शिल्पा की जिंदगी का यह सबसे महत्वपूर्ण समय था, जिस प्यार और अपनेपन के लिए वह तरस रही थी , आज उसे, वह मिल रहा है। रंजन ने शिल्पा से विवाह के लिए हां कर दी थी, जब शिल्पा, नित्या के विवाह से वापस आई थी, उसके चेहरे पर खुशी थी, रंजन जानता था -कि नित्या का विवाह हो रहा है।
तब वह शिल्पा से मिलने आया और पूछा - नित्या के विवाह में सब अच्छे से हो गया।
हां, हां बहुत अच्छे से हुआ ,किन्तु तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हों ?शिल्पा ने पूछा ,क्या मेरी ख़ुशी देखकर नहीं लगता सब कुछ अच्छे से हो गया खुश होते हुए ,शिल्पा ने बताया।
शायद रंजन को अभी भी उम्मीद थी कि नित्या का विवाह नहीं होगा,उसे लग रहा था ,मैंने उसके सामने , अपने दिल की बात रखी है ,तब शायद वो उस रिश्ते से इंकार कर दे किंतु उसके विवाह की बात सुनकर वह गंभीर हो गया , और तभी अचानक शिल्पा से पूछ बैठा -'क्या तुम मुझसे शादी करोगी ?'
इस तरह से, आज तक शिल्पा से किसी ने नहीं कहा था, उसे बहुत आश्चर्य हुआ और बोली - क्या तुम ठीक हो ?अचानक तुम्हें क्या हो गया ? तुम्हें, अभी अपने माता-पिता से भी तो पूछना होगा।
वह हम बाद में पूछ लेंगे, मैं सोच रहा था -अब शादियों का सीज़न चल रहा है ,तुम्हारी बहन का विवाह भी हो गया है,अब हमें भी आगे बढ़ जाना चाहिए ,पहले तुम यह बताओ ! क्या तुम, मुझसे विवाह करने के लिए तैयार हो ?
शिल्पा को तो जैसे यकीन ही नहीं हो रहा था, और सोचने लगी -इस तरह इसको क्या जवाब दूं ? बोली -मुझे, तुमसे, इस तरह अचानक ''प्यार का इजहार'' करने की उम्मीद नहीं थी, तुमने मुझे जिंदगी का सबसे बड़ा, आश्चर्य चकित करने कर देने वाला उपहार दिया है। मैं इस मौके को नहीं गंवा सकती, क्योंकि मैं सच में ही तुमसे प्यार करने लगी हूं। हालांकि कुमार, अभी भी उसके दिल के किसी कोने में, दर्द के रूप में छुपा बैठा है , जिसे शिल्पा ने जबरन ही, उसको दुनिया की नजरों से छुपा लिया है किंतु यह जीवन है, चलता ही रहता है यह सोचकर अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करती है। तब वह रंजन से बोली -हां, मैं तैयार हूं कहते हुए उसने रंजन के हाथों में अपना हाथ दे दिया।
यह सब कल्याणी जी दूर से खड़ी होकर देख रही थीं, तभी वे करीब आकर बोलीं -मुझे लगता है, हमारे घर भी शहनाई शीघ्र ही बजने वाली है। दोनों ने एक दूसरे की तरफ मुस्कुरा कर देखा। कल्याणी जी ने रंजन के घर भी संदेश पहुंचा दिया था, और उन लोगों को भी रंजन के विवाह से कोई आपत्ति नहीं थी। अमीर परिवार की इकलौती लड़की है, जो कुछ भी है सब उसका ही है, रंजन ने अपने पिता को समझाया था ,जब पिता ने कहा -लड़की ज्यादा सुंदर नहीं है ,दहेज़ में क्या देंगे ?
सुंदर नहीं है, तो क्या हुआ ? बिना पैसे तो जीवन में कुछ भी नहीं है। लाखों में उसकी पेंटिंग्स बिकती हैं , जीवन भर कमाएगी, अनेक बातें रंजन ने अपने पिता को समझाईं , जिसमें उनका ही लाभ था। पंडित जी के द्वारा मुहूर्त सुझाया गया और विवाह के ''निमंत्रण पत्र ''छप कर आ गए और बांट दिए गए। घर में शादी की बहुत सारी तैयारियां हो रही थीं किंतु ऐसे समय में, हमेशा शिल्पा को नित्या की कमी ख़लती और वह सोच रही थी- कब वह शीघ्र से शीघ्र हनीमून से आए और सब संभाल ले !
