नित्या जान गई थी,कि शिल्पा को लेकर कुमार के इरादे सही नहीं हैं किंतु इतना भी जानती थी,यदि वो शिल्पा को समझाना चाहेगी ,तो शिल्पा उस पर विश्वास नहीं करेगी, न ही उसका कहना मानेगी, इसलिए नित्या ने, उसे कुमार से मिलने जाने से नहीं रोका किंतु उसे कुमार के इरादे ,कुछ ठीक नहीं लग रहे थे ,उसके इरादे भांपकर ही वह शिल्पा के पीछे गयी थी, लगातार उसका पीछा कर रही थी। जब शिल्पा, होटल के अंदर प्रवेश करती है, तब भी वह दुपट्टे से अपने मुंह को ढके हुए उसके पीछे ही थी लेकिन जैसे ही कुमार उसको होटल के किसी कमरे में लेकर गया , तो उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगा।
मन दुविधा में था ,वो, शिल्पा को किस कमरे में लेकर गया होगा ,दोनों किस मंजिल पर होंगे ? नित्या ने वहां से जानकारी लेनी चाही किन्तु काउंटर पर बैठी लड़की ने, कुछ भी जानकारी देने से इंकार कर दिया। तब नित्या ने मन ही मन एक निर्णय लिया ,इसमें ख़तरा तो था ,हो सकता है ,शिल्पा पर भी आंच आये किन्तु अब ये जोख़िम उठाना ही होगा ,यह सोचकर उसने पुलिस को फोन कर दिया था, और तुरंत ही ,वहां से बचने का रास्ता ढूंढने लगी।
जैसे ही पुलिस आई ,उस होटल में अफरा - तफरी मच गयी, कुमार, शिल्पा को छोड़कर पिछले दरवाजे से भाग गया था, यह सब नित्या ने अपनी इन्हीं आंखों से देखा था। नित्या ने उस होटल के, आसपास की सभी जगह छान ली थी और बचने का रास्ता भी ढूंढ़ लिया था। जब पुलिस आई, उससे पहले ही वह, शिल्पा को ढूंढने लगी और जैसे ही शिल्पा लिफ्ट से भी बाहर आई ,तब उसने देखा -' शिल्पा नशे में थी, उसे कुछ भी होश नहीं था, वह समझ गई, कि कुमार के इरादे सही नहीं थे। उसने कुमार को, शिल्पा को छोड़कर भागते भी देखा किंतु इस समय शिल्पा को पुलिस की नजरों से बचाना आवश्यक था इसीलिए उस होटल की एक ऐसी गली से बाहर निकाल लाई, जिसकी जानकारी कम लोगों को ही थी किंतु यह बात उसने कभी भी शिल्पा को नहीं बताई।
आज समय ऐसा था, वह शिल्पा की नजरों में 'रंजन' को हीरो बना देना चाहती थी, ताकि उसके मन का दर्द थोड़ा कम हो, इसीलिए उसने कहा - रंजन !उसे ,उस होटल से बचा कर लाया था।
रंजन जो, परा स्नातक कर रहा है, अपने मनपसंद विषय पर मास्टरी कर रहा है ,वो रिक्शा चालक के रूप में, शिल्पा से मिला था और उसे रोकना चाहता था। वह भी शिल्पा का, शिल्पा का नहीं' तमन्ना' की कला का प्रशंसक था शिल्पा के अंदर इतनी खूबसूरती बसी थी किन्तु बाहरी रूप से उसकी ज़िंदगी बिन पतवार की नैया की तरह हिचकोले खा रही थी क्योंकि इस बात को शिल्पा भी स्वीकार नहीं कर पा रही थी कि उसके जीवन में सच्चा प्रेम है ,ही नहीं। अब तक के हालातों को देखकर तो यही लगता है , आगे भविष्य में क्या छुपा है ? किसे मालूम ?
नित्या की बात सुनकर, शिल्पा ने' रंजन' से मिलना चाहा किंतु नित्या, रंजन के विषय में, ज्यादा कुछ नहीं जानती थी लेकिन हां इतना जानती थी कि वह में बाजार के चौराहे पर शाम के समय मिलेगा। अब उसने रिक्शा चलाना छोड़ दिया था, क्योंकि उसके इम्तिहान करीब आ रहे थे और उसने इतना पैसा जोड़ लिया था कि वह अपना खर्चा चला सकता था।
एक दिन नित्या, शिल्पा को घूमाने के लिए बाजार ले गई और आसपास नजर डालने लगी कि कहीं उसे रंजन दिखाई दे जाए। वो वहीं आसपास रहता भी था , किंतु उसे वह कहीं भी दिखलाई नहीं दिया।
शिल्पा को जितना दुख कुमार और मधुलिका के धोखा देने से था , उतनी ही जिज्ञासा 'रंजन 'से मिलने की थी, वह उससे मिलकर उसका बहुत धन्यवाद करना चाहती थी किंतु उसे' रंजन' कहीं नहीं मिला लगभग एक महीना हो गया किंतु शिल्पा के मन में एक कसक सी रह गई, एक बार रंजन मिल जाता तो वह उसे धन्यवाद कह देती।
इन्हीं हालातों के चलते एक दिन उसके स्कूल की सहेलियाँ प्रीत और रिया उसके पास आई और उससे पूछा - क्या तुझे याद है ,आज कौन सा दिन है ?
