Khoobsurat [part 67]

प्रमोद, शिल्पा के विवाह में आ तो गया, किंतु एक नई बात लेकर आया , इसकी जानकारी स्वयं नित्या को भी नहीं थी, और नित्या के लिए यह बात परेशानी का सबब बन गई। वह जानती थी, कि रंजन उसे पसंद करता है, किंतु इस बात को उसने नजरअंदाज किया और अपने घर जाकर, प्रमोद से विवाह कर लिया क्योंकि वह नहीं चाहती थी, शिल्पा जिसे पसंद करती है, वह ,उनके मध्य आए। वह  अपने जीवन में इस तरह की किसी भी परेशानी को नहीं आने देना चाहती थी किंतु प्रमोद ने जब, नित्या को यह बताया -कि वह  रंजन का बॉस है तो नित्या को थोड़ा डर लगा क्योंकि वह शिल्पा की किसी भी  बात से अनजान नहीं थी,वह जानती थी, यदि शिल्पा को पता चल गया, कि मेरा पति उसके पति का बॉस है तो उसे बड़ी बेइज्जती महसूस होगी।


 हर बात को दिल से लगा लेती है, उसे लगेगा, मुझे नीचा दिखाने के लिए, इसने प्रमोद से विवाह किया है। इतने दिनों से वह उसके साथ रह रही है, वह जानती थी  -रंजन का झुकाव मेरी तरफ है, और अब उसे पता चला कि प्रमोद उसके पति का बॉस है, शायद शिल्पा ये बात बर्दाश्त नहीं कर पाएगी। मुझसे छोटी होने के पश्चात भी, हैसियत में, बड़ी बनी  रहना चाहती है। वह नहीं चाहती थी, इन दोनों बातों के विषय में ही, शिल्पा को कुछ पता चले और अभी कुछ देर पहले जो रंजन ने उसके साथ हरकत की है, उसके कारण तो वह बुरी तरह घबरा गई थी। अपनी घबराहट को शांत करने के लिए वह एकांत में अलग कुर्सी पर बैठी हुई थी, तभी प्रमोद , उसे ढूंढते हुए वहां पहुंच गया, जैसे ही उसने नित्या के कंधे पर हाथ रखा ,पहले तो नित्या घबरा गयी,उसने गर्दन घुमाकर देखा ,उसके पीछे प्रमोद खड़ा था,मुस्कुराते हुए बोला   -तुम यहां क्या कर रही हो ?

नित्या भी  मुस्कुरा दी, बोली -विवाह के कामों में, थोड़ी थकावट हो गई है, इसलिए आराम करने बैठी हूं।

तुम मुझे छोड़कर यहाँ चली आईं ,तुमने एक बार भी मेरे विषय में नहीं सोचा ,तुम्हारे बग़ैर मेरा क्या होगा ?नित्या की आँखों में झांकते हुए शिकायत भरे लहजे में प्रमोद बोला - इतने दिन पहले आने की क्या आवश्यकता था,मेरे साथ आज के दिन भी तो आ सकती थीं।

तुम्हारे सहयोगी की बारात के साथ,ताना देते हुए नित्या ने जबाब दिया -विवाह जैसे समारोहों में ,कुछ न भी करो !तब भी थकावट हो ही जाती है। वो चाहती थी ,उसकी बुआ या उसके परिवार के प्रति प्रमोद के मन में कोई भी अनुचित विचार न आये। 

मैं जानता हूं, तुम इन लोगों की ज्यादा करीब हो ,मैंने अपने विवाह में ही देख लिया था, तुम्हारी बुआ की बहन है , कई दिनों पहले आई हों, थकान तो हो ही गई होगी , अब वापस चलने का कब इरादा है ? प्रमोद ने नित्या की थकावट और परेशानी को देखते हुए पूछा। मैं सोच रहा हूं, अब तुम्हें मेरे साथ ही चलना चाहिए।

 चाहती तो....  मैं भी यही हूं, किंतु एक बार बुआ जी से तो पूछना होगा।

इसमें बुआ जी से क्या पूछना है ? तुम्हारा पति आदेश दे रहा है, हमारी पत्नी इतने दिनों से उनके कार्य करके थक गई है , अब तुम्हारे बिन अकेले नहीं रहा जाता कहते हुए आगे बढ़ा , तभी नित्या ने अपने हाथ आगे करके उसे वहीं रोक दिया और बोली -तुम मुझे यहां से मेरी थकावट के लिए ले जा रहे हो, या अपने लिए ले जा रहे हो। 

