मधुलिका के विवाह में तीनों सहेलियां पहुंच जाती हैं ,रिया और प्रिया ये नहीं जानती थीं कि इनके जीवन में क्या चल रहा है ?जब जयमाला पर मधुलिका और कुमार आमने -सामने होते हैं ,उन्हें देखकर शिल्पा वहां से चली जाती है। अरे, शिल्पा ! कहां गई ? वह कहीं भी दिखलाई नहीं दे रही है ,कम से कम सारी सहेलियां एक साथ, मंच पर खड़े होकर मधुलिका और उसके दूल्हे के साथ फोटो तो खिंचवा लेतीं, रिया ने प्रीत से पूछा।
अरे ! यहीं कहीं गई होगी, हम जीजा जी से मिल लेते हैं , कहते हुए वह मंच पर ऊपर चढ़ गईं , शिल्पा दूर से ही जयमाला का वह दृश्य देख रही थी, उसे देखकर, उसके दिल पर जैसे छुरियां चल रही थीं। उसके अंदर की कड़वाहट बढ़ती जा रही थी, मन ही मन सोचने लगी -इन लोगों ने मुझे कितना बड़ा धोखा दिया है ? दोनों ही मिले हुए थे। यदि दोनों को पहले से ही विवाह करना था, तब कुमार को मेरी दोस्ती में, आगे बढ़ने की क्या आवश्यकता थी ? मुझे होटल में लेकर क्यों गया था ? और वहां मुझे अकेली छोड़कर भाग गया।
कुमार ने ही नहीं, मेरी प्रिय सखी [सोचते हुए,शिल्पा का चेहरा कठोर हो गया ] ने भी मुझे धोखा दिया, जो बचपन से ही मेरे साथ थी, मैंने ही तो इन दोनों को मिलवाया था किंतु इसने एक बार भी, मुझसे यह नहीं कहा -'कि मैं कुमार को पसंद करती हूं, या हम दोनों मिलते हैं , उस दिन भी, मैं इससे पूछ रही थी -कि तुमने कहीं कुमार को देखा है, किंतु इसने ठीक से कोई जबाब नहीं दिया। मुझे क्या मालूम था, यह मेरी पीठ में ''छुरा घौंपने वाली है''न जाने कितने विचार अब तक हुई, घटनाओं को स्मरण कर उसके मन में आते जा रहे थे।
एकाएक सोचते हुए उसकी आंखों से, अश्रुधार बह निकली। उसने अपने आंसुओं को पौंछा और मन ही मन सोचने लगी- रिया, सही तो कह रही थी - यदि वह हमें भूल गई है, तो हम उसे भूलने नहीं देंगे।'' यह मेरा तुम दोनों से वादा रहा, तुम दोनों ने मुझे भुलाकर, विवाह तो कर लिया है , किंतु मुझे कभी नहीं भूल पाओगे और न ही, तुम कभी चैन से रह पाओगे। न जाने, वह क्या सोच रही थी ? उसके मन में कितना कुछ चल रहा था ?तभी वहीं पास में जाते हुए, एक वेटर को बुलाया, और उससे एक मिठाई का पीस लेकर खाया मन ही मन हंसी, तुम्हें बहुत बधाई , मेरी प्रिय सखी मधुलिका ! तुम्हें इस विवाह की बहुत-बहुत बधाई हो !
लो! यह तो यहां पर मिठाई खा रही है, और हम दोनों इसे वहां ढूंढ रहे हैं , आजा चल ! मधुलिका से मिलकर आते हैं , वह हमारी प्रतीक्षा कर रही होगी।
तुम दोनों तो मिल ही आईं ,उसे हमारी कोई प्रतीक्षा नहीं है, उसने हमें मंच से नीचे ही देख लिया था। अब उससे मिलकर भी क्या होगा ? अब वह हमारी सहेली नहीं रही, वह किसी की पत्नी हो गई है।
अभी हुई नहीं है, होने जा रही है, रिया ने उसके शब्दों को ठीक किया।
हां हां अभी हुई नहीं है, तो हो जाएगी, अब उसके जीवन में दोस्तों का इतना महत्व कहाँ रहेगा ?जितना अब वह कुमार को महत्व देगी। आओ !तुम भी यहीं बैठो ! उसके विवाह की खुशी में, थोड़ी पेट पूजा हो जाए। कम से कम आज पेट भर कर खा लेते हैं , फिर वह हमें नहीं पूछने वाली है, कहते हुए, शिल्पा ने प्रीत का हाथ खींच कर अपने समीप बैठा लिया।
प्रीत ने, उसके समीप बैठकर पूछा -क्या कुछ हुआ है ? तेरा व्यवहार कुछ बदला- बदला सा लग रहा है।
इसमें बदलाव क्या है ? समय के साथ सहेली बदल गई, उसका रिश्ता बदल गया, अब हमें भी बदल जाना चाहिए कहते हुए हंसने लगी -और बताओ !तुम दोनों, कब विवाह कर रही हो ?
