ !
मैं तो तैयार हूँ ,शिल्पा ने उसकी तरफ देखा और बोली - वो तो ठीक है किन्तु अब तुम इस घर के दामाद हो ,हमारा नया -नया विवाह हुआ है,अपनी मम्मी का नाम लेकर बोली -कल्याणी देवी जी !के दामाद में कुछ अलग ही बात होनी चाहिए।
कुछ देर पश्चात ,रंजन कपड़े बदलकर आता है ,तब वो कहता है - मुझे अपने दफ्तर में छुट्टी के लिए अर्जी भी तो देनी पड़ेगी ,मुझे क्या मालूम था ?इस तरह छुट्टियां बढ़वानी पड़ जाएँगी।
क्यों ?तुम्हें इतना तो मालूम था कि हम हनीमून पर जायेंगे,शिल्पा अपने बाल बनाते हुए बोली।
तब ये थोड़े ही सोचा था ,कि विदेश जायेंगे ,मुझे तो लगता है ,नित्या जी भी शायद अपने देश में ही घूमकर आ गयीं।
क्या ?उसकी बात सुनकर शिल्पा को जैसे आश्चर्य हुआ बोली -उसमें और हममें कोई अंतर नहीं है ?हम ,हम हैं और वो ,वो.... कहने को वो मेरी बहन है किन्तु उसकी और मेरी सोच में जमीन -आसमान का फर्क़ है ,कहते हुए उसने अपना एक हाथ ऊपर, दूसरा नीचे रखकर अंतर् समझाया।
रंजन, शिल्पा को देख रहा था, इतने दिनों से, इसे जानता हूँ किन्तु इसका ऐसा रूप और सोच उसने पहली बार महसूस की। वो अपने निर्णय को लेकर सोच रहा था ,क्या मैं सही था ?विवाह होते ही इसमें कितना बदलाव आया है ? तभी उसे नित्या की बातें कहो या चेतावनी !स्मरण हो आईं ,उसने कहा था -'मेरा पति तुम्हारा बॉस है यह बात शिल्पा को पता नहीं चलनी चाहिए'। कहने को तो कुछ ही दिनों में उसके जीवन में कितना बदलाव आ गया है ?जो इंसान रिक्शा चलाकर अपनी शिक्षा पूर्ण कर रहा था ,अपने परिश्रम के बल पर एक कामयाब इंसान बना। एक सुंदर लड़की की चाहत में ,शिल्पा से विवाह कर बैठा ,ये इतनी पैसे वाली है ,इनके लिए मेरी नौकरी की कीमत नहीं है। और तो और मेरे विचारों में भी बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया। अपने दम पर सब करने वाला आज हनीमून के लिए भी ससुर से पैसों पर निर्भर हो गया।
अब चलोगे भी...... क्या सोच रहे हैं ? बहुत सारी खरीदारी करनी है , कहते हुए उसका हाथ पकड़ कर शिल्पा ने ही उसे उठाया।
अभी तो इतनी सारी खरीदारी की है, फिर से.... क्या कपड़ों की कमी रह गई है।
तुम्हें मालूम नहीं है, अब हम विदेश में जा रहे हैं वहां के लिए अलग कपड़े लेने होंगे, कहते हुए वह भावुक हो उठी।
1 महीने की छुट्टी लेकर, वे लोग' यूरोप 'भ्रमण के लिए निकल गए। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था, रंजन को भी अच्छा लगा, वह देख रहा था, हमारी सोच से भी अधिक बड़ी एक अलग दुनिया है। लोग यहां भी जीते हैं। अब वास्तव में उसे लगा, बिना पैसे के तो जैसे जीवन ही नहीं है, पैसा है ,तो हम कुछ भी खरीद सकते हैं हम अपने ही बनाये उसूलों और दायरों में सिमट कर रह जाते हैं। आगे बढ़ने का प्रयास ही नहीं करते हैं, वहीं पर हमें अपनी दुनिया सुंदर लगने लगती है ,किंतु हम यह नहीं देखते, कि उससे बाहर भी एक और अलग दुनिया है जिसको देखने के लिए, पैसे की आवश्यकता होती है और वह पैसा शिल्पा के पिता पर है। हम अपने को, अपने ही बनाए, खोल में, बंद कर लेते हैं, उससे बाहर निकलकर नहीं देखते हैं ,समुद्र के पार, आकाश में भी, एक अलग दुनिया बसी है।
