Khoobsurat [part 63]

घर में, शहनाइयों की आवाज गूंज रही थी। सभी मेहमान आ रहे थे , कुछ  रिश्तेदार, और पड़ोसी इस विवाह में अपना-अपना सहयोग कर रहे थे। शिल्पा भी, अपने मम्मी -पापा के साथ, इस विवाह में शामिल होने के लिए आई थी। आए भी क्यों न...... उसकी ममेरी मेरी बहन 'नित्या' का विवाह जो है। शिल्पा को देखते ही नित्या ने उसे गले लगा लिया और शिकायत भरे लहजे में बोली -तू अब आ रही है , कुछ दिन पहले नहीं आ सकती थी। मैं सब देख रही हूँ ,अब मैं भी तेरे विवाह में विदाई के समय ही पहुंचूंगी। 

नहीं ,तब भी आने की क्या आवश्यकता है ?जीजू को ही भेज देना। 


तूने अच्छा सुझाव दिया ,अब यही करूंगी ,कहते हुए हंसने लगी और बोली -तू ,कोई मेहमान है , तुझे तो सबसे पहले आना चाहिए था। 

मैं थोड़ा व्यस्त थी... बात को टालते हुए शिल्पा ने जवाब दिया। 

किस काम में व्यस्त थी? क्या रंजन को पटाने में व्यस्त थी, कहते हुए उसकी आँखों में झाँका और उसे पकड़ कर अंदर अपने कमरे में ले गई , अपने मेहंदी लगे हाथों को घूमाते हुए पूछती है  -क्या कुछ बात आगे बढ़ी है , क्या तूने उससे कुछ पूछा ?

कैसी बात, अनजान बनते हुए शिल्पा ने पूछा ?

अब इतनी अनजान भी मत बन,तू सब समझ रही है ,मैं किसके विषय में बात कर रही हूँ ?

शिल्पा ने गंभीरता से जवाब दिया-मैंने उससे कोई बात नहीं की, अब मुझे किसी से कोई अपेक्षा नहीं है किंतु तुम्हारी बुआ ने, अवश्य बात की है। 

अच्छा, चलो शुरुआत तो हुई, तुम करो या बुआ जी एक ही बात है,पहले मुझे यह बताओ ! रंजन ने क्या जवाब दिया? अभी उसने कुछ भी नहीं कहा है. उसने अपने माता-पिता का बहाना लिया है ,यदि उसे यह बात पसंद आती तो कह सकता था, कि मुझे कोई दिक्कत नहीं है आप मेरे माता-पिता से भी बात कर लीजिए। 

कोई बात नहीं, जब माता-पिता के लिए कहा है तो उसका आग्रह भी समझ ही जाओ !

यह तो कोई बात नहीं होती, उसको ऐसे कहने में क्या जा रहा है ? कि मुझे शिल्पा पसंद है। 

सबका अपना-अपना तरीका होता है , कुछ शीघ्र स्वीकार कर लेते हैं, कुछ को स्वीकारने में समय लगता है। 

तू यह सब बातें छोड़ ! तू बता, मेरे होने वाले जीजू कैसे हैं ?अब तो उनके विषय में बात होनी चाहिए। 

गंभीर होते हुए नित्या बोली -इंसान हैं , इंसानों की तरह ही बातचीत करते हैं, इंसानों की तरह ही उठते बैठते हैं , शायद थोड़ी बहुत इंसानियत भी उसमें है, कहते हुए जोर-जोर से हंसने लगी। 

तू भी न..... हर चीज को मजाक में ले लेती है। यह कोई मजाक का विषय नहीं है, पूरी जिंदगी का सवाल है। 

तभी तो कह रही हूं ,पूरी जिंदगी इस तरह गंभीर होकर तो नहीं जिया जा सकता, उसके लिए हंसी -मजाक तो ढूंढना ही पड़ता है। कोई नहीं करता तो हम ही कर लेते हैं , वेेसे एक बात बताऊं ,वो बहुत अच्छे हैं  , एक बड़ी सी कंपनी में नौकरी करते हैं , देखने में आकर्षक है और सबसे बड़ी बात तो यह है, किसी रहस्यमयी  तरीके से वह बोली -उन्हें मैं पसंद हूं अपनी भौंहें हिलाते हुए बोली। 

 नित्या की बात सुनकर, शिल्पा थोड़ा गंभीर हो गई और बोली -पसंद क्यों नहीं होगी ? तू है ही इतनी'' खूबसूरत '' उनके पास कोई चॉइस ही नहीं रही होगी। वैसे एक बात बताऊं, मुझे तो लगता है -यदि हम तेरे लिए रंजन से भी पूछते, तो शायद वह भी, एक बार में हां कर देता, यह कहते हुए शिल्पा उदास हो गई, उसे सोचने का इतना समय नहीं लेना पड़ता। 