जब नित्या को शिल्पा के विवाह का कार्ड मिला तो बेहद प्रसन्न हुई और शिल्पा के विवाह में जाने के लिए, नित्या ने अपने पति प्रमोद से भी पूछा -हाँ ,हाँ क्यों नहीं, तुम्हें अवश्य जाना चाहिए।
नित्या ने प्रमोद से पूछा -क्या आप नहीं आएंगे ?
मैं इतने दिन पहले आकर क्या करूंगा ?जिस दिन विवाह होगा ,वहीं पहुंच जाउंगा,मेरा दफ्तर भी तो है ,अब तुम्हारी तरह मेरा कोई पति तो नहीं है ,जो कमाए और मैं तुम्हारी बहन के विवाह में चला जाऊँ।
अच्छा ,ताना मार रहे हैं ,अभी हमारे विवाह को कितने दिन हुए हैं ?अभी मौज -मस्ती करने दो ,फिर हम भी नौकरी कर लेंगे।
न... न... तुम्हें नौकरी की कोई आवश्यकता नहीं है ,तुम तो बस अपने इस गुलाम की नौकरी करो !उसका घर -परिवार सम्भालो !यही बहुत है।
एक ग़ुलाम की गुलामी करूं ,न... न... मुझसे यह नहीं होगा ,मेरा भी कोई स्तर है ,मैं गुलाम की ग़ुलामी के लिए नहीं बनी ,मैं'' दिलों की रानी''बनने के लिए बनी हूँ।
कितने दिलों की..... ?प्रमोद का प्रश्न सुनकर नित्या को एहसास हुआ ,शायद उसने कुछ गलत बोल दिया है। तब बोली -आपके कितने दिल हैं ?
मुस्कुराते हुए प्रमोद बोला -मेरे पास तो एक छोटा सा नादाँन दिल है।
बस मुझे उसी की रानी बनना है ,नौकरानी नहीं कहते हुए हंसी और उसके करीब आते हुए बोली - वह बात तो मैं समझती हूं कि आपका काम है किंतु विवाह वाले दिन को आप आ ही सकते हैं।
क्यों नहीं ?किस तारीख का विवाह है ?तेइस तारीख़ का है।
ठीक है , 23 तारीख को मैं तुम्हें, वहीं पर मिलूँगा ,जहाँ कोई आता -जाता नहीं ,कहते हुए गुनगुनाने लगा।
नित्या मुस्कुराते हुए बोली -वहां बहुत से लोग आएंगे। नित्या अगले दिन ही शिल्पा के घर के लिए निकल गयी।उसने जाते ही, विवाह की कई ज़िम्मेदारियाँ संभाल लीं।
विवाह वाले दिन नित्या , प्रमोद की प्रतीक्षा कर रही थी, बहुत देर हो गई ,तेरे जीजाजी अभी तक नहीं आए, मैंने उनसे कहा था -सुबह ही आ जाना, अब तो बारात के आने का भी समय हो गया है। पता नहीं,,, कहां रह गए हैं ?फोन भी नहीं उठा रहे हैं , बेचैनी से नित्या ने शिल्पा से कहा,उसके मन में बुरे -बुरे विचार आने लगे।
तू सच ही कह रही है, इतनी लापरवाही उचित नहीं ,लगता है ,तूने जीजाजी की लग़ाम को खींचकर नहीं रखा , क्या तुझे याद है ? तूने उन्हें आने के लिए कहा तो था ? अभी से इतनी लापरवाही अब तक तो उन्हें आ जाना चाहिए था। मुझे लगता है, उन्हें तेरी तनिक भी फिक्र नहीं है,शिल्पा के शब्दों ने नित्या का क्रोध और बढ़ा दिया।
उस दिन तो उन्होंने बड़े विश्वास से कहा था - कि मैं समय पर पहुंच जाऊंगा ,बंटू !जरा बाहर जाकर तो देख, वो आ रहें हैं या नहीं, कहते हुए उसने किसी रिश्तेदार के बच्चे से देखकर आने के लिए कहा। कुछ देर पश्चात बंटू दौड़ते हुए, अंदर आया और बोला -बारात आ गई है।
क्या ??बारात आ गई है और वो नहीं आए, तुझे तो उन्हें देखने के लिए भेजा था, हाँफते हुए बंटू बोला -वही तो बता रहा हूं, पूरी बात कहने तो देती नहीं हो, जीजा जी भी बारात के साथ ही आए हैं , वो बाहर बारात के साथ वहीं पर नाच रहे हैं।
क्या ?? आश्चर्य से दोनों के मुख से निकला।