जब भी कोई अच्छा सा लड़का मिल जाएगा तो हम भी विवाह कर लेंगे। तू बता ! तू किसी कलाकार से ही विवाह करेंगी, या किसी कारोबारी से, तूने क्या सोचा है ? या फिर किसी ऐसे व्यक्ति से, जो तेरी बनाई पेंटिंग्स को ' ऑर्गेनाइज'' करता रहे , घर की बात घर में ही रहेगी, कहते हुए हंसने लगी।
सुझाव तो अच्छा है ,अभी तक तो कोई ऐसा नहीं मिला है, हो सकता है, शीघ्र ही मिल जाए,[ ये शब्द बोलते हुए, अचानक ही शिल्पा के मन में रंजन का विचार आया] हो सकता है, सालों भी लग जाएं।
समय से ही विवाह कर लेना, ऐसा ना हो, तुझे अपना कलाकार ढूंढने में, ज्यादा समय लगे और हमारे बच्चे भी हो जाएं।
क्यों? क्या तुमने कहीं, कोई देख रखा है ?आँखें सिकोड़कर दोनों को घूरते हुए शिल्पा उनके चेहरे ऐसे देख रही थी ,जैसे उसकी आँखें नहीं कोई 'एक्स रे 'मशीन हो।
ऐसा तो नहीं है ,बड़े धीमे स्वर में प्रिया बोली। किंतु उसके अंदाज से लग रहा था, कि अवश्य कोई तो है और वह झूठ बोल रही है।
ऐसा कब से होने लगा ? अचानक से शिल्पा ने पूछा।
क्या ??दोनों ने एक साथ उसे देखा , यही कि मन में भाव कुछ और होते हैं, और जुबान कुछ और कह रही होती है, शायद तुम दोनों भूल गई हो, मैं एक कलाकार हूं, भावनाओं को, एहसासों को समझती हूं , तभी तो उन्हें अपने चित्र में डालकर लाती हूं। दोनों चुपचाप मुझे, सब कुछ सही-सही बता दो ! कितने- कितने बॉयफ्रेंड बनाये हैं।
तू, क्या पागल है ? बस एक ही है, रिया ने जवाब दिया।
क्या ?? दोनों चौकी , प्रिया उलाहना देते हुए बोली -मुझसे इतनी बातें करती है, किंतु एक बार भी नहीं बताया, कि मेरा कोई 'बॉयफ्रेंड' है, कौन है ?वो, क्या नाम है ?उसका , क्या, घर वालों को बताया है ?
बताती हूं, बताती हूं, दोनों की दोनों मेरे घर वालों से भी ज्यादा प्रश्न लेकर बैठ गई हैं,इसीलिए तो नहीं बता रही थी कि तुम दोनों मेरी क्लास लोगी,वो गुस्से में कहने का प्रयास कर रही थी किंतु उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। उसको स्मरण करते हुए ,उसके मन में गुदगुदी सी होने लगी।
अब उसे याद कर मुस्कुराती ही रहेगी ,या उसका नाम भी बताएगी।
बता तो रही हूँ ,मुझसे ज्यादा तो ये उतावली हो रहीं हैं ,फिर मुस्कुराकर बोली -उसका नाम' श्रवण' है।
क्या 'श्रवण' है ? मुँह बनाते हुए, शिल्पा ने कहा -क्या वह ठीक से सुनता है ?
यह तू क्या कह रही है ? परेशान होते हुए रिया बोली।
' श्रवण' का मतलब तो सुनना ही हुआ, वही तो पूछ रही हूं, क्या वह तेरी बात ठीक से सुनता है, कहीं ऐसा तो नहीं वह बहरा हो इसलिए उसके माता-पिता ने उसका नाम' श्रवण; रख दिया हो, कहते हुए, शिल्पा और प्रिया दोनों हंसने लगी,तूने उसे ठीक से परख तो लिया है ,वैसे तू तो डॉक्टरी पढ़ रही है ,उसे ठीक कर ही लेगी। वैसे वो क्या कर रहा है ? या तेरे प्यार में ही, भटक रहा है।