तू उदास क्यों होती है ? देखना, वह तुझसे ही विवाह करेगा वरना दोबारा आना जाना नहीं करता। अच्छा अब जल्दी जाकर तैयार हो जा और मुझे साथ लेकर भी तो तुझे जाना है और भोजन भी कर ले। कहकर नित्या ने शिल्पा को भोजन के लिए भेजा और स्वयं सोचने लगी -उस दिन मैंने रंजन से पूछा था, कि तुम यहां क्यों आते हो ? उसने सीधे और स्पष्ट शब्दों में कहा था -तुम्हारे लिए ! किंतु मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया था क्योंकि मैं जानती थी -यदि शिल्पा को यह सब पता चलेगा , तो वह टूट जाएगी , क्योंकि वह उसे पसंद तो करती है लेकिन उसके मन में एक घबराहट भी है, हालाँकि रंजन बुरा नहीं है किन्तु उसको मैंने शिल्पा के लिए ही छोड़ दिया। उसने अभी जबाब नहीं दिया है किन्तु दे देगा। उसे विश्वास है ,जब उसे पता चलेगा मेरा विवाह हो रहा है ,तो उसके पास और कोई रास्ता नहीं होगा। 

जीवन में  न जाने कितने लोग मिलते हैं ,जो अच्छे बनने का अभिनय करते हैं किन्तु कुछ अच्छा कर देते हैं और किसी को पता भी नहीं चलता। नित्या ने शिल्पा के लिए क्या कुछ नहीं किया किन्तु उसको कभी कुछ पता भी चलने नहीं दिया। क्या नित्या का ये त्याग  आगे चलकर , शिल्पा की जिंदगी में खुशियां ला सकेगा? यह तो वक्त ही बताएगा। कुछ देर के पश्चात शिल्पा आती है और नित्या से कहती है -'चलो !बारात आने का समय हो गया है अब तुम्हें तैयार हो जाना चाहिए। '' 

विदाई के समय, नित्या ने शिल्पा से कहा -अब मैं अपने घर जा रही हूं , तुम दोनों को भी अपना घर बसा लेना चाहिए हो सकता है रंजन को, इस बात को स्वीकार करने में थोड़ा समय लगे लेकिन मुझे लगता है, वो  अवश्य ही , तुम्हारे  जीवन में अच्छा 'हमसफर'साबित  होगा मैं उम्मीद करती हूं जब मैं तुमसे मिलने आऊं तो उस समय, तुम्हारे विवाह में आऊं , वैसे तुम्हें उसे भी अपने साथ लाना चाहिए था। 

हमने तो उससे कहा था -किंतु वह कहने लगा, मेरा वहां जाने का कोई कायदा नहीं बनता है वह तुम्हारी बहन है तुम जा सकती हो, और तुमने उसे कोई निमंत्रण भी नहीं दिया। 

हां, यह बात भी सही है, साली होने के नाते शिल्पा के साथ भी, विवाह में खूब हंसी -मजाक किया गया किंतु उनके मजाक का जो उद्देश्य था , कुछ शिल्पा को लेकर ही, उस घर के दामाद के दोस्तों ने किया था किंतु तुरंत ही, उस घर के दामाद भी अपने दोस्तों को समझा दिया। खुशी- खुशी नित्या अपने ससुराल पहुंच गई थी। प्रमोद बहुत ही अच्छा लड़का था, और नित्या से बहुत प्रेम करता था। नित्या का ख्याल रखता था, वे लोग 15 दिनों के लिए हनीमून पर गए थे। घर आकर नित्या को एक शादी का कार्ड मिला।  वह शिल्पा और रंजन की विवाह का' निमंत्रण पत्र' था। आखिर रंजन ने, अपनी स्वीकृति दे ही दी, मन ही मन नित्या  बुदबुदाई। 

जब शिल्पा को पता चला कि नित्या अपने हनीमून से आ गई है, तब उसने तुरंत ही नित्या को फोन किया और बोली-अब बहुत मटरगश्ती हो गई है, अब चुपचाप घर आ जाना, बहुत सारे काम करने हैं मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा क्या करना है और क्या नहीं ? कभी-कभी तो उसे लगता था जैसे नित्या  के बिना उसका कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हो पाएगा। यदि नित्या न होती तो..... अपने को संभाल भी नहीं पाती। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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