तुम मेरी पत्नी हो, तुम पर मेरा अधिकार है, मैं, तुमसे प्यार करता हूं, और मैं देख रहा हूं मेरी पत्नी थक चुकी है, उसे इतने दिनों से पति का प्यार नहीं मिला है, तो क्या मैं, अपनी पत्नी पर इतना भी अधिकार नहीं रख सकता, कि उसे अपने घर अपने साथ ले जाऊं ?उसे आराम दूँ ,उसकी सेवा करूं कहते हुए मुस्कुराया।  अब हमारा विवाह हो चुका है,अब तुम्हें मेरे साथ ही चलना होगा। तुम्हें पति के प्यार की इच्छा नहीं है किंतु मुझे तो पत्नी की जरूरत है, तुम नहीं जानती हो, तुम्हारे बिना मेरा एक-एक पल कैसे बीता है ?मुँह बनाते हुए प्रमोद कहता है। 

प्रमोद ,के उस अभिनय को देखकर नित्या को हंसी आ गयी ,प्रमोद की बातों को सुनकर, नित्या सभी बातों को भूल गई और बोली -तुम, बुआ जी से बात कर लेना। कह देना,नित्या मेरे साथ ही चलेगी, मुझे मालूम है वे मुझे रोक लेंगीं , लेकिन मेरा कहना अच्छा नहीं लगता है ,तुम कहोगे तो वो मना नहीं कर पाएंगीं , मन ही मन वह भी तो प्रमोद के साथ जाना चाहती थी।अब दोनों पति-पत्नी ने तय कर लिया था किसको क्या कहना और करना है ? अब मेहमान भी कम हो गए थे ,नित्या को सच में अब प्रमोद की जरूरत महसूस हो रही थी, उसे प्रमोद पर प्यार आया ,उसने प्रमोद का सहारा लिया और उसके कांधे से सिर रखकर बातें करने लगी। 

चलो !विदाई का समय हो गया, प्रमोद ने नित्या को उठाते हुए कहा , कुर्सी पर बैठे-बैठे ही, नित्या उसके कंधे से लगकर सो गई थी, प्रमोद ने भी उसे नहीं उठाया, उसे लग रहा था , कई दिनों की थकी है आंख लग गई ,इसीलिए वह भी इसी तरह बैठा रहा। जब शिल्पा विदाई का समय आया और उसे कुछ लोगों की  आवाज सुनाई, तब उसने नित्या को उठाया। 

नित्या ने आंख खोली-और अपने आसपास देख देखकर बोली- मुझे पता ही नहीं चला , मैं कब सो गई ? बुआ जी, नाराज हो रही होगीं न  जाने यह लड़की कहां चली गई ?

अब तुम उनकी भतीजी ही नहीं हो, मेरी अर्धांगिनी हो !मेरी अर्धांगिनी पर कोई नाराज हो, यह मुझे गवारा नहीं चलो ! तुम्हारी बहन की विदाई का समय हो रहा है, उसके पश्चात हम भी उनसे विदाई लेकर चलते हैं। नित्या जानती थी, बुआ जी मना कर देंगीं किंतु प्रमोद कहेंगे, तो शायद नहीं कर पाएंगीं ।

नित्या उठकर, वॉशरूम गई और वहां पर उसने आईने में अपने आपको देखा, मुंह धोया और अपने कपड़े ठीक किये। नित्या को आया हुआ देखकर, कल्याणी जी ने पूछा -कहां चली गई थी ? तुझे शिल्पा भी पूछ रही थी। 

प्रमोद जी ,मुझे अपने साथ ले गए थे, उन्हें कुछ काम था, यह कहकर उसने बहाना बनाया। 

दूल्हे के टीके का समय हो गया है, ठीक है, मैं आती हूं, कहकर वह चली गई। कुछ देर पश्चात जब वह दूल्हे  के सामने आई , रंजन ने तिरछी नजरों से उसे देखा - अब हल्की साड़ी में, यह और भी खूबसूरत लग रही है किंतु उसको देखकर, रंजन का चेहरा गंभीर हो गया और उसने नित्या को देखकर नजरअंदाज किया, शायद वह नजर अंदाज करने का प्रयास कर रहा था। न जाने, उसके मन में क्या चल रहा था ? शिल्पा की विदाई का समय आ गया था, शिल्पा ने विदा होते समय, नित्या से कहा -मम्मी का ख्याल रखना ! और यहीं पर रहना, जब तक मैं दोबारा न आऊं , चली मत जाना, मेरी जाने के पश्चात मम्मी अकेली हो जाएगीं । 

हां हां मैं यही रहूंगी, तुम निश्चिंत होकर जाओ ! नित्या  ने उसे सांत्वना दिया।

 शिल्पा की विदाई होते ही, अपनी योजना के तहत, प्रमोद ने नित्या से भी चलने के लिए कह दिया। कल्याणी जी  बोलीं -अभी इतनी जल्दी क्या है ? शिल्पा '' पग फेरे '' की रस्म  के लिए भी आएगी, तब चली जाएगी। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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