कौन सा ?शिल्पा की ज़िंदगी में इतना कुछ चल रहा था,वो अपनी ज़िंदगी को समेटे या कुछ याद रखे ,याद करके भी क्या करना है ?दुःख के सिवा क्या मिलेगा ?
आज हमारी सहेली'' मधुलिका'' की शादी है,क्या तुझे चलना नहीं है ?उस बात को सुनकर शिल्पा को लगा जैसे उन्होंने आकर उसके जख़्म को कुरेद दिया ,इसके अंदर से एक गहरी टीस उभरी किन्तु उसने उन्हें आभास नहीं होने दिया।
तभी नित्या आकर बोली -उसने तो हमें कोई '' निमंत्रण पत्र '' नहीं दिया।
क्या बात कर रही हो, दीदी !ऐसा कैसे हो सकता है ? वो हमारी पक्की सहेली है ,तब रिया बोली -हो भी सकता है ,विवाह वाले घर में इतने काम होते हैं ,भूल गयी होगी।
अरे !कैसे भूल गयी ?अपनी पक्की सहेलियों को भूल गयी ,नित्या ने अपनी बात रखी।
कोई बात नहीं दीदी !वो भूल गयी तो क्या ,हमें तो याद है ,हम उसे भूलने नहीं देंगे ,उसने हमें तो कार्ड दिया है, कह रही थी -सभी सहेलियों को एक ही कार्ड दे रही हूँ ,तब इसे कैसे अलग से देती ,हम सभी एक ही कार्ड से जायेंगे।
किन्तु शिल्पा तो नहीं जाएगी ,नित्या ने अपना निर्णय सुनाया।
शिल्पा जो अब तक उनकी बातें चुपचाप सुन रही थी ,बोली -शिल्पा जाएगी ,पक्की सहेली जो है ,कहते हुए तैयार होने के लिए अंदर चली गयी।
नित्या उसके पीछे -पीछे गयी ,क्या तू सच में उसके विवाह पर जा रही है ?
दोस्ती की है ,तो निभानी भी है।
क्या तू भूल गयी, उसका विवाह किससे हो रहा है ?वहां कुमार भी होगा।
उससे भी तो दोस्ती की थी ,आज दोस्ती के सभी उधार उतार दूंगी, न जाने उसके मन में क्या चल रहा था ? वो चुपचाप तैयार होकर रिया और प्रीत के साथ चल दी। चलते समय प्रीत बोली -दीदी !आप भी चलिए !
नहीं ,वो तुम्हारी दोस्त है ,शिल्पा का थोड़ा ख्याल रखना ,कुछ दिनों से उसकी तबियत ठीक नहीं थी ,कहकर उन्हें विदा किया।
तुझे क्या हुआ था ?दीदी कह रही थीं-' तेरी तबियत ठीक नहीं रहती।'
हाँ यार ! तेरे चेहरे पर अब पहले जैसी चमक नहीं रही ,तुझे क्या हुआ था ?
कुछ नहीं दीदी !को तो मेरी वैसे ही चिंता रहती है।
इतनी फिक्र करने वाली दीदी भी नसीब वालों को मिलती है, वरना आजकल किसी को किसी की कोई परवाह नहीं रहती . जब वे लोग मधुलिका के विवाह में पहुंचे, तो मधुलिका को दुल्हन के रूप में देखकर, शिल्पा का दिल कट कर रह गया किंतु मधुलिका ने शिल्पा को देखते ही, अपनी नज़रें झुका ली वह उससे नजरें भी नहीं मिला पा रही थी। जब जयमाला डालने का समय आया, तो मंच पर मधुलिका और कुमार दोनों साथ खड़े थे। उन दोनों ने शिल्पा को भी देखा ,तब एक- दूसरे को देखा , वह स्थिति ऐसी थी किसी से कुछ कहा भी नहीं जा सकता था। कुछ देर के लिए शिल्पा वहाँ खड़ी हुई और भीड़ में कहीं गायब हो गई।