Khoobsurat [part 60]

 अब रंजन और शिल्पा एक -दूसरे से खुलने लगे हैं ,खुलकर बात भी करते हैं ,एक -दूसरे की रुचियों को ध्यान में रखकर, अब दोनों नए -नए विषयों पर चर्चा करते हैं ,शिल्पा ने एक पेंटिंग 'कल्पना 'के नाम से बनाई जिसमें नीले हाथी थे,पीले फूल थे , मटमैले घोड़े जो एक प्रेमी जोड़े के आशियाने के सामने बंधे थे। उसे पेंटिंग को देखकर ,रंजन बहुत हंसा और शिल्पा के हाथ से ब्रश लेकर बोला -इसमें फूलों पर भ्र्मरों की कमी रह गयी है ,कुछ पंछियों की, किसी कलाकार की तरह ब्रश चलाते हुए उसने शिल्पा के गालों पर भी रंग लगा दिया और फिर हंसने लगा। एक भंवरा यहाँ, कितना सुंदर लग रहा है ?


शिल्पा को लगा ,वो अच्छी नहीं लग रही है, इसीलिए  रंजन के हंसने के कारण, उस पर शिल्पा को क्रोध आया और वो भी ब्रश में रंग लेकर उस पर टूट पड़ी ,रंजन भी इतनी आसानी से उसकी पकड़ में आने वाला नहीं था, वो भी भाग खड़ा हुआ।     

 यह सब नित्या ने भी, महसूस किया अब शिल्पा ज़िंदगी की तरफ लौट रही है ,जब कुमार से उसने धोखा खाया था ,तब उसका जैसे, जीवन से विश्वास ही उठ गया था। रंगों से मुँह मोड़ लिया था ,नित्या के समझाने पर भी,उसने कैनवास पर कुछ चित्र बनाये थे किन्तु उसके चित्र उदास हो गए थे ,जिनमें कुमार के  धोखे की झलक थी ,उसका दोहरा रूप ,शिल्पा के आंसू नजर आते थे। अब धीरे -धीरे उसके रंग लौटने लगे थे। जिनमें नई बहार थी ,उमंगें थीं ,जीवन को जीने की ललक थी ,आसमान को छूने की इच्छाएं झलकती थीं।

रंजन, कैसा लड़का है ? अपने कमरे में आईने के सामने खड़े होकर मुस्कुराते हुए शिल्पा अपने बाल बना रही थी ,उसे देखकर नित्या ने पूछा किन्तु शिल्पा ने कोई जबाब नहीं दिया। महारानी !कहाँ खोई हो ?नित्या ने तेज स्वर में उसे हिलाते हुए पूछा। 

हम्म्म !क्या तुमने, मुझसे कुछ कहा ,उसके तेज स्वर को सुनकर शिल्पा ने पूछा। 

और तुम्हें इस कमरे में कोई और भी दिख रहा है ,जब तुम हो तो, तुम्हीं  से पूछ रही हूँ ,तब अपने कानों में से ''ईयर बड़  ''निकालकर शिल्पा ने पूछा -अब पूछो !क्या पूछ  रहीं थीं ?

उसके हाथों में ,ईयर बड़ '' देखकर नित्या को क्रोध और आश्चर्य दोनों हुए और पूछा -तुम कब से इस तरह गाने सुनने लगीं ,ऐसा कौन सा गाना था ?जो तुम इतने तल्लीन होकर सुन रहीं थीं। 

बड़ा ही प्यारा गाना है ,कहते हुए ,गुनगुनाने लगी -'तुम्हें ,अपना बनाने की कसम खाई है ,खाई है। ''

इसमें ऐसी क्या विशेष बात है ? जो तुम्हें इतना प्यारा लग रहा है। 

क्यों ?इसमें क्या प्यारा नहीं है ,तुम इस गाने की खूबसूरती को क्या जानोगी ? जिससे वो प्यार करता है ,उसे अपनाना चाहता है ,ख़ैर तुम छोडो !तुम नहीं समझ पाओगी ,तुम बताओ !तुम कुछ पूछना चाहती थीं। 

हाँ ,मैं ये पूछ रही थी कि रंजन कैसा लड़का है ?

क्यों ?

