रवीना,बैठी हुई लेपटॉप पर अपना डिजाइनिंग का कार्य कर रही थी ,और अपने मेल देख रही थी। अचानक रवीना के हाथ काँप उठे, उसने अपना लैपटॉप बंद कर दिया,स्क्रीन पर जो आखिरी मेल खुला था, उसमें सिर्फ दो शब्द लिखे थे —
“I’m sorry.”
उन शब्दों को उसने पढ़ा ,किन्तु रवीना जानती थी, अब कोई ‘sorry’ उस दरार को कभी नहीं भर सकती जो उसके और आर्यन के बीच पड़ चुकी थी।
वह तीन साल पहले,की यादों में खो गयी ,जब उसकी मुलाकात एक' कॉर्पोरेट इवेंट' में आर्यन से हुई थी। आर्यन एक आत्मविश्वासी,आकर्षक ,और अपनी कम्पनी में '' मार्केटिंग मैनेजर'' था। रवीना — एक ईमानदार, सरल स्वभाव की ''ग्राफिक डिज़ाइनर'' थी।
पहली बार में ही आर्यन की बातों ने, रवीना को प्रभावित कर लिया था। बातचीत और स्वभाव से वह बहुत विनम्र और सभ्य लगा था, हो सकता है , उसने रवीना को प्रभावित करने के लिए खुद को ऐसा दिखाया हो ,जिसके कारण दोनों में दोस्ती हो गयी ,अब तो दोनों की अक्सर मुलाकातें होने लगीं। एक लड़की को और क्या चाहिए ?एक आकर्षक व्यक्तित्व ,और सहयोगात्मक व्यवहार ,वाला लड़का जो अपने'' पैरों पर खड़ा हो ''सम्मान के साथ जीता हो ,कुछ महीनों में ही, हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई और फिर एक सुंदर रिश्ता जन्मा।
तब रवीना ने उसे बताया -मेरी मेमेरी बहन के साथ एक हादसा हो गया था ,जिसके कारण वो दुःख के अंधेरों में डूब गयी थी,उसकी हालत देखकर ,मुझे भी अब ड़र लगने लगा था ,प्यार कुछ भी नहीं, एक धोखा है किन्तु तुमसे मिलकर लगा ,मैं तुम पर भरोसा कर सकती हूँ। आर्यन ने, रवीना के हर डर को समझा था — उसका टूटा हुआ अतीत, उसका भरोसे से डरना।
तब वो बोला -सभी एक जैसे नहीं होते,तुम्हें किसी न किसी पर तो भरोसा करना ही होगा “मैं अलग हूँ,” “तुम्हारे भरोसे को कभी नहीं तोड़ूँगा।”उसके विश्वास दिलाने पर रवीना ने भी विश्वास कर लिया था।
उनके रिश्ते को अब एक बरस होने को जा रहा था ,ऑफिस में एक नया प्रोजेक्ट आया था — देर रात तक मीटिंग्स, होने के पश्चात ,आउटस्टेशन ट्रिप्स, और ‘कॉलेज टाइम की तरह मस्ती’ और अनेक बातें हो रहीं थी
रवीना को आर्यन पर पूर्ण विश्वास था ,उसे कभी शक नहीं हुआ, कि आर्यन कभी उसे धोखा भी दे सकता है। एक दिन उसने आर्यन के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से आए मैसेज देखे -
“Thanks for the dinner last night 😘”
रवीना का दिल जैसे रुक गया,फिर भी उसने अपने भरोसे को हिलने नहीं दिया, रवीना ने शांत रहकर पूछा, “ये कौन है, आर्यन?”जिसने तुम्हें यह मैसेज भेजा है।
आर्यन को रवीना पर क्रोध आया कि उसने मेरा फोन क्यों उठाया ?अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए ,वह हँसा, “बस एक क्लाइंट है, यार !और कुछ नहीं।”
आर्यन ,अब थोड़ा बदला लग रहा था ,रवीना कुछ बात पूछती तो वो झूठ बोलकर या फिर हंसकर टालने का प्रयास करता किन्तु रवीना के सामने भी एक न एक सच्चाई सामने आ रही थी।
