“तुम्हें बस एक बार माफ़ी मांगनी है, रागिनी !इसमें इतना मुश्किल क्या है?” — माँ की आवाज़ अब भी उसके कानों में गूंज रही थी।
किन्तु रागिनी जानती थी, यह 'माफ़ी ’ सिर्फ़ एक शब्द नहीं, बल्कि उसकी इज़्ज़त की कब्र होगी। रागिनी एक तेज़, आत्मसम्मान वाली लड़की है। कॉलेज में उसकी पहचान उसकी ईमानदारी और आत्मविश्वास से होती थी। जहां बाकी लोग झूठ बोलकर ,आगे बढ़ जाते हैं, वहां वो सच्चाई को हथियार की तरह इस्तेमाल करती थी।
क्लास में एक दिन जब सबके सामने प्रोफेसर अजय ने कहा —“रागिनी, तुम्हारे प्रोजेक्ट में कुछ डेटा कॉपी किया गया है, तुम्हें इसके लिए माफ़ी मांगनी चाहिए।”
पूरे क्लास में सन्नाटा छा गया। रागिनी ने हैरानी से कहा -“सर, ये झूठ है, मैंने खुद वो डेटा इकट्ठा किया है।”
अजय मुस्कुराए, “तुम जैसी होनहार लड़कियाँ, छोटी-छोटी गलतियाँ मानने में शर्म महसूस करती हैं ,यदि तुमसे गलती हुई है तो अपने बड़ों से'' क्षमा याचना ”करने से क्या जाता है ?
रागिनी ने कहा -सर !मुझे ''क्षमा याचना '' में कोई शर्म नहीं है, किन्तु मैं ये किसलिए करूँ ?जब मैंने कोई गलती की ही नहीं है,उसने दृढ़ विश्वास के साथ जवाब दिया।
शाम को कॉलिज के ऑफिस से प्राचार्य जी का कॉल आया —“रागिनी, तुम अगर माफ़ी मांग लो, तो हम यह केस यहीं बंद कर देंगे वरना तुम्हारी डिग्री पर असर पड़ सकता है।”
उनके फोन का असर उसकी माँ पर अधिक पड़ा ,वे रागिनी को समझाते हुए बोलीं - “बेटा ! झूठी माफ़ी ही सही, पर एक बार बोल दे ! आगे बढ़ने के लिए कभी-कभी सिर झुकाना भी पड़ता है।”
माँ ,तुम समझ नहीं रही हो ,यदि मैं माफ़ी मांग लेती हूँ ,तो इसका अर्थ है ,मैं अपनी गलती को स्वीकार करती हूँ ,जो मैंने की ही नहीं,तब रागिनी ने दृढ़ स्वर में कहा -“माँ, मैं माफ़ी नहीं मांगूंगी।”
दिन बीतने लगे ,यह बात सारे कॉलेज में फैल गयी ,उसके खिलाफ़ अन्य बातें भी फैलने लगीं —“रागिनी ने चोरी की है…”“इतनी अकड़ किस काम की …”एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी ''
दोस्तों ने भी उससे दूरी बना ली, किन्तु रागिनी हर दिन लैब में जाकर, अपने असली डेटा के सबूत इकट्ठा करती रही।छह महीने की मेहनत के पश्चात, उसने सारे ईमेल, डॉक्यूमेंट्स और टाइम-स्टैम्प्ड रिपोर्ट्स तैयार कीं और एक दिन उसने कॉलेज बोर्ड के सामने वह सब सबूत रख दिये।
सारे सबूत देखकर कमेटी के लोग स्तब्ध रह गये,बाद में जाँच की गयी तो पता चला असली कॉपी-पेस्ट तो खुद प्रोफेसर अजय ने किया था — रागिनी का डेटा अपनी रिसर्च पेपर में डालकर।
सच्चाई सामने आई तो कॉलेज में हड़कंप मच गया। अजय को सस्पेंड कर दिया गया और रागिनी को उसकी “ईमानदारी के लिए अवार्ड '' मिला।
पुरस्कार लेते वक्त किसी ने उससे पूछा -“रागिनी, अगर तब तुम ‘सॉरी’ बोल देतीं, तो आज ये सब झंझट नहीं होता, फिर क्यों नहीं बोला?”
रागिनी मुस्कुराई —“क्योंकि माफ़ी तब मांगी जाती है जब हम ग़लत हों… और मैं ग़लत नहीं थी, अगर मैं तब झूठी माफ़ी मांग लेती, तो शायद दुनिया खुश हो जाती, पर मैं खुद से नज़रें नहीं मिला पाती।”
रात को घर लौटी तो माँ ने उसे गले से लगा लिया और बोलीं -“बेटा, अब समझ आया — कभी-कभी सिर झुकाने से नहीं, सिर उठाकर खड़े रहने से भी जीत मिलती है।”
रागिनी ने मुस्कुराते हुए कहा,“हाँ माँ, और आज भी अगर वक्त पलटे, तो मैं वही कहूंगी…‘मैं माफ़ी नहीं मांगूंगी।’कभी-कभी सच्चाई पर टिके रहना, दुनिया से लड़ने जैसा होता है, लेकिन आत्मसम्मान की लड़ाई में झूठी माफ़ी सबसे बड़ी हार होती है।
रागिनी ने सिर्फ़ अपना नाम ही नहीं, हर उस औरत का साहस बचाया जो सच के लिए झुकने से इंकार करती है।