मुझे, उससे शादी करनी है ,इसीलिए पूछ रही हूँ ,नित्या ने उसे चिढ़ाते हुए कहा ,नित्या की बात सुनकर शिल्पा का चेहरा उतर गया। 

अब अपनी ही बात को कहकर और शिल्पा का उतरा हुआ चेहरा देखकर,नित्या को मज़ा आया और उसने अपनी बात जारी रखते हुए पूछा - क्या हुआ ?तुझे यह बताने में समय क्यों लग रहा है ? कि रंजन, लड़का कैसा है ?घर से पापा का फोन आया था ,कह रहे थे - 'अब तेरी पढ़ाई पूरी होने वाली है ,तेरे लिए कोई लड़का भी तो देखना है ,'मैंने भी कह दिया -'एक लड़का है ,जो हमारे घर आता है ,अच्छा कमा रहा है किन्तु व्यवहार में कैसा है ?अभी पता नहीं,पूछकर बताती हूँ इसीलिए तुझसे पूछ रही थी -तुझे लेकर जाता है ,छोड़कर जाता है ,तुझे तो पता ही होगा ,वो कैसे स्वभाव का है ?उसकी पसंद -नापसंद ,क्या वो मुझे पसंद करेगा ?या उसकी ज़िंदगी में कोई और है यदि वो लड़का तुझे ठीक लगता है ,तो.....  मेरे लिए बात कर न.... मुस्कुराते हुए नित्या ने उसकी ख़ुशामद करने का अभिनय किया,शिल्पा को सोचते देखकर बोली -देख !ये मेरी ज़िंदगी का सवाल है ,सोच -समझकर जबाब देना। क्या हुआ ?तू चुप क्यों हो गयी ?उसके करीब आकर पूछा। 

सबकी अपनी -अपनी पसंद है ,तूने भी तो उसे देखा है ,तेरे मन में ऐसा कुछ था, तो तुझे, स्वयं ही उससे बात करनी चाहिए थी। मेरे साथ तो हल्का -फुल्का मज़ाक ही करता है। 

तभी तो पूछ रही हूँ ,कहीं ऐसा तो नहीं वो किसी और को पसंद करता हो और मैं अपने लिए सोच रही हूँ। अच्छा तू बता ! तुझे कैसा लगता है ?

ठीक है ,उसने संक्षिप्त सा जबाब दिया। 

ठीक है ,इससे काम नहीं चलेगा ,यदि तेरे लिए उसे चुना जाये तो क्या तुझे, वो पसंद है ?

शिल्पा ने नित्या की तरफ देखा और झट से बोली -मेरे पसंन्द -नापसंद से क्या होता है ?उसे भी तो पसंद होना चाहिए।मुझे क्या मालूम वो तुझे पसंद करेगा या नहीं कहकर उसने, वहां से हट जाना उचित समझा।  

रुक तो जरा !कहाँ जा रही है ?अच्छा ,ये तो बता ! तुझे कैसा लगता है ?

अभी तो बताया -ठीक है.....  ,चिढ़ते हुए शिल्पा ने जबाब दिया।

जब रंजन उनके घर आया ,आज उसका स्वागत शिल्पा ने नहीं, नित्या, ने किया -आओ ! रंजन कैसे हो ?

ठीक हूँ ,उसके लिए नित्या ने पानी मंगवाया ,तब नित्या ने रंजन से पूछा - आजकल तुम कुछ ज्यादा ही ,यहां नहीं आने लगे हो। 

ये आप क्या कह रहीं हैं ?नित्या जी !ये तो आप लोगों का प्यार मुझे यहाँ खींच लाता है। 

आपको ऐसा क्यों लगता है ?

आंटीजी का व्यवहार भी अच्छा है ,अपने घर जैसा प्रतीत होता है और तुम दोनों बहनें भी अपने साथ की महसूस होती हो। 

बस यही कारण है ,या यहाँ आने का कोई और भी कारण है ,उसके चेहरे पर नजरें गड़ाते हुए नित्या ने पूछा।

 उसकी बात से रंजन झेंप गया और मन ही मन सोचने लगा -ये क्या कहना चाहती है ?

जो तुम समझ रहे हो ,वही सोच रही हूँ ,क्या तुम और शिल्पा..... तुम दोनों के मध्य कुछ है ? नित्या ने स्पष्ट पूछा। 

नित्या के इस तरह स्पष्ट पूछने पर वो हिचकिचाया ,किन्तु आज उसके प्रश्न पर वह स्वयं ही सोचने पर मजबूर हो गया ,ये सही तो कह रही है ,मेरे यहाँ आने की क्या वजह हो सकती है ? उसने नित्या की तरफ देखा ,ये सुंदर और समझदार होने के साथ -साथ स्पष्टवादी भी है, शिल्पा इसके सामने कुछ भी नहीं किन्तु शिल्पा को अपने नजदीक पाता हूँ । वो एक महत्वाकांक्षी और भावुक लड़की है। तभी रंजन उठा और बोला -अभी चलता हूँ ,मुझे कहीं जाना है।

अबकि बार जब आओ !तो मेरी बात पर ध्यान देना किन्तु वो बिना जबाब दिए ही वहां से चला गया। लगभग एक सप्ताह तक रंजन घर नहीं आया। शिल्पा अपने कमरे में बैठी रहती या किसी काम में व्यस्त होती ,नित्या को लगा -रंजन से स्पष्ट पूछकर मैंने कहीं कोई गलती तो नहीं कर दी। 

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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