अगले कुछ हफ्तों में आर्यन झूठ और बहानों में उलझता गया — और रवीना हर दिन थोड़ा-थोड़ा टूटती रही।आख़िरकार, एक दिन रवीना ने सच्चाई जान ही ली कि आर्यन का रिश्ता उसके ऑफिस की नई सहकर्मी' मीरा' से था।तब रवीना ने आर्यन के झूठ का पर्दाफ़ाश करने के लिए ,उसके झूठ का नक़ाब उतारने के लिए ,उसका पीछा किया ताकि उसे 'रंगे हाथों पकड़ ''सके और एक दिन उसके सामने आकर खड़ी हो गयी ,जब वो मीरा से गले मिलकर उसका हाथ पकड़कर कहीं जा रहा था अचानक रवीना उसके सामने आ गयी , जब रवीना से उसका सामना हुआ , आर्यन का चेहरा सफेद पड़ गया। तब रवीना ने पूछा -क्या ये तुम्हारी 'क्लाइंट ''है ?कहकर उसने आर्यन के मुँह पर एक जोरदार थप्पड़ लगाया। इसके लिए तुम मुझे एक साल से धोखा दे रहे थे ,और जब भी पूछती ,तो बहाना बना देते।
मीरा को भी नहीं पता था कि आर्यन पहले से ही किसी से और लड़की से प्यार करता है ,सच्चाई सामने आने पर वो भी उसे छोड़कर चली गयी। “रवीना, ये सब एक गलती थी... प्लीज़, एक मौका दे दो !”
रवीना बस मुस्कुरा दी — एक खाली, थकी हुई मुस्कान।
“भरोसा गलती से नहीं टूटता, आर्यन ! उसे तोड़ने से पहले इंसान बहुत कुछ सोचता है... और जब टूट जाता है, तो वो फिर कभी जुड़ता नहीं।”रवीना चली गई।
अब रवीना अपनी' खुद की डिजाइन' फर्म चला रही थी। मजबूत, आत्मनिर्भर, और पहले से कहीं ज़्यादा आत्मविश्वासी।तीन साल के पश्चात ,एक दिन, एक नया क्लाइंट उससे मिलने आया,उसका नाम सुनकर वह ठिठक गई — “Aryan Malhotra, Marketing Head,”
रवीना अभी सोच ही रही थी ,इसे मिलने के लिए बुलाऊँ या मना कर दूँ, फिर सोचा -अब वो एक क्लाइंट है ,मेरा प्रेमी नहीं ,कब तक सच्चाई से भागती रहूंगी ?यह सोचकर उसने आर्यन से मिलने की इजाज़त दे दी।
आर्यन ने दरवाज़े पर कदम रखा, वही चेहरा, किन्तु अब रवीना की आँखों में उसके लिए कोई भाव नहीं थे।
“हाय, रवीना...” वह बोला।
रवीना ने मुस्कराकर हाथ मिलाया, पर भीतर कहीं कोई हलचल नहीं हुई, न दर्द, न नफ़रत, बस एक ठंडी शांति।
मीटिंग खत्म होने पर आर्यन ने झिझकते हुए कहा,“मैं... माफ़ी माँगना चाहता था।”
रवीना ने सीधे उसकी आँखों में देखा -“आर्यन, मैं तुम्हें बहुत पहले माफ़ कर चुकी हूँ... लेकिन भरोसा? वो वहीं रह गया जहाँ तुमने उसे तोड़ा था।”वह एक पल था —जब रिश्ते में सुकून और समापन दोनों साथ थे।
आर्यन ने सिर झुका लिया।
वह समझ चुका था — कुछ रिश्ते माफ़ी से नहीं, भरोसे से चलते हैं। और जब भरोसा टूट जाए, तो रिश्ते भी ख़ामोशी से मर जाते हैं।
रवीना की कार सड़क पर आगे बढ़ रही थी। हवा उसके बालों से खेल रही थी, और सूरज ढलने लगा था।
वह खुद से बोली —“कभी-कभी छोड़ देना भी, खुद को वापस पाने का पहला कदम होता है।”
उसके चेहरे पर एक सच्ची मुस्कान लौट आई ,क्योंकि अब वो जान चुकी थी —''एक बार टूटा भरोसा, फिर नहीं जुड़ता'' लेकिन जो खुद से जुड़ जाए, उसे कोई नहीं तोड़ सकता।''